होली और आपकी सेहत

By: Feb 24th, 2018 12:05 am

कई गहरे रंगों के इस्तेमाल से गंभीर बीमारियां लग जाती हैं, खासकर हरे और नीले रंगों से।  होली में आप सब कुछ भूलकर मस्ती के रंग में डूब जाते हैं, लेकिन होली में थोड़ी सी भी असावधानी आपकी सेहत के लिए भारी पड़ सकती है…

होली रंगों का त्योहार है। सभी लोग इस त्योहार को बहुत खुशी और उत्साह से मनाते हैं। इस दिन लोग हरे, लाल, नीले, पीले और कई रंगों से भरे होते हैं, लेकिन होली के कुछ रंग ऐसे होते हैं, जिनसे सेहत को काफी नुकसान होता है। इसलिए होली पर अपनी सेहत का भी खास ध्यान रखना चाहिए। कई गहरे रंगों के इस्तेमाल से गंभीर बीमारियां लग जाती हैं खासकर हरे और नीले रंगों से।  होली में आप सब कुछ भूलकर मस्ती के रंग में डूब जाते हैं, लेकिन होली में थोड़ी सी भी असावधानी आपकी सेहत के लिए भारी पड़ सकती है। कहीं यह मस्ती आपको लिए परेशानी का सबब न बन जाए इसलिए अपनी सेहत का रखें खास ख्याल। इस आधुनिक युग की होली में प्रयोग किए जाने वाले सूखे गुलाल तथा गीले रंगों को प्राकृतिक उत्पादों से नहीं बनाया जाता बल्कि उनमें रासायनिक पदार्थ पाए जाते हैं, जिससे त्वचा में न केवल जलन पैदा होती है, बल्कि यह सब खोपड़ी पर जमा भी हो जाते हैं। होली के दिन रंग गुलाल में भरपूर मस्ती के बाद त्वचा से इन रंगों को छुड़ाना टेढ़ा काम हो जाता है। आइए जानिए इन रंगों के दुष्प्रभावों के बारे में।

स्किन

गहरे रंगों में कांच के टुकड़े, सीसी और एसिड की मिलावट होती है। इससे स्किन की कई समस्याएं हो जाती हैं। होली में ऐसे रंगों से सावधानी बरतनी चाहिए।

स्वास्थ्य

इन रंगों में ऑक्युलर टॉक्सिसिटी होते हैं जो सेहत को हानि पहुंचाते हैं। होली से कई दिन पहले ही बाजार में रंगों की भरमार लग जाती है, लेकिन नीले और हरे रंगों की बजाय हल्के रंगों से होली खेलने से सेहत को ज्यादा नुकसान नहीं होता है।

आंखें

आंखों  को नुकसान पहुंचाने वाले गीले हरे रंगों का इस्तेमाल भी होली पर खूब होता है, जिससे कई बार आंखों में एलर्जी हो जाती है और खुजली होने लगती है। इससे आंखें खराब भी हो सकती हैं।

सांस की परेशानी

इन रंगों से लोगों को सांस की प्रॉब्लम हो जाती है। अस्थमा के मरीजों को होली पर इन गहरे रंगों से बचना चाहिए।कैंसर होली के दिन गहरे गीले रंगों के इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए क्योंकि यह स्किन पर अधिक देर तक लगे रहते हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा हो जाता है। होली में सावधानी आप जब होली की मस्ती में डूबे होते हैं, तो कई बार होली खेलते हुए रंग आंखों में चला जाता है। इन रंगों में केमिकल्ज होने के कारण आंखें लाल हो जाती हैं और उनसे पानी आने लगता है। आंखों में जलन होने लगती है। ऐसे में आंखों को पानी से धोएं और आंखों को रगड़ें बिलकुल भी नहीं। ज्यादा समस्या होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं। आजकल बाजारों में मिलने वाले रासायनिक रंग शरीर के अन्य हिस्सों पर भी बुरा असर डालते हैं। जहां तक संभव हो सूखे रंगों, गुलाल व हर्बल कलर से होली खेलें। हर्बल कलर हमारी त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और आसानी से निकल भी जाते हैं। होली खेलने के बाद जितनी जल्दी हो सके रंगो को छुड़ा दें। ज्यादा देर तक त्वचा पर रंग लगने से आपको त्वचा संबंधी समस्या हो सकती है। सिर से जितना सूखा रंग झाड़ कर निकाल सकते हैं, निकाल दें। क्योंकि रासायनिक रंग ज्यादा देर तक सिर पर रहने से बालों को तो नुकसान पहुंचता ही है साथ ही आपको चक्कर आना, सिर भारी होने की समस्या भी हो सकती है। शरीर से रंग छुड़ाने के लिए कभी भी मिट्टी का तेल और केमिकल डिटर्जेंट या कपड़े धोने का साबुन इस्तेमाल में न लाएं। इससे एग्जिमा होने की समस्या हो सकती है। होली में पानी वाले गुब्बारे से नहीं खेलें न ही दूसरों पर फेंके। इससे कानों में पानी जा सकता है और कान संबंधी समस्या होने का खतरा रहता है। खुले आसमान में हानिकारक यूवी किरणों के साथ-साथ नमी की कमी की वजह से त्वचा के रंग में कालापन आ जाता है।  होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव बन जाती है।  होली के पावन त्योहार में अपनी त्वचा की रक्षा के लिए होली खेलने से 20 मिनट पहले त्वचा पर सनस्क्रीन का लेप कीजिए।


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