हिमाचल के सरकारी स्कूल पढ़ाई में फिसड्डी

By: Feb 27th, 2018 12:02 am

चिंता : एनएएस की ऑनलाइन परीक्षा में शिक्षा का स्तर सुधरने के तमाम दावे हवा

शिमला— नेशनल अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की पोल खोल दी है। इस रिपोर्ट में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने और छात्रों को तमाम सुविधाएं देने के सभी सरकारों के दावे खोखले साबित हुए हैं। प्रदेश शिक्षा विभाग व नेशनल अचीवमेंट सर्वे की दिल्ली से आई टीम ने सभी जिलों में ऑनलाइन ली गई परीक्षा का रिजल्ट सोमवार को सार्वजनिक किया। हैरानी की बात यह रही कि प्रदेश को कोई भी जिला व स्कूल ऐसा नहीं है, जिसके छात्रों ने इस परीक्षा में 75 प्रतिशत से ज्यादा अंक लिए हों। रिपोर्ट के अनुसार सिरमौर जिला पढ़ाई के मामले में सबसे पीछे है। यहां सभी स्कूलों का रिजल्ट 40 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ पाया है। हालांकि कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, सोलन फिर भी ऑनलाइन सर्वे में ठीक-ठीक रहे। प्रदेश का पांगी क्षेत्र व चंबा जिला भी इस सर्वे में अच्छी प्रतिशतता हासिल नहीं कर पाया। उल्लेखनीय है कि एनएसीईआरटी की ओर से देश भर के सरकारी स्कूलों के छात्रों की गणित, समाज, विज्ञान व भाषा विषय की ऑनलाइन परीक्षा ली गई थी। यह परीक्षा तीसरी, पांचवी व आठवीं कक्षाओं के छात्रों के लिए आयोजित की गई थी। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार तीसरी कक्षा में विज्ञान की ऑनलाइन परीक्षा में कांगड़ा के छात्रों ने लीड किया, जबकि बिलासपुर, मंडी, सोलन का रिजल्ट ठीक-ठीक रहा। वहीं सिरमौर के छात्र इसमें 50 प्रतिशत अंक भी नहीं ले पाए। इसी तरह प्रदेश के किसी भी जिला से पांचवीं कक्षा के छात्र विज्ञान में 75 प्रतिशत से ज्यादा नंबर नहीं ले पाए। आठवीं कक्षा में विज्ञान में मंडी जिला के छात्रों ने सबसे ज्यादा 48 प्रतिशत अंक लिए, वहीं दूसरे जिलों का रिजल्ट तो इससे भी खराब रहा। नेशनल अचीवमेंट सर्वे के दौरान प्रदेश के आठवीं कक्षा के छात्रों से पूछे गए सवालों का जवाब 50 प्रतिशत छात्र  नहीं दे पाए। प्रदेश भर के जिलों से आई इस ऑनलाइन रिपोर्ट से शिक्षा विभाग सहित प्रदेश सरकार भी हैरान है कि आखिर सरकारी स्कूलों में छात्रों की पढ़ने व समझने की क्षमता इतनी कम क्यों है।

छात्रों की रुचि नहीं, शिक्षक गंभीर नहीं

सिरमौर में छात्रों के खराब रिजल्ट का कारण वहां के शिक्षा उपनिदेशक ने छात्रों की पढ़ाई में रुचि न होना और शिक्षकों का भी छात्रों को पढ़ाने में ध्यान न देना बताया। उन्होंने कहा कि सिरमौर मेें अब भी रूढि़वादी विचारों की वजह से शिक्षा के क्षेत्र में विकास नहीं हो पाया है। इसे सुधारने की आवश्यकता है। इसके अलावा शिक्षकों को भी जागरूक करने की जरूरत है।


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