पहली कक्षा से अंग्रेजी पढ़ेंगे छात्र

By: Mar 16th, 2018 12:10 am

प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में अगले सत्र से शुरू होगा विषय, सीबीएसई सिलेबस पर भी फैसला

हमीरपुर— हिमाचल प्रदेश केसरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेजी विषय अनिवार्य हो जाएगा। इसके अलावा राज्य के सभी स्कूलों में एनसीआरटी के स्थान पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का पाठ्यक्रम आरंभ किया जा रहा है। राज्य सरकार इन दोनों अहम फैसलों को अगले शैक्षणिक सत्र से लागू कर सकती है। स्कूल शिक्षा बोर्ड ने इसका खाका तैयार कर लिया है। इसके तहत निजी व सरकारी स्कूलों में सीबीएसई का पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना है। इससे निजी व सरकारी स्कूलों में छात्रों को एक समान पाठ्यक्रम मिलेगा। जाहिर है कि प्रदेश के अधिकतर सरकारी स्कूलों में एनसीआरटी का सिलेबस पढ़ाया जा रहा है। कई प्राइवेट स्कूलों में सीबीएसई का सिलेबस लागू है। इसके चलते वार्षिक परीक्षाआें में बोर्ड के छात्रों को कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है। इसके अलावा एक समान पाठ्यक्रम न होने के चलते प्रतियोगी परीक्षाओं में भी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। अतः हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड ने यह अहम फैसला लिया है कि पूरे प्रदेश में सीबीएसई का सिलेबस पढ़ाया जाए। बोर्ड के आधिकारिता सूत्रों की मानें, तो एनसीआरटी तथा सीबीएसई के सिलेबस में अब ज्यादा अंतर नहीं है, लेकिन सिलेबस फोबिया के चलते छात्रों में असमानता का भाव पैदा हो रहा है। खासकर प्राइवेट तथा सरकारी स्कूलों के छात्रों के बीच एनसीआरटी और सीबीएसई के पाठ्यक्रम में खाई पैदा कर दी है। जानकारी के अनुसार स्कूल शिक्षा बोर्ड ने प्रदेश भर के कई स्कूलों से पाठ्यक्रम को लेकर फीडबैक तक लिया है। इस आधार पर अधिकतर स्कूलों ने सीबीएसई के पाठ्यक्रम के लिए सहमति जताई है। शिक्षा के गुणात्मक सुधार और सरकारी स्कूलों के छात्रों को कंपीटीटिव एग्जाम के लिए तैयार करने के खातिर सरकार भी सीबीएसई पाठ्यक्रम के पक्ष में है। इसकी सैद्धांतिक मंजूरी भी सरकार ने प्रदान कर दी है। हालांकि फाइनल मुहर प्रदेश मंत्रिमंडल की ही लगेगी। इसके चलते स्कूल शिक्षा बोर्ड सीबीएसई पाठ्यक्रम करने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेज रहा है।

शिक्षा स्तर सुधारने को योजना तैयार

सरकारी स्कूलों में लगातार कम हो रही छात्रों की संख्या लंबे समय से चिंता का सबब बनी हुई है। यही कारण है कि कई स्कूलों में सिर्फ नाममात्र ही छात्र हैं। इसी वजह से कई स्कूल मर्ज भी हो चुके हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए पहली कक्षा से ही अंग्रेजी शुरू करने की योजना तैयार हो रही है। अब इस स्थिति से निपटने के लिए शिक्षा बोर्ड सरकारी स्कूलों में बुनियादी स्तर से ही गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने जा रहा है।


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