जनादेश से अलग सरकार!

By: May 16th, 2018 12:02 am

कर्नाटक में प्रधानमंत्री मोदी का ‘पीपीपी’ का सपना साकार हो सकता है। पराजय के बाद कांग्रेस दो राज्यों-पंजाब और मिजोरम तथा एक संघशासित क्षेत्र पुडुचेरी तक सिमट कर रह सकती है। साफ है कि देश ‘कांग्रेसमुक्त’ हो रहा है। कर्नाटक के चुनाव ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में कांग्रेस नहीं है। दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ राज्यों को जीतने के बाद 2019 में केंद्र सरकार बनाने की हुंकार भरी थी, अंततः वह एक चीख साबित हुई। वह चीख प्रधानमंत्री मोदी के खौफ की भी हो सकती है। बहरहाल कर्नाटक में खंडित जनादेश के आकलन एकदम गलत साबित नहीं हुए हैं। भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। सरकार बनाने को 111 सीटें चाहिए। कांग्रेस 77 सीटों के साथ भाजपा से बहुत पीछे है। जनता दल-एस का प्रदर्शन कमोबेश 2013 के सरीखा ही रहा है। यदि 2013 को मानदंड माना जाए, तो कांग्रेस की सीटें करीब 45 कम हुई हैं, जबकि भाजपा की सीटें 66 अधिक हुई हैं। इसी के साथ ‘दक्षिण का द्वार’ भी भगवा हो गया है। इस जनादेश के कई कारण और आधार हो सकते हैं, लेकिन मोदी-शाह भारतीय राजनीति के ‘सलीम-जावेद’ साबित होते जा रहे हैं। यह जोड़ी तो हर जगह हिट हो रही है। बंगलूर के शहरी क्षेत्र, मध्य कर्नाटक, मुंबई कर्नाटक, तटीय और पहाड़ी कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक, उडुप्पी, शिमोगा, धारवाड़, चिकमंगलूर, गुलबर्गा आदि इलाकों में भाजपा को ही बढ़त मिली है। यहां तक कि मुस्लिम बहुल और देवेगौड़ा-कांग्रेस के स्पष्ट प्रभाव वाले पुराने मैसूर में भी भाजपा बढ़त पर रही है। हालांकि वोक्कालिंगा समुदाय में पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा का परंपरागत प्रभाव रहा है। इस बार भी 21 सीटें जीत कर देवेगौड़ा की पार्टी जद-एस उस इलाके में पहले स्थान पर रही है, लेकिन भाजपा के पक्ष में जो 17 सीटें आई हैं, वह पार्टी का ‘अतिरिक्त हासिल’ है और भाजपा ने नया जनाधार स्थापित किया है। यदि जाति और जमात के आधार पर विश्लेषण किया जाए, तो भाजपा ने ओबीसी, शहरी और कस्बाई इलाकों में, ग्रामीण इलाकों में भी, मुस्लिम बहुल की सीटों पर भी और आदिवासियों में बढ़त हासिल की है। दलित बहुल 14-14 सीटें भाजपा और कांग्रेस ने जीती हैं। इस तरह भाजपा के खिलाफ दलित-मुस्लिम विरोधी होने का कांग्रेस का प्रचार फुस्स हो गया। कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने लिंगायतों को बांटने का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन भाजपा ऐसी 44 सीटों पर विजयी रही। यानी यह मुहिम भी नाकाम साबित हुई। ऐसे चौतरफा समर्थन का एक ही बुनियादी कारण हो सकता है कि अब भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कन्नड़ी लोगों की आस्था है। प्रधानमंत्री मोदी का जादू और काम करने की गतिशीलता पर जनमत हासिल हुआ है। बेशक मोदी सरकार ने भी कई वादे अधूरे रखे हैं, लेकिन फिर भी लोगों को उनके नेतृत्व में यकीन है। जनादेश प्रधानमंत्री मोदी के नाम भी है, क्योंकि जिन 10-12 दिनों में उन्होंने प्रचार किया था, उससे चुनाव की दशा और दिशा ही बदल गई थी। राहुल गांधी 20 दिनों तक रैलियों को संबोधित करते रहे, लिहाजा सोच लीजिए कि वह 15 मिनट बोलते, तो प्रधानमंत्री मोदी का क्या होता! इस बीच सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद को फोन पर निर्देश दिया कि वह देवेगौड़ा से मिलें और सरकार बनाने की संभावनाएं तय करते हुए चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दें, ताकि वह सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को न बुला सकें। कांग्रेस ने जद-एस के नेता एवं देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने का न्योता भी दे दिया है। इस बीच सोनिया गांधी ने देवेगौड़ा से भी फोन पर बात की थी। न्योता स्वीकार भी कर लिया गया। कांग्रेस का उतावलापन देखिए कि उसने जद-एस को समर्थन देने का ऐलान कर दिया, लेकिन सभी सीटों के रुझान स्पष्ट नहीं हुए। तब तक 112 सीटों के ही नतीजे घोषित हुए थे। शायद इसी अस्पष्टता के कारण राज्यपाल ने किसी भी दल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया। हालांकि निवर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जरूर मिले और अपना इस्तीफा दिया। येदियुरप्पा ने कहा है कि भाजपा भी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, क्योंकि वह सबसे बड़ी पार्टी है। मेघालय और गोवा में क्या हुआ था, उसे मिसाल नहीं माना जा सकता। बहरहाल भाजपा को सत्ता से बाहर रखा जाए, यही कांग्रेस का राजनीतिक मकसद था, लेकिन पूरे चुनावी परिदृश्य का आकलन करें, तो बुनियादी रूप से हार कांग्रेस की हुई है, क्योंकि वह सत्ता के बाहर हो गई है। इसी आधार पर मान सकते हैं कि कांग्रेस की स्थिति ‘पीपीपी’ हो गई है। अब गेंद राज्यपाल के पाले में है कि वह सरकार बनाने के लिए सबसे पहले किसे आमंत्रित करते हैं! कांग्रेस और जद-एस की साझा संख्या 114 विधायकों की बनती है, जो बहुमत से भी ज्यादा है, लेकिन यह आलेख लिखने तक करीब 10 सीटों के रुझान जारी थे।

अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App