सीईओ पद के लिए सूची भेजी

By: Mar 16th, 2018 12:05 am

ददाहू, श्रीरेणुकाजी – तीर्थ श्रीरेणुकाजी में धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की तर्ज पर 1984 में गठित रेणुकाजी विकास बोर्ड के राजनीतिक पद मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ पद के लिए रेणुकाजी भाजपा मंडल ने पार्टी समर्थित गैर सरकारी 38 सदस्यों की सूची तैयार कर मुख्यमंत्री को प्रेषित की है। मुख्यमंत्री की मुहर के बाद आर्ट एडं क्राफ्ट को यह सूची भेजी जाएगी। यहां से उपायुक्त सिरमौर को यह अनुमोदित लिस्ट आएगी, जिसके बाद रेणुकाजी विकास बोर्ड के सीईओ का पद सदस्यों में से भरा जाएगा। तीर्थ श्रीरेणुकाजी के विकास, मंदिरों के रखरखाव के अलावा तीर्थस्थल में आयोजित होने वाले धार्मिक महत्त्व के अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले का सफल आयोजन की जिम्मेदारी भी सीईओ पर रहती है। राजनीतिक रूप से भरे जाने वाले इस पद के लिए अब कुछ वर्षों से इसके चाहवान भी बढ़ने लगे हैं। रेणुकाजी तीर्थ में ब्रह्मलीन आचार्य चंद्रमणि वशिष्ठ को रेणुकाजी विकास बोर्ड के गठन का श्रेय जाता है। 1984 में उनके अथक प्रयासों से धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की तर्ज पर रेणुकाजी विकास बोर्ड का गठन किया गया है। यहां उनके कार्यकाल में हुए अभूतपूर्व विकास को आज भी याद किया जाता है। सीईओ का पद पांच वर्षों के लिए होता है। वहीं, जिस भी पार्टी की प्रदेश में सरकार होती है वही पार्टी का निष्ठावान इस पद पर बैठाया जाता है। बोर्ड में सरकारी सदस्य जिला के प्रत्येक विभाग से होते हैं, जबकि उपायुक्त सिरमौर बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं। जबकि गैर सरकारी सदस्यों की दो-दो संख्या में जिला के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से गैर सरकारी सदस्य बनाए जाते हैं। इस मर्तबा रेणुका भाजपा ने भी ऐसा किया है। तैयार की गई सूची में मंडल अध्यक्ष प्रताप तोमर के अनुसार सभी पांच विधानसभा क्षेत्र से सदस्य लिए गए हैं। बोर्ड की आय का मुख्य जरिया मेला के दौरान प्लाट आबंटन, रेणुका झील में नौकायन ठेका, विश्राम गृह तथा मंदिर चढ़ावा रहता है, जबकि बोर्ड में आठ कर्मचारी वर्तमान में तैनात हैं, जिन्हें मासिक वेतन दिया जाता है। वहीं सीईओ को केवल मानदेय ही मिलता है। मंडल अध्यक्ष प्रताप तोमर का कहना है कि सीईओ ईमानदार, बुद्धिमान तथा साफ छवि का ही चुना जाएगा जिसका फैसला जल्दी ही होगा। बता दें कि रेणुकाजी तीर्थ वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी एरिया में आता है। यहां बोर्ड अब तक चाहकर भी संरचानात्मक ढांचे को विकसित नहीं कर पाया है। वहीं सीईओ का पद केवल वीआईपी की आवाभगत तक ही सीमित रह गया है, जबकि तीर्थ के विकास के लिए रोडमैप तैयार कर उसे लागू करना वाइल्ड लाइफ के साथ हमेशा टकराव वाली स्थिति का रहता है।


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