इस बार बीएड का नया बैच नहीं

By: May 10th, 2018 12:20 am

प्रदेश में कोर्स पर जीरो सेशन लगाने की हो रही तैयारी, हिमाचल सरकार ने एनसीटीई से मांगी है मंजूरी

शिमला —प्रदेश में इस नए सत्र में बीएड का नया बैच नहीं बैठेगा। बैच बिठाने को लेकर स्थिति असमंजस भरी है, क्योंकि प्रदेश सरकार की ओर से सत्र 2018-19 में बीएड पर जीरो सेशन लगाने की तैयारी है। यही अहम वजह है कि अभी तक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से नए सत्र के लिए अभी तक बीएड प्रवेश का शेड्यूल तैयार नहीं किया गया है। एचपीयू प्रशासन ही हर वर्ष बीएड कोर्स के लिए प्रवेश प्रक्रिया करवाता है। इसके लिए आवेदन तिथि तय करने से लेकर प्रवेश परीक्षा करवाने और प्रवेश परीक्षा की मैरिट के आधार पर बीएड कालेजों में तय सीटों को भरने के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया भी एचपीयू ही करवाता है। इस बार पीजी कोर्सेज के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया समाप्त हो गई है, लेकिन अभी तक बीएड सत्र 2018-19 के लिए प्रवेश का शेड्यूल तैयार नहीं हो पाया है। जानकारी के तहत एचपीयू के शिक्षा विभाग को शेड्यूल तैयार करने के लिए सरकार के निर्देशों का इंतजार है। सरकार ने बीएड में इस सत्र जीरो सेशन लगाने की मंजूरी के लिए नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन को पत्र लिखा है। सूत्रों का दावा है कि एनसीटीई से प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई मांग को मंजूरी मिलने का इंतजार अभी हो रहा है। इसका जवाब आने पर ही प्रदेश में बीएड ने नए सत्र के भविष्य का फैसला होगा। सरकार की ओर से बीएड में जीरो सेशन लगाने के लिए यह तर्क दिया गया है कि प्रदेश में बीएड प्रशिक्षुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में अब इस सत्र से इस संख्या को रोकने के लिए बीएड का नया सत्र न बिठाने का फैसला सरकार ने लिया है। अब अगर सरकार द्वारा की गई जीरो की मांग पर एनसीटीई अपनी मंजूरी की मुहर लगाता है, तो प्रदेश में इस सत्र 2018-20 की बीएड बैच नहीं बैठेगा। वहीं अगले सत्र यानी 2019-20 में बीएड इंटीग्रेटिड कोर्स प्रदेश में शुरू हो जाएगा, जिसके बाद बीएड कोर्स वैसे ही खत्म कर दिया जाएगा।

हर साल सात हजार से ज्यादा प्रशिक्षु

73 के करीब निजी कालेज चल रहे है। इन कालेजों 7500 के करीब सीटें हैं। ऐसे में प्रत्येक वर्ष का अगर आंकड़ा लिया जाए, तो सात हजार से अधिक बीएड प्रशिक्षु हर वर्ष प्रदेश में तैयार हो रहे हैं। ऐसे में इतनी अधिक संख्या में पदों का सृजन स्कूलों में कर पाना सरकार के लिए संभव नहीं हो पा रहा है। इसके चलते बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो रही है। अगर बैच नहीं बैठता है, तो निजी बीएड कालेज बंद होने की कगार पर आ जाएंगे। अभी जो बैच पिछले सत्र में कालेजों में बैठा है, वह 2019 में पासआउट होकर निकलेगा।

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