अवैध निर्माण हटाएं भी या नहीं!

By: May 15th, 2018 12:01 am

कसौली प्रकरण के बाद अधिकारी खौफजदा…कोर्ट की कार्यवाही का भी डर

धर्मशाला— कसौली गोलीकांड के बाद सूबे के पर्यटक स्थलों सहित शहरी क्षेत्रों में हुए अवैध निर्माण हटाने पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। देवभूमि में पहली बार हुई ऐसी घटना के बाद अधिकारी भी इस बात को लेकर खौफजदा हैं कि ऐसे निर्माण ढहाएं कि नहीं। ऐसे अवैध निर्माण हटाने को शहरी निकायों ने नोटिश तो भेज दिए हैं, लेकिन कार्रवाई न करने पर कोर्ट की कार्यवाही का भी डर सता रहा है। सियासी खींचतान के बीच सरकार भी ऐसे मामले से बचना चाह रही है। हालांकि कसौली गोलीकांड में दो अधिकारियों की कुर्बानी के बावजूद राज्य में ऐसे अवैध निर्माणों पर विराम नहीं लग पाया, तो शैलबाला की कुर्बानी भी काम नहीं आएगी। कसौली में टीसीपी अधिकारी सहित एक कर्मचारी की गोलीकांड में मौत के बाद अवैध निर्माण हटाने को लेकर शुरू हुई मुहिम धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में पड़ गई हैं। हालांकि महिला अधिकारी शैल बाला की कुर्बानी के बाद राज्य में ऐसे अवैध निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगने और सख्त नियम बनने की उम्मीद जताई जा रही है। अधिकारी भी खौफजदा हैं और कार्रवाई करने या नोटिस के बाद अगली रणनीति की बजाय वेट एंड वॉच की पालिसी देखते हुए ऐसे पेचीदा मामलों से बचकर खिसकने की फिराक में दिख रहे हैं, जिससे भविष्य में कभी भी कोई जोखिम न उठाना पड़े। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद उन्हें कार्रवाई न करने का भी डर सता रहा है। कोर्ट द्वारा कोताही बरतने वाले अधिकारियों की सूची मांगे जाने के बाद और भी हडकंप मचा हुआ है। इससे पहले भी धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम परिसर से सरकारी क्वार्टर  हटाने के चक्कर में लोक निर्माण विभाग के दो सेवानिवृत्त अधिकारियों की गरिफ्तारियां हुई थी।

आगे कुआं-पीछे खाई

अब कुर्सी पर बैठकर टाइम निकालने वाले अधिकारी एवं डीलिंग हैंड कर्मचारी भी खौफजदा हैं। इनके लिए आगे कुआं और पीछे खाई वाले हालात बने हुए हैं। इस मामले पर प्रदेश सरकार, प्रशासन व कारोबारियों ने स्वयं कोई सुखद पहल नहीं की, तो आने वाले समय में ये बातें राज्य के पर्यटन पर बड़ा असर डाल सकती हैं, जिससे हिमाचल को पर्यटन राज्य बनाने की मुहिम पर भी दिखेगा।

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