जेई बिना काम दफ्तर बैठे, तो सस्पेंड

By: Mar 26th, 2018 12:01 am

आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने जारी किए निर्देश; कहा, फील्ड में रहकर ही निभानी होगी अपनी ड्यूटी

बिलासपुर – हिमाचल प्रदेश में अब सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कनिष्ठ अभियंता (जेई) दफ्तर में बैठकर फील्ड के कार्य नहीं देखेंगे, बल्कि उन्हें फील्ड की दौड़ लगानी पड़ेगी और फील्ड कार्यों की प्रगति रिपोर्ट भी देनी होगी। यदि कभी किसी भी समय औचक निरीक्षण के दौरान कोई जेई बिना काम के दफ्तर में बैठे हुए पाया जाता है, तो उसे तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाएगा। विभागीय कामकाज में स्फूर्ति और पारदर्शिता लाने के मद्देनजर ये निर्देश दिए गए हैं। यह खुलासा रविवार को यहां उपायुक्त कार्यालय परिसर स्थित बचत भवन में सूखे की स्थिति से निपटने को लेकर आयोजित बैठक के बाद आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बातचीत में किया है। उन्होंने बताया कि जेई का कार्य फील्ड में ही होता है और यदि ये लोग अपनी ड्यूटी सही ढंग से निभाएं, तो जनता को किसी भी प्रकार की परेशानी आड़े नहीं आएगी। अकसर देखा गया है कि कई जेई दफ्तरों में बैठे रहते हैं और वहीं से अपना कामकाज करते हैं, जिस कारण फील्ड में स्टाफ के अलावा जनता को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है, लेकिन अब आगे से ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बाबत विभाग के आला अधिकारियों को भी विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। महेंद्र ठाकुर ने सभी कनिष्ठ अभियंताओं को फील्ड संभालने के निर्देश दिए हैं। जेई को फील्ड में रहकर अपनी ड्यूटी सही तरीके से निभानी होगी। साथ ही विभाग को यह भी कहा गया है कि ठेकेदारों पर निर्भर न रहा जाए, बल्कि विभाग का अपना दायित्व सही ढंग से निभाएं। अमूमन ऐसा पाया गया है कि ठेकेदार विभाग को चला रहे हैं, जबकि ठेकेदारों पर डिपेंड रहने के बजाय उनके कार्यों की सही तरीके से परख की जाए, ताकि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता बनी रहे। विभाग के किसी भी कार्य में कोताही किसी भी सूरत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

पेयजल योजना में खामियों पर संज्ञान

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा नयनादेवी के लिए स्वीकृत की गई 10 करोड़ की पेयजल स्कीम को लेकर विधायक रामलाल ठाकुर ने सवाल खड़े किए। रामलाल ठाकुर ने आईपीएच मंत्री को अवगत करवाया गया कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय पूर्व राष्ट्रपति नयनादेवी के दरबार मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आए थे, तो उन्होंने नयनादेवी के लिए कालाकुंड से उठाऊ पेयजल योजना को स्वीकृति प्रदान की थी। दस करोड़ रुपए का बजट भी दिया था, लेकिन इस स्कीम पर सही ढंग से काम नहीं हुआ। बार-बार आवाज बुलंद की गई, लेकिन कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा सकी है। इस पर आईपीएच मंत्री ने कड़ा संज्ञान लेते हुए विभाग को त्वरित कार्रवाई के लिए आदेश जारी किए हैं।


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