कांग्रेसी दामन पर खूनी धब्बे!

By: Apr 26th, 2018 12:05 am

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद ने ऐसा बयान क्यों दिया? यह आत्म-स्वीकृति दशकों बाद क्यों सामने आई है? सलमान ने हकीकत की तमाम हदें पार क्यों कीं, जब उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दामन पर खून के धब्बे हैं। ये धब्बे दंगों ने दिए हैं। ऐसा कैसे हो सकता है कि तुम वार करो और खून के धब्बे तुम पर न लगें। सलमान ने ऐसे इतिहास को सोचने-समझने की सलाह दी है। दूसरे शब्दों में, उन्होंने कई बार साफ-साफ कहा है कि कांग्रेस का इतिहास दंगों, हत्याओं और खूनी धब्बों का रहा है। आयोजन और अवसर, बेशक, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के परिसर का रहा हो और उन्होंने छात्र नेता के सवाल के जवाब में इतना कुछ कहा हो, लेकिन कांग्रेस को इस कदर बेनकाब करने का मकसद क्या हो सकता है? क्या सलमान खुर्शीद भाजपा में जा रहे हैं या कांग्रेस छोड़कर कहीं और जाने की फिराक में हैं, ताकि नए सिरे से सियासी पारी आगे बढ़ाई जा सके। दंगों के संदर्भ में मेरठ, मलियाना, हाशिमपुरा, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, भागलपुर, अलीगढ़, अहमदाबाद आदि कई शहरों के दंगे याद आते हैं। सलमान ने इनमें से कइयों का जिक्र किया। कथित बाबरी मस्जिद विध्वंस का भी उल्लेख किया, लेकिन सिख-विरोधी दंगों का ध्यान नहीं रहा होगा! वे दंगे भयावह और कातिल थे, जो 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और आसपास के इलाकों में फूटे थे। उन दंगों में करीब 2800 मासूम सिख मार दिए गए थे। मलियाना में 1987 के दंगों में 72, हाशिमपुरा में 62, मुजफ्फरनगर में 62 ( 2013 में) लोगों की हत्याएं की गईं। बाबरी विध्वंस समेत अधिकतर दंगे तब फैले, जब केंद्र या राज्य में कांग्रेस सरकारें थीं। लिहाजा सलमान प्रत्यक्ष तौर पर ‘खूनी धब्बों’ के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार मानते हैं। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि देश में कांग्रेस शासन के दौरान करीब 5000 दंगे हुए। उनके दौरान मुस्लिम, सिख, दलित और आदिवासियों के कत्लेआम किए गए। सलमान ने जो दंगे और खूनी धब्बे गिनाए हैं, उनके अलावा बिहार और पूर्वोत्तर भारत में अनेक दंगे करवाए गए। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता सलमान के बयान और स्पष्टीकरण से सहमत नहीं हैं। वे गुजरात के गोधरा दंगों और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल कर रहे हैं, लेकिन सलमान भी कांग्रेसी हैं और उस नाते कांग्रेस के दामन को ‘खूनी’ करार देना बेहद महत्त्वपूर्ण है। हम बार-बार सवाल करेंगे कि आखिर दशकों बाद सलमान ने ऐसी आत्म-स्वीकृति क्यों की? सलमान के कबूलनामे को कांग्रेस या उसके अध्यक्ष राहुल गांधी क्यों नहीं मानते? कांग्रेस दंगों और हत्याओं के लिए माफी क्यों नहीं मांगती? सलमान ने ऐसे वक्त ऐसा बयान दिया है, जब कर्नाटक के विधानसभा चुनाव सामने हैं और कांग्रेस के लिए यह महत्त्वपूर्ण राज्य जीतना बेहद जरूरी है। यदि कांग्रेस कर्नाटक भी हार जाती है, तो ‘कांग्रेसमुक्त भारत’ की व्याख्याएं शुरू हो जाएंगी। मुसलमान कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक रहे हैं और पार्टी उनका तुष्टिकरण भी करती रही है, लेकिन दंगों में असंख्य मुसलमानों के कत्लेआम के धब्बे भी कांग्रेस के दामन पर लगे हैं। सलमान का बयान कांग्रेस के लिए ‘सांप-छूछुंदर’ बन गया है। पार्टी न तो उगल पा रही है और न ही उसे निगल पा रही है। भाजपा कांग्रेस की इस स्थिति को राजनीतिक तौर पर भुना सकती है। बेशक 2002 के गोधरा सांप्रदायिक दंगों के दाग भाजपा नेताओं के नाम भी हैं, लेकिन भाजपा और संघ में किसी ने भी, सलमान की तर्ज पर, पार्टी नेतृत्व पर या मोदी-शाह पर ‘धब्बे’ नहीं उछाले हैं। कांग्रेस में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों के लिए देश से माफी मांगी थी, लेकिन गांधी परिवार खुद को देश से ऊपर मानता है, लिहाजा आज तक जो भी दंगे हुए या करवाए गए हैं, उनके लिए उसे कोई ग्लानि या अफसोस नहीं है।

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