मनभेद-मतभेद मिटाएंगे भारत-चीन
नई दिल्ली— प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को दो दिन के चीन दौरे पर पहुंच गए हैं। वह शुक्रवार और शनिवार को चीन में रहेंगे। मध्य चीन के वुहान शहर में उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात होगी। मोदी के दौरे की तुलना 1988 में हुए राजीव गांधी के चीन दौरे से की जा रही है। तब 1962 के भारत-चीन युद्ध के 26 साल बाद राजीव ने दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास को दूर करने की कोशिश की थी। डेंग शियाओपिंग से उनकी मुलाकात काफी हद तक कामयाब भी रही थी। मोदी की कोशिश भी डोकलाम विवाद के बाद आईं दूरियां कम करने की हैं। इस बार फर्क बस इतना है कि पहल दोनों देशों की तरफ से हुई है और मोदी का दौरा राजीव के दौरे से ज्यादा अनौपचारिक है। भारत और चीन ने दोस्ती की नई परंपरा शुरू की है। दोनों देशों के शिखर नेता एक ही छत के नीचे दो दिन साथ होंगे। इस दौरान प्रतिनिधि मंडल स्तर की वार्ता भी हो सकती है, लेकिन दोनों नेताओं (राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री मोदी) के बीच में बातचीत अनौपचारिक होगी। न कोई समझौता होगा, न कोई हस्ताक्षर और न ही कोई संयुक्त वक्तव्य। इसके बाद भी उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग आपसी मनभेद, मतभेद मिटाएंगे। देखना है शी जिनपिंग के साथ 27-28 अप्रैल को बातचीत के बाद दोस्ती के पिटारे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कौन सा उपहार लेकर लौटते हैं।
इन मुद्दों पर वार्ता मुमकिन
मोदी-जिनपिंग की बैठक के लिए कोई एजेंडा का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन डोकलाम, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति, चीन के वन बेल्ट वन रोड पालिसी, भारत को एनएसजी की सदस्यता, उद्योग-व्यापार और भारत में चीनी निवेश पर बातचीत हो सकती है।
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