शराब से 1553 करोड़ कमाएगा हिमाचल
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में आबकारी नीति को हरी झंडी
शिमला— जयराम सरकार ने सोमवार को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में आबकारी नीति 2018-19 को अनुमोदित कर दिया है। इससे हिमाचल को करीब 1552.88 करोड़ के लगभग राजस्व का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में यह 271.33 करोड़ ज्यादा रहेगा। मसलन 21.17 फीसदी के हिसाब से इसमें बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में सवा घंटा से भी ज्यादा समय तक आबकारी एवं कराधान नीति 2018-19 पर मंथन किया गया, जिसके बाद इसे अनुमोदित कर दिया गया। ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ अर्थात व्यापार में सुगमता की नीति के अनुरूप सोर्स लाइसेंस प्राप्त करने की शर्तों को आसान किया गया है तथा आबकारी करों की संख्या में भी कटौती की गई है। जहां तक परचून विक्रेताओं का संबंध है, उन्हें ‘अनलिफटिड मिनिमम ग्रांटेड कोटा’ की शर्तों में राहत प्रदान करते हुए बड़ी छूट दी गई है। आबंटन के समय परचून विक्रेताओं के लिए तय की गई सिक्योरिटी राशि को 18 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत किया गया है। यह निर्णय परचून विक्रेता व्यापार में निवेश के लिए पर्याप्त वर्किंग कैपिटल की उपलब्धता सुनिश्चित बनाएगा। मंत्रिमंडल ने कर वृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस वर्ष से पारदर्शी लॉटरी प्रणाली के माध्यम से रिटेल बैंड के आबंटन को स्वीकृति प्रदान की । मंत्रिमंडल ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र रूप से होटलों तथा रेस्तराओं में बीयर उत्पादन के लिए माइक्रोब्रिवरी की स्थापना की नीति को भी अपनी स्वीकृति प्रदान की। ईएनए (मुख्य कच्ची सामग्री) तथा बीयर पर आयात शुल्क कम करके तथा शराब की बिक्री (सीएल-कंट्री लिक्वर तथा आईएमएफएल-इंडियन मेड फोरन लिक्वर) पर अधिकतम बिक्री मूल्य प्रणाली लागू करके यह सुनिश्चित बनाया गया है, इससे लाइसेंस धारकों के बीच स्वच्छ तथा स्वस्थ प्रतिस्पर्धा आएगी। दरों को सभी परचून दुकानों पर प्रदर्शित किया जाएगा। राज्य के लोगों के कल्याण के दृष्टिगत सीएल की प्रति बोतल पर एक रुपया तथा आईएमएफएल की प्रत्येक बोतल की बिक्री पर दो रुपए एकत्र किए जाएंगे, जिसे क्रमशः एंबुलेंस सेवाएं निधि तथा स्थानीय निकायों के कल्याण के लिए आबंटित किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में वाइन उत्पादकों को उनके उत्पाद सीधे तौर पर परचून विक्रेताओं तथा बार में बिक्री की अनुमति का निर्णय लेकर उन्हें बड़ी राहत प्रदान की गई है। वाइन उद्योग तथा बागबानी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक आबकारी करों को कम किया गया है तथा परिवहन शर्तों में भी छूट दी गई है, साथ ही राज्य के बाहर तैयार की गई वाइन पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई है। मंत्रिमंडल की बैठक में जयराम सरकार ने अपेक्षाओं के अनुरूप ही भर्तियों का पिटारा भी खोला है। आयुर्वेद विभाग में 200 आयुर्वेदिक डाक्टरों के पद अनुबंध आधार पर भरने का निर्णय लिया गया है। इनमें 100 पद बैचवाइज भरे जाएंगे, जबकि 100 सीधी भर्ती द्वारा। दूसरा जो बड़ा निर्णय लिया गया है, उसके तहत दो गोल्ड रिफाइनरियों की जांच विजिलेंस को सौंपी जाएगी। इसकी गहनता से जांच के बाद कानून सम्मत कार्रवाई भी होगी। इन रिफाइनरियों को राहत देने वाली पूर्व सरकार की उस स्कीम को भी खत्म करने का ऐलान किया है, जो इन रिफाइनरियों को टैक्स की करोड़ों की राशि रिफंड करने की सिफारिशें कर रही थीं। यही नहीं, संबंधित दो रिफाइनरियों को टैक्स की बकाया राशि 14,10,98,423 रुपए का भी भुगतान करना होगा। इसी कड़ी में उद्योग विभाग के तहत प्रदेश में बीमार उद्योगों को रियायतें देने के मामले की भी जांच होगी। सूत्रों के मुताबिक इस संदर्भ में भी पिक एंड चूज के आरोप लग रहे हैं। अब जांच के दौरान यह सामने आएगा कि क्या बीमार उद्योगों के पुनरुत्थान के लिए जो रियायतें दी गई हैं, उनमें कहीं अनियमितताएं या बंदर बांट तो नहीं हुई। मंत्रिमंडल की बैठक में सर्किट हाउस चंबाघाट, कंडाघाट की अस्पताल इमारत के निर्माण की जांच के भी आदेश दिए गए। आरोप है कि पूर्व सरकार के दौरान मंत्रिमंडल की बिना अनुमति के तमाम कायदे कानूनों को धत्ता बताते हुए इनकी इजाजत दी गई। बैठक में कांगड़ा जिला के सलाह जंदरा आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र का नाम शहीद जगदीश सिंह राणा के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया। सिविल जज जूनियर डिवीजन के 12 पद हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के जरिए भरने को भी अनुमति दी गई। राजीव गांधी गवर्नमेंट आयुर्वेदिक कालेज पपरोला में पांच पद लैब तकनीशियन, एक पद अधीक्षक श्रेणी-2, एक पद वरिष्ठ सहायक तथा एक पद कनिष्ठ कार्यालय सहायक (आईटी) के भरने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक में दो पद बागबानी प्रभारी और आयुर्वेदिक विभाग में एक पद सहायक वनस्पतिज्ञ के भरने का निर्णय लिया गया।
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