युवा उम्मीदों की कद्र करे बजट

By: Feb 19th, 2018 12:05 am

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं

प्रदेश में नौ लाख के करीब बेरोजगार हैं सबको सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती, जो कि शाश्वत सत्य है। क्यों न इन युवाओं को ईमानदारी से यह एहसास करवाया जाया कि प्रदेश में भौगोलिक दृष्टि से समृद्धता के कारण स्वरोजगार के नवीन अवसरों की अपार संभावनाएं हैं…

प्रदेश की नई सरकार से आम जनमानस ढेरों उम्मीदें लगाए बैठा है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार में युवा चेहरों की संख्या पर्याप्त मात्रा में है। प्रदेश की 35.25 फीसदी जनसंख्या युवा है, जबकि देश की 34.80 फीसदी। आंकड़ों के मुताबिक 1971 में प्रदेश में करीब 10.56 लाख युवा थे, 2011 की जनगणना के अनुसार 24.20 प्रतिशत लाख युवा प्रदेश की जनसंख्या में हैं, मतलब पिछले 40 वर्षों में युवाओं की संख्या में 129 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। युवा वर्ग के प्रति खासी दिलचस्पी रखने वाले मुख्यमंत्री से युवाओं में बेशुमार उम्मीदें हैं। हालांकि अपने कार्यकाल के पहले बजट में युवा वर्ग की उपेक्षा करने का जोखिम प्रदेश सरकार भी नहीं उठा सकती।

प्रदेश के भविष्य की नई इबारत लिखने में युवा शक्ति महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर सकती है, लेकिन युवाओं की वास्तविक स्थिति की समीक्षा किए बिना इस संपदा का समुचित लाभ नहीं उठाया जा सकता। प्रदेश में करीब नौ लाख युवा सरकारी रोजगार कार्यालयों व अन्य रोजगार के मार्गों से रोजगार की गुहार लगाए बैठे हैं। उच्च डिग्रीधारक बनने के बावजूद युवा शक्ति दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। प्रदेश में अगर यह स्थिति पैदा हुई है, तो इसके कई कारण गिनाए जा सकते हैं। गुणवत्तापूर्ण एवं कौशल का विकास करने वाली शिक्षा का अभाव, शिक्षण संस्थाओं में मूलभूत आवश्यकताओं की कमी तथा दुकानों की तरह खुले स्कूलों व कालेजों में चल रहा शिक्षा का व्यापारीकरण इसके प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा शिक्षार्थियों की भटकाव व लापरवाही की प्रवृत्ति व माता-पिता की अनपढ़ता व पारिवारिक पृष्ठभूमि व गुरुओं का गैर जिम्मेदाराना रवैया जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सरकारी शिक्षा तंत्र नवीन आविष्कारों व प्रयोगों में व्यस्त है, वहीं विद्यार्थी सांसारिक-भौतिक मनोरंजन के साधनों का मोहताज बन गया है। सोशल मीडिया व पाश्चात्य संस्कृति आज के युवाओं के खान-पान, दिनचर्या, वेशभूषा व जीवनयापन में अपनी जड़ें गहरे तक फैला चुका है। इन तमाम कारकों से हमारी युवा शक्ति को सही दिशा नहीं मिल पा रही है। ये तमाम स्थितियां हमें भविष्य के प्रति चिंतित करती हैं।

यूरोप के विकसित देशों ने सबसे ज्यादा विकास तब किया, जब उसके पास सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या थी। भारतीय अर्थव्यवस्था आज विश्व की सबसे तीव्र गति से आगे बढ़ने के मार्ग पर अग्रसर है। युवाओं की जनसंख्या विश्व में सबसे ज्यादा है। यूरोप के देशों से हमें आधी चीजों को सीखना होगा तथा सरकारी नीतियों का निर्माण युवाओं की धरातलीय आवश्कताओं की पूर्ति के संदर्भ में करना होगा। देश-प्रदेश के नीति निर्माताओं ने यदि युवाओं की ऊर्जा को राष्ट्रीय भावना में परिवर्तित कर दिया, तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई भी नहीं रोक सकता। भारत में सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या इस सपने को साकार करने का सामर्थ्य रखती है।

प्रदेश तथा देश का युवा आज अपनी ऊर्जा की अधिकतर खपत फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर, यू-ट्यूब व अन्य सोशल मीडिया साइटों पर खर्च कर देता है। इसके कारण उसके व्यवहार में चिड़चिड़ापन, सहनशीलता का अभाव, सिरदर्द, आंखों की समस्याएं व अन्य शारीरिक अंगों में शिथिलता पैदा हो रही है। बेरोजगारी की मार उसको तनावपूर्ण व असहाय बना रही है। प्रदेश में नौ लाख के करीब बेरोजगार हैं सबको सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती, जो कि शाश्वत सत्य है। क्यों न इन युवाओं को ईमानदारी से यह एहसास करवाया जाया कि प्रदेश में भौगोलिक दृष्टि से समृद्धता के कारण स्वरोजगार के नवीन अवसरों की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन नगरी, लघु औद्योगिक इकाइयां, पन बिजली उत्पादन, जैविक कृषि व्यवस्था, फिल्म इंडस्ट्री व सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से विपणन प्रणाली को विकसित करके युवाओं के भविष्य को संवारा जा सकता है। प्रदेश में पर्यटन की संभावनाएं हर गली, शहर व गांव में विद्यमान हैं। प्रदेश की शांत वादियों व प्रकृति के दिलकश नजारों का दीदार कौन नहीं करना चाहेगा। प्रदेश वैश्विक मंच पर भी अपनी एक खास पहचान स्थापित कर चुका है। प्रधानमंत्री के उपहारों में हिमाचली एहसास की शुमारी हो या राष्ट्रीय पर्वों में प्रदेश की भागीदारी, हर जगह प्रदेश की संस्कृति खुद को स्थापित कर चुकी है। इन कारकों को अवसर के रूप में उपयोग करना होगा।

यदि युवा शक्ति को प्रदेश में विद्यमान संसाधनों के दोहन से रोजगार सृजन किया जाए तो प्रदेश सरकार की आर्थिकी में सुधार होगा तथा युवाओं की ऊर्जा का भी सही उपयोग सुनिश्चित हो पाएगा। प्राकृतिक संसाधनों के साथ रोजगार सृजन को जोड़ने के लिए सरकार को एक स्पष्ट रूपरेखा खींचनी होगी। प्राकृतिक संसाधनों के रूप में उपलब्ध संभावनाओं की शिनाख्त करके, युवाओं को उसी क्षेत्र का कुशल प्रशिक्षण की व्यवस्था करवाकर उनका भविष्य संवारना होगा। संयोगवंश प्रदेश की नवगठित युवा सरकार में युवा व कुशल विधायकों व मंत्रियों की पर्याप्त संख्या है। एक युवा सरकार नवयुवकों की समस्याओं को भलीभांति समझ सकती है। यही उम्मीद हजारों युवा इस वक्त सरकार से लगए हुए हैं। प्रदेश में बजट शीघ्र ही प्रस्तुत होने वाला है। बजट में युवाओं की भावनाओं व जरूरतों को पूरा करने का सजग प्रयास देखने को मिले। प्रदेश का युवा वर्ग माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से युवा शक्ति के उज्ज्वल भविष्य को संवारने की गुहार लगाए बैठा है। युवा सद्मार्ग पर चल पड़ा तो प्रदेश के चहुंमुखी विकास व नए हिमाचल के निर्माण का सपना आगामी वर्षों में हासिल किया जा सकता है।


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