सेवा एवं बलिदान की मिसाल

By: Apr 9th, 2018 12:07 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

पिछले 15 वर्षों से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस फोर्सेज के भूतपूर्व जवान अपने हकों और मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। केंद्रीय अर्द्धसैनिक के अंतर्गत सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एनडीआरएफ और एसएसबी आते हैं। देश के भीतर आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा संभालने के साथ-साथ सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद, नक्सलवाद, प्राकृतिक आपदाओं, हवाई अड्डों और बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के अलावा देश के महत्त्वपूर्ण नेताओं की हिफाजत की जिम्मेदारी भी इन्हीं बलों के अधिकारियों तथा जवानों के हवाले रहती है। भारत की आजादी के बाद स्थापित इन केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों की आज लगभग 800 बटालियनें तथा अन्य सहयोगी विभाग हैं, जिनकी पहली जनवरी, 2016 की स्थिति के अनुसार कुल संख्या नौ लाख 71 हजार 26 है। जीवन पर्यंत कर्त्तव्य, प्रोटेक्शन एंड सिक्योरिटी, सर्विस, सिक्योरिटी एंड ब्रदरहुड, सेवा तथा वफादारी और दृढ़ता-कर्मनिष्ठा जैसे अपने ध्येय वाक्यों को सार्थक करते इन अर्द्धसैन्य बलों के जवान तथा अधिकारी भारतीय सेना की तर्ज पर ही हजारों मील लंबी दुर्गम पर्वतीय, रेगिस्तानी, दलदली और समुद्र तटीय सरहदों की न केवल सतर्कतापूर्वक निगरानी करते हैं, बल्कि आतंकवादी घुसपैठ,स्मगलरों, पशु एवं मानव तस्करों की गैरकानूनी गतिविधियों पर भी लगाम लगाए रखते हैं। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में आतंकवादियों एवं नक्सलवादियों से भी डटकर लोहा लेते हुए अपने शौर्य और पराक्रम का सुंदर प्रदर्शन करते हैं और देशवासियों को यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि इन बलों के बहादुर अफसरों एवं जवानों के रहते भारत की एकता और अखंडता सदैव अक्षुण्ण रहेगी और हमारे देशवासी इनके भरोसे चैन की नींद सो सकते हैं। आजादी के बाद से लेकर 2015 तक हुई विभिन्न लड़ाइयों और आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में सेना के 22 हजार 500 के लगभग अफसर एवं जवान शहीद हुए हैं, जबकि इसी अवधि में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के 31 हजार 895 जवानों तथा अधिकारियों ने अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया है। कर्त्तव्यनिष्ठा, ड्यूटी और संख्या बल के मामले में अर्द्धसैनिक बलों को भारतीय सशस्त्र सेनाओं के छोटे भाई के समकक्ष माना जाता है, लेकिन वेतन-भत्तों, पेंशन, स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाओं के मामले में इनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते हुए इन्हें केंद्र सरकार के सिविलियन कर्मचारियों के समकक्ष रखा गया है और इनकी नेचर ऑफ ड्यूटी के दृष्टिगत इनके साथ घोर अन्याय किया जा रहा है। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट की रिपोर्ट के घटिया सामाजिक परिवेश, प्रोमोशन की कम संभावनाएं, अधिक काम, लगातार गश्त, तनावग्रस्त माहौल में ड्यूटी, पर्यावरणीय बदलाव, कम वेतन-भत्ते, घटिया खाना, छुट्टी मिलने में अड़चनें, अकेलापन, सीनियर्स द्वारा बेवजह परेशान किया जाना और घरेलू हालात के कारण इन बलों के जवानों का मनोबल गिरा है और यही वजह है कि मात्र 2010-13 की अवधि में 47 हजार से ज्यादा जवान समय पूर्व सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। इन्हीं कुछ वजहों के चलते इन बलों के जवानों में आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि भी हुई है। कठिन तथा विपरीत हालात में आतंकवाद विरोधी अभियानों में अपने प्राणों की आहुति देने के बावजूद इन्हें अभी तक शहीद का दर्जा नहीं मिला है। पहली जनवरी, 2004 के बाद इन बलों में भर्ती होने वाले जवानों को अंशदायी पेंशन योजना में रखने से भी इनका मनोबल गिरा है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। सेवानिवृत्ति के बाद भी इन्हें नजदीकी स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त नहीं हैं। ट्रेनों में अलग से बोगियों की सुविधा नहीं है। अपने साथ परिवारों को रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में सरकारी क्वार्टर और स्कूल नहीं हैं। अभी तक वन रैंक वन पेंशन सुविधा नहीं मिली है। यह वक्त का तकाजा है कि रोजाना 18 से 20 घंटों तक लगातार ड्यूटी देने वाले इन जवानों के कल्याण के मद्देनजर केंद्रीय सिविल सेवाएं रूल्स में आवश्यक बदलाव लाए जाएं तथा रक्षा मंत्रालय की तर्ज पर इन केंद्रीय पुलिस बलों का भी अपना अलग मंत्रालय बनाया जाए। भारतीय सेना की तरह इनके अफसरों का भी अलग काडर तैयार किया जाना चाहिए और फिर वही अफसर प्रोमोट होकर महानिदेशक पद तक पहुंचें। इन सभी अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों और जवानों के लिए अलग से सर्विस एवं पेंशन रूल्स बनाए जाएं और अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर इन्हें सेना की तरह नियमित पेंशन सुविधा प्रदान की जाए। इनकी सीपीसी कैंटीन सुविधाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। सेवानिवृत्ति के बाद इनके लिए भी सेना की ईसीएचएस स्वास्थ्य प्रणाली के समान सुविधाओं की व्यवस्था केंद्र सरकार द्वारा की जानी चाहिए। यह वक्त का तकाजा है कि केंद्र सरकार केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की सेवा शर्तों में व्याप्त विसंगतियों को दूर करे।

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