850 कर्मियों के रोजगार पर तलवार
तिगाक्षा मैटेलिक्स कंपनी विवाद के चलते रोजी-रोटी पर मंडराया संकट
गगरेट — ब्लेड निर्माता तिगाक्षा मैटेलिक्स प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व को लेकर उपजे विवाद को लेकर इस उद्योग में कार्यरत करीब 850 परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल छाने लगे हैं। सुपरमैक्स पर्सनल केयर प्राइवेट लिमिटेड को संचालित कर रहे ब्रिटिश प्राइवेट इक्वटी फंड के प्रबंधकों द्वारा तिगाक्षा मैटेलिक्स प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारों को लेकर बांबे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद कामगारों के रोजगार पर संकट और गहरा गया है। रविवार को बांबे हाई कोर्ट के आदेश पर इस उद्योग की मशीनरी सील करने आए कोर्ट के प्रतिनिधियों को उद्योग में कार्यरत कामगारों ने मशीनरी सील करने से रोक दिया था। उद्योग की वर्क कमेटी के प्रतिनिधियों ने बांबे हाई कोर्ट से भी आग्रह किया है कि 850 परिवारों का चूल्हा न बुझ सके, इसके लिए न्यायालय इस मामले में कामगारों के हितों का भी ध्यान रखे। वर्क कमेटी के राकेश कुमार शर्मा, विजय धीमान, प्रवीण कुमार, विजय कुमार, कुलजीत कुमार व मनोज कुमार ने बताया कि तिगाक्षा मेटेलिक्स पिछले कई वर्षों से 850 कामगारों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है। अब सुपर मैक्स पसर्नल केयर प्राइवेट लिमिटेड व तिगाक्षा मेटेलिक्स में क्या विवाद है, इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें बस इतना मालूम है कि सुपर मैक्स पसर्नल केयर जॉब वर्क पर तिगाक्षा मेटेलिक्स से ब्लेड का उत्पादन करवाता था और तिगाक्षा मैटेलिक्स का करीब 37 करोड़ रुपए अभी तक सुपरमैक्स पसर्नल केयर द्वारा दिया जाना है। बावजूद इसके तिगाक्षा मेटेलिक्स ने उनका एक दिन का वेतन भी नहीं रोका है। अगर यहां पर मशीनरी सील कर दी गई तो इसका सीधा असर कामगारों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में उनके हितों से कुठाराघात न हो, इसके लिए वर्क कमेटी भी अपना पक्ष प्रदेश उच्च न्यायालय में रखेगी। उन्होंने बांबे हाई कोर्ट से भी निवेदन किया है कि इस मामले में कोई भी निर्णय लेते समय कामगारों के हितों को भी ध्यान में रखा जाए।
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