80 फीसदी सिंचाई योजनाएं असफल

By: Mar 16th, 2018 12:06 am

शिमला— सदन में गुरुवार को बजट पर जारी चर्चा में शामिल  होते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि सिंचाई योजनाओं पर करोड़ों का खर्च कर लें। यह 80 फीसदी भी सफल नहीं हो पाती है। खेतों तक किसानों की सुविधानुसार पानी नहीं पहुंचता। यह सप्लाई भी आईपीएच विभाग की मर्जी पर आधारित होती है। उन्होंने अपने चुनाव क्षेत्र नादौन का हवाला देते हुए कहा कि सब्जियां तो बहुत लगती हैं, मगर मार्केटिंग नहीं होती। जिस तरह से केंद्र सरकार टमाटर, आलू, प्याज पर 500 करोड़ की लागत से समर्थन मूल्य दे रही है, क्या हिमाचल में भी ऐसा होगा, इस पर गंभीरता से विचार करें। उन्होंने कोटखाई प्रकरण को लेकर कहा कि दुख इस बात का है कि इस मामले में राजनीतिक रोटिया सेंकी गईं, मगर अभी तक न्याय नहीं मिल पाया। चिट्टा रोहड़ू कैसे पहुंच रहा है, इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने इसे रूटीन का बजट बताते हुए कहा कि खेतों में सिंचाई के लिए एश्योर्ड इरिगेशन योजना होनी चाहिए। जब किसान चाहे उसे एक किलोमीटर के दायरे में सिंचाई के लिए भंडारण द्वारा पानी उपलब्ध हो सके। गो संरक्षण के लिए प्रति बोतल एक रुपया ही नहीं, इसके लिए कुल राजस्व का एक फीसदी आबंटित होना चाहिए, तभी 40 करोड़ की राशि से यह योजना आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि 10 रेजीडेंशियल स्कूल खोलने की सोच अच्छी है, मगर यह योजना सुविधा संपन्न होनी चाहिए। पच्चास से 70 बीघा में इसके कैंपस बनें और पीटीए, एसएमसी  से हट कर इन स्कूलों के लिए अलग कैडर बने।

ऑनलाइन हो नीलामी

श्री सुक्खू ने कहा कि खनन पट्टों की नीलामी ऑनलाइन होनी चाहिए, सिलेक्टिड लोगों के लिए नहीं। एक ही समय में खुली नीलामी प्रक्रिया पूरे प्रदेश में हर साल होनी चाहिए।

संशोधन पर आंदोलन

श्री सुक्खू ने चर्चा के दौरान कहा कि यदि धारा-118 के एक्ट में संशोधन किया गया तो आंदोलन करेंगे। किसान के अहित में कुछ भी बर्दाश्त नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि नियमों में सरलीकरण तो हो सकता है।


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