धर्मशाला युद्ध संग्रहालय के दरवाजे बंद

By: May 27th, 2018 12:11 am

धर्मशाला —सरहदों की रक्षा में अपने प्राणों की आहुतियां देने वाले वीर जवानों की गाथाएं प्रदर्शित करने वाले धर्मशाला का युद्ध संग्रहालय मात्र सफेद हाथी बनकर ही खड़ा है। इस संग्रहालय को नौ माह पहले जनता को समर्पित कर दिया था। इस दौरान दावे किए गए थे कि जवानों की सरहदों पर युद्धों के दौरान दिखाई गई वीरता तथा युद्ध से जुड़ी सामग्री को चित्रों के माध्यम से दिखाया जाएगा। प्रदेश का बना पहला युद्ध संग्रहालय स्थानीय ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से पहुंचने वाले पर्यटकों को भी जवानों की शहादतों को जानने का मौका मिलना था, लेकिन यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना पूरी तरह से सिरे नहीं चढ़ पाई है। युद्ध संग्रहालय के भवन निर्माण तो हो गया, लेकिन इसके भीतर युद्ध से जुड़ी सामग्री नहीं पहुंच पाई है, जिसके चलते अब पर्यटन सीजन में भी पर्यटकों का आकर्षण बनने वाले इस युद्ध संग्रहालय के दरवाजे बंद होने के कारण पर्यटक भी मायूस होकर लौट रहे हैं। जानकारी के अनुसार नौ अगस्त, 2017 में धर्मशाला युद्ध संग्रहालय का लोकार्पण किया गया था। उद्घाटन के नौ माह बीत जाने के बाद भी युद्ध संग्रहालय के दरवाजे आंगतुकों के लिए बंद पड़े हैं।

फूल-पौधे मुर्झाए, सफाई व्यवस्था नहीं

युद्ध संग्रहालय न तो पर्यटकों के लिए खुल रहा है और न ही इसका आगामी कार्य पूरा हो पा रहा है। संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर ही बने पार्क कैफे का मामला पूर्व में विवाद में होने के कारण लटक गया था, लेकिन अब भी उस स्थान के सौंदर्यकरण और अन्य कार्य शुरू नहीं हो पाया है, जिसके चलते एंट्री प्वाइंट पर ही कंटीली तारों से बंधा यह एरिया संग्रहालय के प्रवेश द्वार को ही भद्दा बना रहा है। परिसर में लगाए गए फूल और पौधे भी अब गर्मी के चलते मुरझाने लगे हैं। इस स्थान के आसपास सफाई की भी उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है, जिसके चलते करोड्ों की महत्त्वाकांक्षी योजना धूल फांक रही है। सरकार व प्रशासन जल्द नहीं जागे, तो यह खंडहर बन रह जाएगा।

कपाट बंद देख पर्यटक मायूस

नाम सुनकर दिल्ली से आए थे अपने परिवार सहित दिल्ली से धर्मशाला पहुंचे अरविंद कुमार ने बताया कि जब उन्हांेने युद्ध संग्रहालय का नाम सुना और यहां पहुंचे तो उनके मन में बहुत से भाव आ रहे थे। युद्धांे से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने की मन में जिज्ञासा भी बहुत थी, लेकिन जब दरवाजे पर लगा शटर बंद मिला तो बड़ा झटका लगा है। उन्‍होंने कहा कि नौ महीने पहले हुए उद्घाटन के बाद इसके निर्माण कार्य को पूरा न करना, यह यहां की सरकार व प्रशासन की विफलता को भी दर्शाता है।  गुजरात से परिवार के साथ आए थे गुजरात से धर्मशाला पहुंचे आनंद भाई पटेल ने कहा कि वह अपने साथियों सहित धर्मशाला-मकलोडगंज घूमने आए हैं। उन्हांेने यहां शहीद स्मारक और युद्ध संग्रहालय का नाम सुना तो इसकी झलक पाने को यहां पहुंचे। उन्‍होंने कहा कि शहीद स्मारक में तो कुछ पल बिताए, लेकिन युद्ध संग्रहालय के गेट पर पहुंचकर उन्‍हें निराश होकर लौटना पड़ा।

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