कोचिंग की हो व्यवस्था

By: Mar 1st, 2018 12:05 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

भारतवर्ष में रोजाना खबरों की पड़ताल करें तो सर्वाधिक खबरें एवं चर्चा शिक्षा के संदर्भ में और शिक्षा क्षेत्र में हर दिन दर्ज की जा रही गिरावट को लेकर देखने को मिलेंगी। हिमाचल के मामले में तो ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से ही सारी शिक्षा व्यवस्था को चलाया जा रहा है। भारत में 21वीं शताब्दी में अभिभावकों ने अपना सर्वाधिक जोर बच्चों को बेहतर  शिक्षा दिलाने में लगा रखा है, ताकि उत्तम शिक्षा के बलबूते उनके बच्चे अभावों एवं गरीबी की परछाई से स्वयं को मुक्त कर सुंदर जीवनयापन करें। मां-बाप अपने बच्चों की बाल्यावस्था से ही अच्छे स्कूलों में नामांकन की होड़ में अपना सर्वस्व झोंक दे रहे हैं। स्कूली शिक्षा के साथ और बाद में वे अपने बच्चों को ट्यूशन और कोचिंग संस्थानों में भेजने के नाम पर बेतहाशा खर्च करने को मजबूर हैं। आखिर क्या वजह है कि आज सुबह-सवेरे से लेकर शाम ढलने तक हमारे नौनिहाल स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के बीच चक्करघिन्नी बनकर रह गए हैं? हिमाचल में तो वैसे भी खेल के मैदान न के बराबर हैं। ऊपर से बारहवीं कक्षा के तुरंत बाद उच्च शिक्षा हेतु बेहतरीन महाविद्यालयों में दाखिले कि जद्दोजहद ने बच्चों से ढंग से खाने-पीने की, घूमने-फिरने की आजादी को भी छीन लिया है।

केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2007-08 के 18 हजार 439 करोड़ रुपए के मुकाबले वर्ष 2015-16 में प्रारंभिक शिक्षा बजट करीब दोगुना 32 हजार 940 करोड़ रुपए करने के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं और ट्यूशन तथा कोचिंग का बाजार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और डीआईएसई के आंकड़े बताते हैं कि देश में 4.5 लाख अप्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षक कार्यरत हैं, फिर उत्तम शिक्षा की कल्पना करना बेमानी ही होगा। वर्ष 2007 से 2013 के बीच जहां सरकारी स्कूलों में एक करोड़ 17 लाख बच्चों का कम दाखिला हुआ, वहीं निजी स्कूलों में दो करोड़ 70 लाख बच्चों के दाखिले में बढ़ोतरी हुई है। अकेले हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में 15 से 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा रही है। गांवों से लेकर बड़े शहरों तक भले ही उच्च शिक्षा पाने के लिए छात्रों की कतारें लगी हुई हैं, लेकिन उत्कृष्टता के मामले में गिरावट ही दर्ज हो रही है। दूसरी तरफ हमारे देश में आज भी चार करोड़ 70 लाख लड़के-लड़कियां सीनियर सेकेंडरी स्कूलों से बाहर हैं। पढ़कर यह भी अचरज होता है कि विदेशों में शोध एवं नवोन्मेष से जुड़ी परियोजनाओं में सर्वाधिक योगदान भारतीयों का है, परंतु वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक में भारत का स्थान 81वां है। आखिर इस विसंगति के लिए कौन उत्तरदायी है?

नेशनल सैंपल सर्वे आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में 7.1 करोड़ विद्यार्थी प्राइवेट ट्यूशन ले रहे हैं जो कुल विद्यार्थियों की संख्या का 26 फीसदी बैठता है, जबकि 2011 की जनगणना रिपोर्ट ने देश में कुल विद्यार्थियों की संख्या 31.5 करोड़ बताई थी। सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार ट्यूशन पढ़ाने के पीछे अभिभावकों की कोशिश है कि उनके बच्चों की बुनियादी शिक्षा के स्तर में सुधार हो। यदि निजी कोचिंग बाजार का जायजा लें तो एनएसएसओ और एसौचेम के अनुसार, हमारे देश में निजी कोचिंग का बाजार 272 अरब रुपए के आंकड़े को छू रहा है और अगले पांच सालों में यह पांच सौ अरब रुपए तक पहुंच जाएगा। अकेले कोटा में ही तीन सौ से ज्यादा प्रमुख कोचिंग संस्थान हैं, जहां लगभग तीन लाख से ज्यादा छात्र-छात्राएं ट्यूशन ले रहे हैं। अच्छे कोचिंग इंस्टीच्यूट, चाहे वे कोटा, दिल्ली, मुंबई अथवा चंडीगढ़ के हों, प्रति छात्र 1.5 लाख से 2.8 लाख तक की सालाना फीस वसूलते हैं।

हिमाचल प्रदेश के हजारों बच्चे आज की तारीख में चंडीगढ़ के कोचिंग संस्थाओं में ट्यूशन पढ़ते हुए मिल जाएंगे, जबकि उनकी डमी एडमिशन हिमाचल के भीतर चल रहे निजी स्कूलों में होती है। प्राइवेट स्कूल यह काम मोटी फीस लेकर करते हैं। एक तरफ बच्चों के अभिभावक दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं, प्राइवेट स्कूलों को बैठे-बिठाए इन विद्यार्थियों की मेहनत का चोखा रिजल्ट मिल रहा है और इनकी दुकानदारी खूब चमक रही है।

पिछले दिनों एक खबर के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की सरकार द्वारा नवमी से बारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए जेईई, एनडीए और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग योजना हिमाचल-2018 शुरू करने की घोषणा की गई थी और हिमाचल प्रदेश सरकार जल्द ही इसके लिए एक वेबसाइट जारी करने वाली थी, ताकि गरीब विद्यार्थियों को बेहतर भविष्य के लिए निःशुल्क कोचिंग दी जा सके। क्या हिमाचल प्रदेश सरकार कम एवं मध्यम आय वर्ग के हिमाचली नागरिकों को प्रदेश के भीतर और बाहर खुले निजी कोचिंग संस्थानों की लूट से बचाने के लिए आगे आएगी? यदि हां, तो मेरी सरकार से गुजारिश है कि इसी बजट सत्र में प्रदेश के बच्चों के हक में इसी वर्ष से फ्री कोचिंग योजना अथवा अनुदान पर कोचिंग योजना के श्रीगणेश की घोषणा करे।


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