एचआरटीसी को मालामाल कर रहीं 25 इलेक्ट्रिक बसें

By: Apr 28th, 2018 12:06 am

मनाली— हिमाचल में दौड़ रही 25 इलेक्ट्रिक बसें निगम के लिए फायदा का सौदा साबित हुई हैं। जहां इन बसों का किराया बीस रुपए अधिक रखा गया है। वहीं, निगम के खजाने को भी मालमाल करने में ये बसें कारगार साबित हो रही हैं। कुल्लू डिपो के पास मौजूद 25 इलेक्ट्रिक बसें नोट छापने की मशीन जैसी साबित हो रही है। लिहाजा, सरकार ने भी इन बसों से हो रहे फायदे को ध्यान में रखते हुए जहां पचास बसों को खरीदकर राजधानी शिमला में चलाने की योजना पर कसरत शुरू कर दी है। वहीं, आंकड़े बताते हैं कि कुल्लू-मनाली के बीच चलने वाली ये बसें निगम के खजाने को लगातार भर रही हैं। इन बसों के चलने पर होने वाला खर्च जहां काफी कम हैं। वहीं, डीजल की बसें निगम के लिए खर्चीला सौदा साबित हुए हैं। निगम के अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रिक बस आठ किलो वाट पर किलोमीटर के हिसाब से लेती है, जिसकी प्रतिकिलोमीटर दर तीन रुपए के करीब बैठती है। वहीं, डीजल से चलने वाली बसों की एवरेज साढ़े तीन किलोमीटर के करीब  बताई जा रही है, जिनका खर्चा भी प्रति किलोमीटर 19 रुपए निगम को पड़ता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों की मैंटीनेंस नामात्र की है, जबकि डीजल से चलने वाली बसों पर खर्चा भी निगम को उठाना पड़ता है। ऐसे में अगर बात कुल्लू-मनाली में चल रही 25 सीटर इलेक्ट्रिक बस की करें तो दिन में चार चक्की लगाकर यह बस करीब 32 हजार रुपए कमा रही है। प्रति चक्कर के हिसाब से आठ हजार रुपए कैश इन बसों से निगम को उपल्बध हो रहा है। उसी तरह डीजल से चलने वाली कुल्लू-मनाली रूट पर बस के चार चक्कर प्रतिदिन लगाए जा रहे हैं। जिसमें 24 हजार रुपए निगम के खाते में जमा होते हैं।  इन बसों के किराए की बात करें तो साधारण डीजल से चलने वाली बस का कुल्लू से मनाली तक का किराया 60 रुपए एक तरफ का है, जबकि इलेक्ट्रिक बस का कुल्लू से मनाली के लिए 80 रुपए निर्धारित किया गया है। वहीं, अगर एक महीने का आंकलन किया तो इलेक्ट्रिक बस निगम को 9 लाख 92 हजार रुपए के करीब प्रतिमाह दे रही है। वहीं, डीजल की बस इसी रूट पर एक माह में 7 लाख 44 हजार रुपए निगम के खजाने में जमा करवा रही है। यहां इन दोनों बसों की कमाई का अंतर भी 2 लाख 48 हजार रुपए के करीब पहुंच गया है। इसी तरह इलेक्ट्रिक बस के एक माह की कमाई को साल के 12 महीने से जोड़कर देखें तो निगम को इन बसों से एक करोड़ 19 लाख 4 हजार रुपए का राजस्व प्राप्त हो सकता है। जबकि डीजल से चलने वाली साधारण बस से साल का आकड़ा 89 लाख 28 हजार के करीब पहुंचता है।   एचआरटीसी के चीफ मैनेजर हमेंद्र गुप्ता का कहना है कि फिलहाल एचआरटीसी मनाली में इलेक्ट्रिक बसें चला रहा है। दूसरे चरण में शिमला में भी इन बसों को चलाने की योजना है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों का मैंटिनेस का खर्चा नामात्र का है।  उधर, कुल्लू डिपो के आरएम डीके नारंग का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों को लोगों ने पसंद भी किया है और ये बसें निगम के लिए कमाउपुत साबित हुई हैं।

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