कैडेट्स भर्ती का विरोध

By: Apr 22nd, 2018 12:05 am

 शिमला  —लोक सेवा आयोग की ओर से करवाई जा रही कालेज कैडेट्स की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे है। भर्ती प्रक्रिया में पात्र अभ्यार्थियों के फार्म रद्द करने का आरोप आयोग पर लगाया जा  रहा है। भर्तियों पर सवाल उठाते हुए एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई ने अपना विरोध जताया है। एसएफआई ने आरोप लगाया है कि आयोग की ओर से जो भर्तियां अभी की जा रही है उनमें अभ्यर्थियों को जिन्होंने एससी-एसटी से नेट-सेट की परीक्षा उत्तीर्ण की है उन्हें पात्रता से बाहर किया जा रहा है। इसके पीछे आयोग की ओर से तर्क दिया जा  रहा है कि यदि एससी-एसटी के  छात्रों को कोई भी सीट नहीं निकली है तो वे छात्र सामान्य वर्ग में योग्य नहीं हैं।  इसी वजह से आयोग द्वारा उन्हें बाहर किया जा रहा है। एसएफआई अध्यक्ष जीवन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि आयोग इस तरह से आरक्षण को समाप्त कर रहा है और एसएफआई हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग पर आरक्षण को खत्म करने के प्रयास किए जाने का विरोध करती है। एसएफआई ने आरोप लगाया कि भारतीय संविधान के अनुसार एससी-एसटी के लोगों को आरक्षण का प्रावधान किया गया है, लेकिन लोक सेवा आयोग प्रदेश सरकार के इशारों पर आरक्षण को खत्म कर रही है। अध्यक्ष जीवन का आरोप है कि लोक सेवा आयोग आरक्षण के रोस्टर सिस्टम को लागू नहीं कर रही है जिस कारण हजारों की संख्या में एससी-एसटी के लिए सीट न निकल पाने के कारण अभ्यर्थी वंचित रह रहे है। एसएफआई ने कहा कि आजकल लोक सेवा आयोग में भर्ती की प्रक्रिया जारी है।  एसएफआई ने मांग की कि जब तक आरक्षण नीति को लागू नहीं किया जाता तब तक किसी भी विषय के परिणाम घोषित न किए जाए।  एसएफआई ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि लोक सेवा आयोग के द्वारा आरक्षण नीति को लागू नहीं किया जाए तो एसएफआई आने वाले समय में अन्य जनसंगठनों के साथ व्यापक एकता बनाते हुए प्रदेश सरकार तथा राज्य लोक सेवा आयोग के खिलाफ उग्र आंदोलन करेगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। एसएफआई ने साथ में मांग की कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लें।

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