देवसदन में अहिंसा-ईमानदारी की सीख

By: Mar 5th, 2018 12:01 am

अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी में शिक्षकों-छात्रों ने पढ़े शोधपत्र, मानव मूल्यों का पढ़ाया पाठ

कुल्लू  – रूपी सिराज कला मंच की ओर से देवसदन कुल्लू में आयोजित दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी रविवार को संपन्न हुई। सेमिनार में अहिंसा, ईमानदारी, एकता, सहिष्णुता, समानता व सहयोग आदि गुणों पर चर्चा की गई। राजकीय महाविद्यालय पनारसा की प्रधानाचार्या डा. नीलम शर्मा ने संगोष्ठी का समापन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में जिन भी शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्रों ने अपने शोध पत्र पढ़े हैं, उन्हें वे अपने जीवन और समाज में भी ढालने का प्रयास करें।  सेमिनार में  सात प्रदेशों व हिमाचल प्रदेश के 10 कालेजों से 72 शिक्षकों, शोधार्थियों व पर्यावरणविद उपस्थित रहे। सेमिनार में सभी ने मानव मूल्यों से ओत-प्रोत अपने विचार प्रकट किए। कुल्लू कालेज के प्राध्यापक डा. अशोक शर्मा ने कहा कि मानव मूल्यों के बिना समाज विकास नहीं कर सकता। ऐसे में इस तरह की संगोष्ठी काफी लाभप्रद साबित होगी। संस्था के सचिव डा. दयानंद गौतम ने कहा कि आज के समाज में गिरते मूल्यों को जानने के साथ उनमें सुधार के प्रयास करने होंगे। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में दक्षिण कोरिया के पहले भारतीय पीएचडी डा. कोह जोंग किम ने जहां इस सेमिनार का शुभारंभ किया था, तो वहीं राजकीय महाविद्यालय पनारसा की प्रधानाचार्या डा. नीलम शर्मा ने सेमिनार का समापन किया। डा. दयानंद गौतम ने कहा कि सेमिनार में विद्वानों ने जो शोध पत्र पढ़े हैं, उन सभी शोध पत्रों को अशुद्धि निवारण करके पुस्तक का आकार दिया जाएगा। सेमिनार के उपरांत मुख्यातिथि ने सभी को प्रमाणपत्र भी वितरित किए।

रूपी सिराज कला मंच के सौजन्य से कार्यक्रम

सेमिनार आयोजित करवाने वाली संस्था रूपी सिराज कला मंच का कद भी बड़ा है। यह संस्था वर्ष 1984 में पंजीकृत हुई है। संस्था भाषा और संस्कृति विभाग द्वारा वित्त पोषित है। बता दें कि वर्ष 2005 ई. में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने दशहरा उत्सव के अवसर पर लोकसाहित्य का विशिष्ट ग्रन्थ ‘कुल्लवी बोली में महाभारत’ का विमोचन किया, जो लालदास पंकज द्वारा लिखित और इस संस्था द्वारा संपादित है। 2007 में तत्कालीन राज्यपाल विष्णु सदाशिव कोकजे ने साहित्य, संगीत एवं कला के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त लोगों को सम्मानित किया। इसी कड़ी में कुल्लू के साहित्यकार राम कुमार कपूर ने दुर्लभ होली गीतों को संकलित कर ‘कविता के शब्द और संगीत की स्वरलहरियां’ शीर्षक पुस्तक का संकलन किया, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने लोकार्पित किया।


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