एनजीटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

By: Mar 15th, 2018 12:08 am

अवैध भवनों के नियमितीकरण के मामले में विधानसभा में सरवीण चौधरी का ऐलान

शिमला— अवैध भवनों के नियमितीकरण मामले में राज्य के हजारों लोगों को राहत दिलाने के लिए हिमाचल सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सरकार ने एनजीटी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। नगर नियोजन मंत्री सरवीण चौधरी ने यह ऐलान करते हुए कहा है कि एनजीटी की मौजूदा डबल बैंच इस पर फैसला दे या फिर सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि अढ़ाई मंजिलों के नियमितीकरण की जगह लोगों को चार मंजिलों तक के भवनों के नियमितीकरण की इजाजत मिले। विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह के सवाल का जवाब देते हुए सुश्री चौधरी ने कहा कि एनजीटी के समक्ष सरकार की समीक्षा याचिका दाखिल की जा चुकी है, पर इस समय एनजीटी में पूर्ण पीठ नहीं है। इसके दो सदस्य अध्यक्ष स्वतंत्र सिंह और राघविंद्र एस राठौड़ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब सरकार के पास उच्चतम न्यायालय में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल करने का विकल्प है तथा वह उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करेंगे कि या तो एनजीटी की दो सदस्यीय पीठ समीक्षा याचिका पर निर्णय करे या फिर उच्चतम न्यायालय ही निर्माण गतिविधियों पर स्थगन हटाए। सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और वह जल्द से जल्द लोगों को राहत दिलाना चाहते हैं। सरवीण चौधरी ने कहा कि सरकार भी चाहती है कि अढ़ाई मंजिलों के फैसले के खिलाफ रिव्यू में जाएं और कम से कम चार मंजिलों तक की इजाजत मिले। विधायक इंद्र सिंह ने भी अनुपूरक सवाल किया, वहीं विक्रमादित्य सिंह ने सुझाव देने के साथ सरकार की संजीदगी को लेकर सवाल दागा। सरकार की संवेदनशीलता को लेकर लगाए गए आरोप पर सरवीण चौधरी ने पूरी बेबाकी के साथ कहा कि पूर्व सरकार कितनी संवदेनशील थी, इसका पता यहीं से चलता है कि दिल्ली में बिठाए एक वकील पर बेवजह 36 लाख रुपए खर्च दिए। एक वकील, जिनका नाम पेनाती मिश्रा है, ने 36 लाख रुपए प्रदेश सरकार से ले लिए, मगर 36 शब्द भी पैरवी में नहीं कहे।

पूर्व सरकार ने क्या किया, यह मायने नहीं रखता : विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अनुपूरक सवाल में कहा कि पूर्व सरकार ने इस मामले में क्या किया, यह मायने नहीं रखता। वर्तमान सरकार क्या कर रही है, मायने यह रखता है। अवैध निर्माण को बैन करने की बात एनजीटी ने कही थी, जिसने अढ़ाई मंजिलों से ऊपर के भवन नियमित नहीं करने की बात कही है। उन्होंने उदाहरण दिया कि यहां पर सचिवालय और सिसिल होटल की भी कई मंजिलें हैं, लेकिन ये सालों पहले बन चुके हैं। वह जानना चाह रहे थे कि अढ़ाई मंजिलों को लेकर एनजीटी के आदेशों पर सरकार रिव्यू में जा रही है या नहीं।

विधानसभा के कानून बनाने के हक का हनन : कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह का कहना था कि विधानसभा कानून बनाती है और उस कानून को दालत लागू करती है, लेकिन यहां इससे उलट हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल शिमला क्षेत्र का ही मामला नहीं है, बल्कि भवन नयमितीकरण का मुद्दा पूरे प्रदेश का है, जिससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं। इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट से राहत की गुहार लगाए।


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