रेप की शिकायत में देरी झूठा आरोप नहीं

By: Apr 8th, 2018 12:02 am

मुंबई— यौन उत्पीड़न की घटना की शिकायत पुलिस में देरी से दर्ज कराने का मतलब यह नहीं होता कि पीडि़ता झूठ बोल रही है। यह बात बांबे हाई कोर्ट ने गैंगरेप को दोषी पाए गए चार लोगों की सजा को बरकरार रखते हुए कही। इससे पहले इसी हफ्ते जस्टिस एएम बदर ने दोषियों की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें गैंगरेप का दोषी पाए जाने पर सत्र न्यायालय के दस साल सजा देने के फैसले को चुनौती दी गई थी। दत्तात्रेय कोर्डे, गणेश परदेशी, पिंटू खोसकर और गणेश जोले को एक महिला का रेप करने और उसे पुरुष मित्र को 15 मार्च, 2012 में पीटने का दोषी पाया गया था। पीडि़त नाशिक में त्रियंबिकेश्वर से लौट रहे थे। दोषियों ने दावा किया कि उनके ऊपर झूठा आरोप इसलिए लगाया गया, क्योंकि उन्होंने महिला और उसके दोस्त को आपत्तिजनक स्थिति में देख पुलिस से शिकायत करने की बात कही थी। याचिका में इस बात पर जोर दिया गया था कि महिला ने 15 मार्च को गैंगरेप किए जाने का आरोप लगाया है, जबकि शिकायत दो दिन बाद दर्ज कराई। मेडिकल परीक्षण में रेप की पुष्टि नहीं हो सकी थी। महिला के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं पाया गया था। हालांकि, एक केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उदाहरण देते हुए जज ने कहा कि बहुत कम मामलों में ऐसा होता है कि कोई महिला या लड़की यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत करे। उन्होंने कहा कि पीडि़ता एक रुढि़वादी सोच वाले समाज से आती है और वह अपने पति से अलग रहती है।


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