पद 59… खाली 27

By: Mar 20th, 2018 12:05 am

गगरेट  —तो फिर ऐसे में शून्य से पांच साल के बच्चे कुपोषण का शिकार होने से कैसे बच पाएंगे। दरअसल जिस फौज के सहारे महिला एवं बाल कल्याण विभाग शून्य से पांच साल के बच्चों को कुपोषण का शिकार होने से बचाने की लड़ाई लड़ रहा है, वह फौज ही गायब है। जिला में समेकित बाल विकास परियोजना में कर्मचारी ही नहीं अधिकारियों का जबरदस्त अकाल है। जिला के पांच में से चार परियोजनाओं के पास बाल विकास परियोजना अधिकारी ही नहीं है तो पर्यवेक्षक के कुल 59 पदों में से 27 पद रिक्त चले हुए हैं। ऐसे में विभाग द्वारा चलाई जा रही अन्य कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित न हो इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता। जिला में महिला एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा 1368 के करीब आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इन आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन के लिए जिला को समेकित बाल विकास परियोजना के पांच खंडों में विभाजित किया गया है। मौजूदा समय में बाल विकास परियोजना गगरेट, अंब, हरोली व धुंधला बिना बाल विकास परियोजना अधिकारियों के चल रही हैं। जाहिर है कि जिस फौज का कप्तान ही नहीं होगा वह फौज योजनाओं का क्रियान्वयन तय समय पर कैसे कर पाएगी। हालात यहां तक ही बदतर नहीं है बल्कि आंगनबाड़ी केंद्रों के सफल संचालन के साथ धरातल स्तर तक विभाग की परियोजनाएं पहुंचाने व जिले में शिशु लिंग अनुपात का आंकड़ा सुधारने का जिम्मा संभाले इन परियोजनाओं में पर्यवेक्षकों का भी जबरदस्त अकाल है। हालांकि जुगाड़ से गाड़ी चलाने के लिए अब सर्किल का अतिरिक्त कार्यभार अन्य पर्यवेक्षकों को दिया गया है, लेकिन काम के अधिक बोझ के चलते कई पर्यवेक्षक भी तनाव का शिकार होने लगे हैं। जाहिर है कि महिलाओं व बच्चों के कल्याण से सीधे जुड़े इस विभाग में बरती जा रही यह लापरवाही सीधे-सीधे महिलाओं व शून्य से पांच साल तक के बच्चों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ ही है। ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों का भी नियमित निरीक्षण नहीं हो पा रहा है। जिला में चार बाल विकास परियोजना अधिकारियों के पद रिक्त होने के साथ 29 पर्यवेक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। वस्तुस्थिति से उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है। उम्मीद है कि शीघ्र ही रिक्त पदों पर तैनाती होगी या यहां का कार्यभार सक्षम कर्मचारियों को सौंपा जाएगा।


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