राजगीर मेला
बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केंद्र तथा जैन तीर्थंकर महावीर और भगवान बुद्ध की साधनाभूमि रहा है। इसका जिक्र ऋग्वेद, अथर्ववेद, तैत्तरीय पुराण, वायु पुराण, महाभारत, वाल्मीकि रामायण आदि में आता है। जैनग्रंथ विविध तीर्थकल्प के अनुसार राजगीर जरासंध, श्रेणिक, बिंबसार, कनिक आदि प्रसिद्ध शासकों का निवास स्थान था। जरासंध ने यहीं श्रीकृष्ण को हराकर मथुरा से द्वारिका जाने को विवश किया था। मलमास में सभी शुभ कार्यों पर रोक लगी रहती है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दौरान सभी 33 करोड़ देवी-देवता बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में रहते हैं। मान्यता है कि यहां विधि-विधान से भगवान विष्णु (भगवान शालिग्राम) की पूजा करने से लोगों को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। यही कारण है कि अधिकमास में यहां ब्रह्म कुंड पर साधु-संतों समेत पर्यटकों की भारी भीड़ लगी रहती है। तीन सालों में एक बार लगने वाला मलमास मेला इस साल मई से शुरू हुआ है। मलमास के दौरान राजगीर में एक महीने तक विश्व प्रसिद्ध मेला लगता है, जिसमें देशभर के साधु-संत पहुंचते हैं। राजगीर की पंडा समिति के मुताबिक इस एक महीने में राजगीर में काला काग को छोड़कर हिंदुओं के सभी 33 करोड़ देवता राजगीर में प्रवास करते हैं। प्राचीन मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्म कुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें 33 करोड़ देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया था और वे यहां पधारे भी थे, लेकिन काले काग (कौआ) को निमंत्रण नहीं दिया गया था। जनश्रुतियों के मुताबिक, इस एक महीने के दौरान राजगीर में काला काग कहीं नहीं दिखता। इस क्रम में आए सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी हुई थी, तभी ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण किया था। इस ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी में कई युगपुरुष, संत और महात्माओं ने अपनी तपस्थली और ज्ञानस्थली बनाई है। इसी कारण मलमास के दौरान यहां लाखों साधु-संत पधारते हैं। मलमास के पहले दिन हजारों श्रद्धालू राजगीर के गर्म कुंड में डुबकी लगाते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। मलमास के दौरान राजगीर छोड़कर दूसरे स्थान पर पूजा-पाठ करने वाले लोगों को किसी तरह के फल की प्राप्ति नहीं होती है, क्योंकि सभी देवी-देवता राजगीर में रहते हैं। इस महीने में जो मनुष्य राजगीर में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसके सभी पाप कट जाते हैं और वह स्वर्ग में वास का भागी बनता है। गौरतलब है कि राजगीर न केवल हिंदुओं के लिए धार्मिक स्थल है, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए भी पावन स्थल है। यहां के पवित्र कुंडों का जल श्रद्धालू अपने साथ घर लेकर जाते हैं।
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