पाठ्यक्रम में शामिल हो ग्रामीण विकास विषय

By: Mar 31st, 2018 12:01 am

शिमला  – ग्रामीण विकास विषय को महाविद्यालय के पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी को भी ग्रामीण विकास की बारीकियों को समझाया जा सके। यह मांग विश्वविद्यालय में चल रहे फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम के सातवें अंतिम दिन प्रतिभागियों ने उठाई। एनसीआरआई हैदराबाद और अंतर्विषयक विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में चल रहे फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम का समापन हुआ, जिसमें बतौर मुख्यातिथि प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र सिंह चौहान उपस्थित हुए। इस कार्यक्रम के दौरान जिन विषयों पर चर्चा हुई, उस पर सभी प्रतिभागियों को प्रोजक्ट दिए थे, जिसके लिए चार समूहों का निमार्ण किया गया था। एक समूह में ग्रामीण संस्कृति डा. मीनाक्षी, डा. रांगटा, डा. पुष्पा, डा. वेद प्रकाश, कुलदीप सिंह, दूसरे समूह के लिए विषय ग्रामीण प्रौद्योगिकी था, जिसमें श्रवण कुमार, डा. अजय कायथ, दीप सिंह, बबली, तीसरे समूह के लिए विषय था ग्रामीण स्वास्थ्य, जिसमें डा. सावित्री, डा. पूनम किमटा चौहान, डा. ललित, डा. रतन सिंह, डा. वीरेंद्र संतवान व डा. बलदेव सदस्य थे। चौथे समूह में डा. रणधीर, डा. संजीव, डा. अत्री, डा. भरत, डा. चंद्र रांगटा व सुनील जसवाल थे। सुबह के सत्र में चारों समूहों ने अपनी परियोजनाओं की प्रस्तुति दी, जिसमें नेश्नल काउंसिल ऑफ रूरल इंस्टीच्यूट के वरिष्ठ सलाकार डा. अंजलि और अंतर्विषयक विभाग के निदेशक प्रो. भट्ट ने अवलोकन किया और सभी प्रतिभागियों से चर्चा के उपरांत अपने कमेंट दिए। सभी प्रतिभागियों ने पूरे सात दिन की गतिविधियों का रिव्यू करते हुए अपने अनुभव साझा  किए। सभी ने कार्यक्रम में आए स्रोत व्यक्तियों, जिनमें प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली, डा. सत्यप्रकाश मेहरा, नाइटर के प्राध्यापक प्रो. यूएन राय, टाटा सामाजिक संस्थान से प्राध्यापक डा. कृष्णा सुधीर, ग्रामीण विकास सचिव डा. रविंद्र नाथ बत्ता, निदेशक डा. राकेश कंवर इत्यादि प्रसिद्ध स्रोत व्यक्तियों द्वारा प्रतिभागियों के साथ मिलने और चर्चा का मौका देने के लिए दोनों संस्थानों का आभार व्यक्त किया। अधिकांश प्रतिभागियों ने आग्रह किया कि ग्रामीण विकास के विषय को महाविद्यालय के पाठ्यक्रमों में भी शामिल किया जाना चाहिए। कुलपति प्रो. राजेंद्र चौहान ने अंतर्विषयक विभाग के निदेशक और संकाय सदस्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बड़े ही कम समय में विभिन्न अकादमिक गतिविधियों को बड़ी गंभीरता से किया गया। लगातार तीन कार्यक्रम कराना, जिसमें जैविक किसान मंडी, करिकुलम निर्माण कार्यशाला और फिर यह सात दिवसीय फैकल्टी डिवेलपमेंट कार्यक्रम करवाकर विभाग ने मिसाल कायम की है। वहीं कुलपति और निदेशक ने सभी प्रतिभागियों को सफलतापूर्वक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रमाण-पत्र वितरित किए।


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