कसोल को बेवजह किया जा रहा बदनाम
मनाली —कसोल में बढ़ता पर्यटन कारोबार कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा है। इस लिए लगातार कसोल को बदनाम करने की कोशिशें की जा रही हैं। कभी नशे के नाम पर कसोल को बदनाम किया जाता है, तो कभी आतंकियों के नाम पर, जबकि हकीकत कुछ और ही है। यह बात रविवार को कुल्लू में आयोजित पत्रकार वार्ता में कसोल के कारोबारियों व स्थानीय लोगों ने कही। उन्होंने कहा कि कसोल को कुछ लोग बेवजह बदनाम कर रहे हैं। यहां तक कि पुलिस भी सरकार व अपने उच्चाधिकारियों को ग्राउंड रिपोर्ट सही नहीं दे रही है। पूर्व बीडीसी सदस्य यशपाल व स्थानीय कारोबारी प्रेम कायस्था का कहना है कि कसोल के लोगों को आज हर जगह शक की नजर से देखा जाता है, जबकि यहां के लोग काफी भोले भाले हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस कसोल के आसपास भी किसी को नशे की खेप के साथ पकड़ती है, तो उसे कसोल का ही मामला बताया जाता है,जिससे क्षेत्र की तस्वीर लोगों की नजर में खराब हो रही है। उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस प्रशासन कसोल की ग्राउंड रिपोर्ट को बदल कर लोगों के समक्ष रख रहा है। यही नहीं कसोल जितने भी विदेशी आते हैं वे ए क्लास कैटागिरी के सैलानियों में शामिल होते हैं। ऐसे में क्षेत्र का नाम बार-बार नशे से जोड़ कर लिए जाने से यहां के पर्यटन कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कसोल में न तो ड्रग का सेवन होता है और न ही यहां के लोग इस कारोबार में शामिल हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कुछ बाहरी राज्यों से आने वाले कारोबारी कसोल का माहौल खराब कर रहे हैं, जिन पर वे भी कार्रवाई की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि कसोल में न तो कृषि योग्य भूमि है और न ही यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है। ऐसे में यहां सिर्फ पर्यटकों से संबंधित कारोबार की संभावनाएं हैं, लेकिन उसे भी कुछ लोग बंद करवाने में उतारू हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेशों के बाद जहां आज भी 36 छोटी-बड़ी होटल इकाइयां सील पड़ी हैं, वहीं यहां के कारोबारियों ने विभिन्न बैंकों से 39 करोड़ रुपए का ऋण ले रखा है। ऐसे में कसोल की लगातार बिगाड़ी जा रही छवि से यहां सैलानियों की संख्या भी घटती जा रही है। उन्होंने कहा कि अब यहां के लोगों का सड़कों पर आना बाकी रह गया है।
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