नोटबंदी से फायदा नहीं

By: Mar 3rd, 2018 12:06 am

15 महीने के बाद वापस सर्कुलेशन में लौट आया उतना ही कैश

नई दिल्ली — देश में करंसी का सर्कुलेशन एक बार फिर नोटबंदी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा समय में करंसी का सर्कुलेशन नोटबंदी से पहले के स्तर का 99.17 फीसदी हो चुका है। आरबीआई के मुताबिक, 23 फरवरी तक अर्थव्यवस्था में संचालित कुल करंसी 17.82 लाख करोड़ रुपए है, वहीं नोटबंदी से ठीक पहले चार नवंबर, 2017 तक कुल करंसी सर्कुलेशन 17.97 लाख करोड़ रुपए था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को नोटबंदी का ऐलान करते हुए अर्थव्यवस्था में संचालित 500 और 1000 रुपए की करंसी को प्रतिबंधित करते हुए लगभग आठ लाख करोड़ रुपए की कुल मुद्रा को वापस ले लिया था। इसकी जगह रिजर्व बैंक ने पहले 2000 रुपए और फिर 500 रुपए की नई करंसी को संचालित किया। नोटबंदी का यह फैसला केंद्र सरकार ने देश में कालेधन पर लगाम लगाने, नकली करंसी पर नकेल कसने और देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए उठाया था। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद नवंबर, 2016 से देश में पेमेंट करने के लिए डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल में बड़ा इजाफा देखने को मिला था, जिसके बाद देश के सभी बैंकों ने डिजिटल माध्यमों के इस्तेमाल के लिए बड़ी तैयारी की, लेकिन आरबीआई के जनवरी, 2018 के बाद के आंकड़ों में देखा गया कि देश में करंसी ट्रांजेक्शन बढ़कर 89000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जबकि डिजिटल माध्यमों से पेमेंट का आंकड़ा तेजी से गिर गया। रिजर्व बैंक के इन आंकड़ों ने अर्थशास्त्रियों को भी हैरान कर दिया है, वहीं केंद्र सरकार के लिए भी यह चुनौती है, क्योंकि नोटबंदी लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने देश में कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का हवाला भी दिया था। लिहाजा, अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या करंसी सर्कुलेशन के स्तर से नोटबंदी का एक अहम मकसद विफल हो चुका है और अब देश डिजिटल माध्यमों से दूर हो रहा है?


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