800 करोड़ से हिमाचली जंगलों को संवारेगा जापान

By: Apr 18th, 2018 12:08 am

मनाली— हिमाचल के जंगलों की दशा को सुधारने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार को जापान से आठ सौ करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ है। 29 मार्च को टोक्यो में इस बारे में एक लोन एग्रीमेंट साइन किया गया, जिसके तहत हिमाचल के जंगलों को जायका प्रोजेक्ट के माध्यम से संवारा व पेड़ों की वैरायटी को बढ़ाया जाएगा। प्रदेश के छह जिलों में इस प्रोजेक्ट को चलाया जाएगा। प्रोजेक्ट का मुख्यालय जहां शिमला में रहेगा, वहीं सब आफिस कुल्लू में होगा। हिमाचल के वनों में पेड़ों की वैरायटी बढ़ाने पर अब वन विभाग जोर देने जा रहा है। जापान की मदद से वनों में सुधार के लिए आठ सौ करोड़ रुपए का बजट प्रदेश सरकार को स्वीकृत कर दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत जहां वनों में नए पेड़ व अलग-अलग वैरायटी के लगाए जाएंगे, वहीं जंगलों व जड़ी-बूटी के कारोबार से जुडे़ हुए लोगों की आय को भी दो से तीन गुणा बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट दो केंद्रों पर आधारित होगा। इस प्रोजेक्ट में पहला केंद्र फोरेस्ट ईको सिस्टम मैनेजमेंट पर काम करेगा, जबकि दूसरा लाइवलिहुड इंपू्रवमेंट पर आधारित होगा। जहां इन दोनों केंद्रों को शुरू किया जाएगा, वहां के लिए माइक्रो प्लान बनेगा। प्रदेश के वनों के संरक्षण व पेड़ों का ग्राफ बढ़ाने के लिए इस आठ सौ करोड़ के प्रोजेक्ट में करीब छह सौ करोड़ रुपए हिमाचल को कर्ज के रूप में जापान से मिलेंगे। इस प्रोजेक्ट में प्रदेश के बिलासपुर, किनौर, कुल्लू, लाहुल-स्पीति, मंडी और शिमला को शामिल किया गया है। हिमाचल के वन देश दुनिया को अपनी ओर हमेशा से आकर्षित करते आए हैं। वन घनत्व भी प्रदेश में बाकी राज्यों की तुलना में अछा है। ऐसे में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां वनों में पेड़ों की वैरायटी काफी कम है। लिहाजा उसमें सुधार लाने के लिए जापान सरकार की मदद से प्रदेश सरकार काम करने जा रही है। जायका प्रोजेक्ट के चीफ डायरेक्टर आलोक नागर का कहना है कि प्रोजेक्ट के लिए जापान सरकार से लोन एग्रीमेंट 29 मार्च को टोक्यो में साइन हो गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत वनों की क्वालिटी में सुधार आएगा साथ ही जंगलों के रोजगार से जुड़े हुए लोगों की आय भी दो से तीन गुना बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत विलेज फोरेस्ट डिवेलपमेंट सोसायटियों  या वन कमेटियों के माध्यम से इस पैसे को प्रदेश के छह जिलों में खर्चा जाएगा। इन कमेटियों का काम जहां पौधारोपण करना रहेगा, वहीं जंगलों के प्रति लोगों को जागरूक करने में भी यह प्रोजेक्ट अहम भूमिका अदा करेगा। उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटियों के कारोबार से जुड़े हुए लोगों को वैज्ञानिक तरीके से लाभ पहुंचाने पर काम किया जाएगा। जापान सरकार से प्रोजेक्ट की स्वीकृति मिलते ही हिमाचल सरकार ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। वनों के सुधार के लिए सेटेलाइट आधारित तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा। वन कटान की घटनाओं को रोकने के लिए वनों को आजीविका से भी जोड़ा जाएगा, ताकि इन प्राकृतिक संसाधनों के जरिए लोग अपनी गुजर-बसर कर सकें। आठ सौ करोड़ रुपए की इस परियोजना से प्रदेश के जंगलों के अब अच्छे दिन आ गए हैं।

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