भारत से चीन को निर्यात बढ़ने का नया परिदृश्य

By: Apr 25th, 2018 12:10 am

जयंतीलाल भंडारी

लेखक अर्थशास्त्री  हैं

ऐसे में इस साल 2018 में भारत-चीन का द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से चीन के वाणिज्य मंत्री शैन ने जिस तरह चीन के द्वारा भारत को अधिक महत्त्वपूर्ण व्यापार भागीदार बनाने का संकेत दिया, उससे भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार एक अभूतपूर्व स्तर को छू सकता है। द्विपक्षीय व्यापार की ऐसी ऊंचाई के साथ यह अत्यधिक जरूरी होगा कि भारत से चीन को निर्यात तेजी से बढ़े। चीन के बाजार में भारतीय सामान की पैठ बढ़ाने के लिए हमें संभावित क्षेत्रों की पहचान करनी होगी…

यकीनन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 27-28 अप्रैल की चीन यात्रा के दौरान जिस एजेंडे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ऐतिहासिक द्विपक्षीय बैठक करेंगे, उनमें ट्रेडवार में किस तरह दोनों देश आगे बढें़, दोनों देशों के आर्थिक संबंध कैसे अच्छे बनें और चीन-भारत का बढ़ता हुआ व्यापार असंतुलन कम कैसे हो, ये विषय भी शामिल हैं। ऐसे में भारत-चीन के बीच बढ़ते हुए चिंताजनक व्यापार असंतुलन को कम करने और चीन को निर्यात बढ़ाने का एक उपयुक्त समय इस समय उभरकर दिखाई दे रहा है। अप्रैल 2018 में अमरीका और चीन के बीच व्यापार संबंध दोनों देशों के व्यापार इतिहास के सबसे बुरे दौर में हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों अमरीका ने चीन के 1300 उत्पादों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने का निर्णय लिया, वहीं इसके जवाब में चीन ने अमरीका से बड़ी मात्रा में आयात होने वाले 128 उत्पादों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने का निर्णय ले लिया। इन उत्पादों में सोयाबीन, तम्बाकू, फल, मक्का, गेहूं, रसायन आदि शामिल हैं। चीन के द्वारा लगाए गए आयात शुल्क के कारण अमरीका की ये सारी वस्तुएं चीन के बाजारों में महंगी हो जाएंगी। ऐसे में इन दिनों देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जो अमरीकी वस्तुएं चीन के नए आयात शुल्क के कारण चीन के बाजार में महंगी हो जाएंगी, उनमें से अधिकांश वस्तुएं भारत भी चीन को निर्यात कर रहा है। ऐसे में ये भारतीय वस्तुएं चीन के बाजारों में अमरीकी वस्तुओं की तुलना में कम कीमत पर मिलने लगेंगी। इससे चीन को भारत के निर्यात बढ़ सकेंगे। चीन को भारत से निर्यात बढ़ने की संभावना और अधिक इसलिए हो गई है क्योंकि विगत 26 मार्च को नई दिल्ली में चीन के वाणिज्य मंत्री झोंग शैन तथा भारत के वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु के साथ-साथ दोनों देशों के उच्च अधिकारियों की संयुक्त आर्थिक समूह बैठक में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने तथा भारत के साथ चीन के बढ़ते हुए व्यापार घाटे में कमी लाने के मुद्दों पर आधिकारिक रूप से महत्त्वपूर्ण वार्ता आयोजित हुई। इस बैठक में चीन और भारत ने नए वैश्विक कारोबार परिदृश्य के मद्देनजर आपसी कारोबार बढ़ाने का निर्णय लिया है। सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत का बढ़ता हुआ व्यापार घाटा दोनों देशों के आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों की राह में एक चिंताजनक मुद्दा बना हुआ है। खासतौर से भारत की ओर से चीन को निर्यात किए जा रहे कृषि उत्पादों में आ रही मुश्किलों की ओर ध्यान दिलाया गया। चीन के वाणिज्य मंत्री शैन ने कहा कि भविष्य में चीन की ओर से प्रयास होगा कि भारत-चीन के बीच व्यापार असंतुलन में कमी आए। गौरतलब है कि भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार  बीते साल 2017 में  भारत-चीन व्यापार 84.44 अरब डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया।

2017 में चीन को भारत का निर्यात 16.34 अरब डॉलर मूल्य का रहा। जबकि चीन से भारत ने 68.10 अरब डॉलर का आयात किया। ऐसे में वर्ष 2017 में द्विपक्षीय व्यापार के तहत भारत का व्यापार घाटा 51.76 अरब डॉलर रहा। वर्ष 2016 में भारत-चीन व्यापार 71.09 अरब डॉलर का रहा। चीन को भारत से 11.76 अरब डॉलर मूल्य के निर्यात किए गए जबकि चीन से आयात का मूल्य 58.33 अरब डॉलर रहा। व्यापार घाटा 46.57 अरब डॉलर का रहा। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच व्यापार की ऐतिहासिक ऊंचाई और भारत का सर्वाधिक व्यापार घाटा तब रहा, जब दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद और अन्य मुद्दे, मसलन चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा, चीन द्वारा जैश ए मोहम्मद के मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध के भारतीय प्रयास में अड़चन, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश पर चीनी बाधाएं मुंह बाए खड़ी रही हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने के लिए दोनों देशों की सरकारें तनाव कम करने का प्रयास कर रही हैं। चीन के विदेश मंत्री वांगयी ने 8 मार्च को कहा है कि भारत के हाथी और चीन के ड्रेगन की मित्रता अटल है, दोनों देश मिलकर व्यापार में आगे बढ़ेंगे। इसी तरह भारत ने दलाई लामा के भारत में आगमन के 60 वर्ष पूर्ण होने पर धन्यवाद समारोह दिल्ली की बजाय धर्मशाला में आयोजित किए जाने का संकेत देकर भविष्य में अच्छे संबंधों का रास्ता निकाला है। ऐसे में इस साल 2018 में भारत-चीन का द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना दिखाई दे रही है।

निश्चित रूप से चीन के वाणिज्य मंत्री शैन ने जिस तरह चीन के द्वारा भारत को अधिक महत्त्वपूर्ण व्यापार भागीदार बनाने का संकेत दिया, उससे भारत-चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार एक अभूतपूर्व स्तर को छू सकता है। द्विपक्षीय व्यापार की ऐसी ऊंचाई के साथ यह अत्यधिक जरूरी होगा कि भारत से चीन को निर्यात तेजी से बढ़े। हमें चीन के बाजार में भारतीय सामान की पैठ बढ़ाने के लिए उन क्षेत्रों को समझना होगा, जहां चीन को गुणवत्तापूर्ण भारतीय सामान की दरकार है। वस्तुतः गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के मामले में भारत चीन से बहुत आगे है। ख्यात वैश्विक शोध संगठन स्टैटिस्टा और डालिया रिसर्च के द्वारा मेड इन कंट्री इंडेक्स में उत्पादों की साख के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि गुणवत्ता के मामले में मेड इन इंडिया मेड इन चायना से आगे है। इस इंडेक्स में उत्पादों की साख के मामले में चीन भारत से सात पायदान पीछे है। चूंकि भारतीय उत्पाद गुणवत्ता और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी होते हैं, इसलिए यहां ऐसा कोई कारण नहीं है कि चीनी उपभोक्ता और कंपनियां इनकी खरीद नहीं कर सकती। खासतौर से चीन में प्रदूषण कानून सख्त होने से पर्यावरण से जुड़े कई उद्योगों की इकाइयां बड़ी संख्या में बंद हो गई हैं। ऐसे में भारत चीन के बाजार में ऑटो कम्पोनेंट, स्टेनलेस स्टील, इन्वर्टर, कॉटन यार्न, लेदर सामान आदि वस्तुओं के निर्यात तेजी से बढ़ाने की संभावना रखता है। इतना ही नहीं, भारत अपनी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्मास्युटिकल, इंजीनियरिंग, मेडिकल एवं विज्ञान क्षेत्रों की विजय पताका भी चीन में फहरा सकता है। यद्यपि भारत और चीन के बीच हुई वाणिज्य मंत्री और उच्च अधिकारी स्तर की बैठक के दौरान चीन ने कहा कि वह कृषिगत उत्पादों, दवा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों में भारत से निर्यात की बाधाओं को कम करने का प्रयास करेगा। लेकिन ऐसी पक्की आशाएं हम नहीं बांध सकते। ज्ञातव्य है कि चीन ने इस बैठक में जिस तरह भारत के व्यापार घाटे को कम करने की बात कही है, ऐसी बात सितंबर 2014 में दोनों देशों के बीच हुए पांचवर्षीय द्विपक्षीय व्यापार संतुलन के समझौते में भी कही गई थी। इसके तहत 2019 तक भारत का व्यापार घाटा कम हो जाने का परिदृश्य उभरना था, लेकिन यह समझौता बाध्यकारी नहीं था, अतएव भारत का व्यापार घटा कम नहीं हुआ। ऐसे में चीन के द्वारा लिए गए आधिकारिक निर्णय को कार्यान्वित करने के लिए हमें उस पर दबाव बनाए रखना होगा।

अपने सपनों के जीवनसंगी को ढूँढिये भारत  मैट्रिमोनी पर – निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App