अध्यापक ने बंजर भूमि में लहराई हरियाली

By: Mar 29th, 2018 12:05 am

नम्होल —महज 200 रुपए की पगार पाने वाले निजी स्कूल के अध्यापक को जब अपने बढ़ते हुए  परिवार के भरण पोषण को और उनके भविष्य की चिंता सताने लगी तो उन्होंने अपनी आर्थिकी बढ़ाने के लिए विकल्प तलाशने आरंभ किए। पुश्तैनी बारह बीघा, बंजर भूमि में खेती करने की कल्पना करना भी एक सपना सा प्रतीत हो रहा था, जहां न कोई सिंचाई की सुविधा थी न ही कुछ उगा पाने की संभावना, लेकिन अपने मजबूत इरादों और बुलंद हौंसलों के बल पर अपनी दस वर्ष की नौकरी को छोड़कर वर्ष 1996 में जो युवा हंसराज खेती बाड़ी में जुटा, वह उम्र के 54वें वर्ष में उसी बंजर भूमि से अब छह लाख से भी अधिक की वार्षिक आय अर्जित करके न केवल किसानों बल्कि उन बेरोजगार युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हैं जो जीवन के स्वर्णिम साल मात्र नौकरी पाने की तलाश में गंवा देते हैं। अध्यापन का कार्य  छोड़कर हंसराज ने पहले अपनी बंजर भूमि से मात्र एक बीघा जमीन को जीतोड़ मेहनत करके खेती के योग्य बनाया। सिंचाई के लिए अपनी जमा पूंजी से बोरवल लगवाया और जीवन के नए अध्याय की शुरुआत की। शिक्षित युवा किसान हंसराज मात्र एक बीघा पर ही खेती करके कहां संतुष्ट हाने वाले थे। तब कृषि विभाग ने हंसराज को एक नई राह दिखाई। उन्हें कृषि विभाग द्वारा पोलीहाउस प्रशिक्षण के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर भेजा गया।  वर्ष 2009 में पंडित दीनदयाल किसान बागबान स्मृद्धि योजना के अंतर्गत 250 वर्ग मीटर भूमि पर कृषि विभाग द्वारा 80 प्रतिशत अनुदान देकर पोलीहाउस स्थापित किया गया। हंसराज ने पोलीहाउस में खीरे की खेती आरंभ की। मात्र तीन माह में 35 क्विंटल खीरे की बंपर फसल से इन्होंने 50 हजार रुपए का शुद्ध लाभ कमाकर अपने त्याग, संर्पण और मेहनत का फल प्राप्त  किया। उन्नत  किसान का पुरस्कार पाने वाले हंस राज वर्तमान में अपनी 12 बीघा भूमि से वर्ष भर बंदगोभी, गाजर, शलगम, चुकंदर, मटर, लहसुन, प्याज, अनार, नाशपाती, शिमला मिर्च, टमाटर बैंगन, घीया और करेले आदि की श्रृंखलाबद्ध बुआई करके तीन तीन फसलें प्राप्त करके छह लाख से भी अधिक वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं। हंसराज अपनी समस्त भूमि पर जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। पौधों पर गुड़, घी, बेसन व गोबर से निर्मित मटका खाद का स्प्रे किया जाता है। समय-समय पर कृषि विभाग के अधिकारी इनके खेतों में जाकर इनकी फसलों की जांच करते हैं और खेती की उन्नत विधियों से अवगत करवाकर निरंतर प्रोत्साहित करते आ रहे हैं। हंसराज सब्जियों की खेती के अतिरिक्त इनकी पनीरियों को भी तैयार करके 27 से 40 हजार रुपए तक की वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं। इन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए  किसी बाजार या मंडी के चक्कर नहीं काटने पड़तें। हंसराज का कथन है कि नौकरी की अपेक्षा खेतीबाड़ी और स्वरोजगार में आय अर्जित करने की आपार संभावनाएंं है। अगर युवा वर्ग अपना ध्यान नौकरियों के बदले इस ओर लगाए तो वह दिन दूर नहीं जब देश तीव्र गति से ऊंचाइयों के नए आयाम स्थापित करेगा।

 


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