आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण

By: Apr 4th, 2018 12:10 am

बालकृष्ण का जन्म 4 अगस्त,1972 को हुआ। उनकी मां का नाम सुमित्रा देवी और पिता का नाम जय वल्लभ था। उन्होंने संस्कृत में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान में निपुणता प्राप्त की और इसका प्रचार-प्रसार किया। आयुर्वेद के प्रचार और प्रसार में बालकृष्ण का बहुत योगदान है। उनका जन्म दिवस पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट से जुड़े लोग जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाते हैं। आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेद केंद्र के माध्यम से पारंपरिक आयुर्वेद पद्धति को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक औषधियों के ऊपर पुस्तक भी लिखी है। बालकृष्ण ने रामदेव के साथ मिलकर हरिद्वार में आचार्यकुलम की स्थापना की। वह नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान से भी जुड़े हैं।

पुस्तकेंः आयुर्वेद सिद्धांत रहस्य, आयुर्वेद जड़ी-बूटी रहस्य, भोजन कौतुहल, आयुर्वेद महोदधि, अजीर्णामृत मंजरी, विचार क्रांति (नेपाली ग्रंथ) आदि पुस्तकें बालकृष्ण द्वारा रचित हैं।

शोधपत्र प्रकाशनः आचार्य बालकृष्ण ने अपने सह लेखकों के साथ मिलकर कुल 41 शोध पत्र लिखे हैं। सभी शोधपत्र योग, आयुर्वेद और दवाइयों से संबंधित हैं।

बालकृष्ण और योग

आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ बालकृष्ण योग के प्रति भी लोगों को जागरूक बनाने का कार्य कर रहे हैं । आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद की दिशा में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उनके द्वारा बताए जाने वाले छोट-छोटे घरेलू नुस्खों से लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है। आचार्य को कई सम्मान और पुरस्कारों से भी नवाजा गया है।


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