भीख का बढ़ता प्रचलन
देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला
आजकल इस देवभूमि में भिखमंगों, ठगों की संख्या में वृद्धि प्रत्यक्ष रूप से सामने आ रही है। कोई हरे कपड़ों (फकीर) में, तो कोई भगवा कपड़ों (शिव और माता) में ठगी के नए-नए तरीके अपना कर, इस प्रदेश की भोली-भाली जनता को ठगने में सफल हो रहे हैं। अगर उन्हें पांच / दस रुपए देते भी हैं, तो माता का नाम ले बडे़ वाले नोट की मांग करते हैं। मुख से ऐसे शब्द निकालते हैं कि सामने वाला इनसान मानसिक रूप से उसके वश में होकर, ठगी का शिकार हो जाता है। क्या कभी इन भीख मांगने वाले प्रवासियों पर कोई रोक लगाने के प्रयास किए गए। क्या प्रशासन-पुलिस-पंचायत ने इसका संज्ञान लिया है? क्या कभी इन प्रवासियों की पहचान के लिए कोई कदम उठाए गए? क्या उन्हें इस देवभूमि में आने, ठहरने, पहचान के लिए कोई कठोर कदम उठाए गए? अपनी इस देवभूमि की सुरक्षा-शांति को बनाए रखने में हम सब अपना-अपना कर्त्तव्य निभाने में सहायक होंगे, ऐसी उम्मीद है। भिखमंगों का बढ़ जाना हमारे प्रदेश के लिए सही नहीं है। भीख देने का इतना प्रचलन हो चुका है कि आजकल हर कोई भिखारी बन कर चल पड़ता है। इसलिए ठगी, कत्ल, उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए नागरिकों, पुलिस, प्रशासन व पंचायतों को इसके प्रति उचित कदम उठाने होंगे।
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