सच बोलना मेरे खून में है पूजा भट्ट

By: May 6th, 2018 12:15 am

एक निर्माता के तौर पर कई कामयाब फिल्में बनाई हैं, लेकिन पिछले डेढ़ सालों से वह एक नए सफर पर हैं। यह सफर है आदत बन चुकी शराब को जिंदगी से हमेशा के लिए निकाल फेंकने का। इस कोशिश में उन्होंने 494 दिन का सफर तय भी कर लिया है।  बकौल पूजा, आप डैडी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, बॉर्डर, मेरी सारी फिल्मों को एक तरफ  रख दें और मेरी इस उपलब्धि को दूसरी तरफ रख दें, तो मैं बोलूंगी कि मेरी यह उपलब्धि मेरे लिए ज्यादा मायने रखती है…

एक अदाकारा के तौर पर अभिनेत्री पूजा भट्ट ने कई कामयाब फिल्में की हैं। एक निर्माता के तौर पर कई कामयाब फिल्में बनाई हैं, लेकिन पिछले डेढ़ सालों से वह एक नए सफर पर हैं। यह सफर है आदत बन चुकी शराब को जिंदगी से हमेशा के लिए निकाल फेंकने का। इस कोशिश में उन्होंने 494 दिन का सफर तय भी कर लिया है। मैं बोलूंगी कि मेरी यह उपलब्धि मेरे लिए ज्यादा मायने रखती है। 24 दिसंबर, 2016 को शराब से नाता तोड़ने वाली पूजा ने इस चुनौतीपूर्ण सफर के बारे में दिल खोलकर बात की…

मर्द जात को यह परमिशन हमने ही दी है?

हमारे यहां तो शराब भी मर्द की जागीर है। हम फिल्मों में देखते आए हैं, शराबी बनी है अमिताभ बच्चन साहब के साथ, डैडी बनी है अनुपम खेर के साथ, मगर एक औरत का नजरिया कोई सुनता ही नहीं है। उसके बारे में कोई बात करता ही नहीं है। क्या हम इनसान नहीं हैं। हमारे अंदर कमजोरियां नहीं हैं। जबकि, औरतों को ज्यादा स्ट्रेस होता है। हम घर भी संभालती हैं, बाहर जाकर रोटी भी कमाती हैं। फिर हमें बोला जाता है कि आपकी जिंदगी हम तय करेंगे कि आपको शादी किसके साथ करनी है, बच्चा पैदा करना है या नहीं करना है, काम करेंगे या नहीं करेंगे। हालांकि, कहीं न कहीं मर्द जात को यह परमिशन हमने ही दी है।

शराब से नाता तोड़े 494 दिन हो गए। आज की पूजा और 494 दिन पहले वाली पूजा में क्या अंतर है। आप कैसा महसूस कर रही हैं?

मैंने 23 दिसंबर, 2016 को आखिरी बार शराब पी थी। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मैंने शराब छोड़ी थी, तब से अब तक मैं फिजिकल बदलावों की बात करूं, तो तब मैं 82 किलो की थी, आज 68 किलो की हूं। जबकि मैंने कोई डायटिंग नहीं की है। जब आपकी आदतें बदल जाती हैं, तो आपकी जिंदगी नियमित हो जाती है। आप जल्दी सोते हैं, सुबह जल्दी उठते हैं। आपमें एनर्जी बहुत होती है। मैं अपने को वह बच्ची मानने लगी हूं, जो मैं पहले थी। मैं मानती हूं कि यह मेरा दूसरा बचपन है क्योंकि दुनिया नई-नई लग रही है। मैं खिल गई हूं। यह ऐसा है, जब आप माउंट एवरेस्ट चढ़ने की कोशिश करते हैं और एक-एक दिन पार करके चोटी पर पहुंच जाते हैं, तब जो एहसास होता है, वैसा ही एहसास है। फर्क यह है कि यहां यह सफर कभी खत्म नहीं होता।

जैसे आपको यह याद है कि आपने शराब कब छोड़ी, क्या आपको याद है कि आपने शराब पीना कब शुरू किया और कब यह आपकी आदत बन गई?

शुरुआत तो सोशल ड्रिंकिंग से ही होती है। फिर आपको पता नहीं चलता है कि कब यह आदत बन जाती है, क्योंकि हमारी इंडस्ट्री में तो शराब जिंदगी का एक हिस्सा है। जिस दुनिया में हम रह रहे हैं, चाहे आप बिजनस लंच के लिए जाएं, कोई पार्टी हो, शराब के बिना तो खत्म होती ही नहीं है। मैं जैसे जीती थी, मैं वैसे पीती थी। न जिंदगी में कोई रुकावट, न शराब में कोई रुकावट। बहुत से लोग होते हैं, जो शराब को हैंडल कर लेते हैं, लेकिन मुझसे यह हैंडल नहीं हो पा रहा था। यही दिक्कत थी। वैसे हमें लगता है कि अरे यार, शराबी तो वह है, जो नशे में सड़क के किनारे पड़ा है, लेकिन नहीं, शराबी वह भी है, जो शाम को दो ड्रिंक पीता है या पीती है और उसका व्यक्तित्व बदल जाता है। आप शराब पर निर्भर हैं। आप चाहें तो खुद से झूठ बोलकर जिंदगी निकाल सकते हैं। लेकिन मैं खुद से झूठ नहीं बोल सकती। मैं महेश भट्ट की बेटी हूं और सच बोलना मेरे खून में है।

आपने फैसला कब और कैसे लिया कि बस, अब शराब को हाथ नहीं लगाना है?

जब भी आपको लगता है कि मैं किसी भी चीज पर निर्भर हूं, चाहे वह एक इनसान हो, एक तारीफ  हो या एक बोतल हो, तो कहीं न कहीं आप गुलाम होते हैं। मैं किसी की गुलाम होना पसंद नहीं करती हूं। तो मैंने खुद से कहा, पूजा भट्ट तुम किसी मर्द की गुलाम नहीं बन सकती हो, तुम क्या बोतल की गुलाम बनोगी। मेरे अंदर से एक आवाज उठी कि अब बहुत हो गया, अब शराब छोड़ दो, वरना मर जाओ। मुझे किसी ने कभी शराब छोड़ने के लिए नहीं कहा। हां, एक बार मैंने भट्ट साहब पापा महेश भट्ट, से बातों-बातों में कहा कि आय लव यू पापा, तो उन्होंने कहा कि अगर आप मुझसे प्यार करती हैं, तो खुद से प्यार करो, क्योंकि मैं आपके अंदर जीता हूं। उन्होंने मुझे शराब छोड़ने को नहीं कहा, क्योंकि वह कभी अपने बच्चों से नहीं कहते कि यह करो या वह मत करो, लेकिन उन शब्दों में मैंने यह संदेश पढ़ा कि अगर मैं अपने से प्यार करती हूं, तो पहले मुझे शराब छोड़नी पड़ेगी। फिर, मैंने क्रिसमस के दिन, जो मेरे लिए बहुत खास मौका होता है और क्रिसमस ऐसा त्योहार है, जो शराब के बिना आप मनाते ही नहीं हैं, मैंने तय किया कि मैं शराब की तरफ  मुड़कर नहीं देखूंगी।

आमतौर पर लोग शराब की लत होने जैसी बातों को छिपाते हैं, जबकि आपने सारी दुनिया के सामने पूरी बेबाकी से इसे स्वीकारा। इसकी क्या वजह रही?

मैंने यह फैसला किया था कि मुझे छुपाकर नहीं, चीख-चीखकर बोलना है, क्योंकि हिंदुस्तान में खास तौर पर औरतें जो होती हैं, वह इस बारे में बात नहीं करती हैं। अगर वे शराब पीती भी हैं, तो छिपकर पीती हैं। कोल्ड-ड्रिंक में मिलाकर पीती हैं, तो वे किसी से चर्चा नहीं करती हैं, क्योंकि वह परिवार के लिए शर्मिंदगी की बात हो जाती है। हमारे यहां जब भी किसी महिला के साथ दिक्कत होती है, चाहे मर्द आपको पीटे, चाहे आप निर्भर हो जाएं शराब या नींद की गोलियों पर, कोई आपका शोषण करता रहे या रेप कर दे, समाज हमें यही बोलता है, शरम, शरम, शरम, शेम ऑन यू। इस शेम शब्द ने ही कहीं न कहीं हमें बांधकर रखा है। हमें इस शेम को झटककर कहना है कि हम शर्मिंदा नहीं हैं। अगर हमारी आदतें बुरी हो गई हैं और हम उसे सुधारना चाहते हैं, तो हमें एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मदद मांगनी है। इसीलिए, मैं यह बोलती हूं कि लोग देखें और बोलें कि जिस लड़की ने 17 साल की उम्र में ‘डैडी’ फिल्म में अपने पिता जी की शराब छुड़वाई थी, वही लड़की इतने साल बाद उसी समस्या से गुजर रही थी। लोगों को यह जानना बहुत जरूरी है कि अगर मेरे साथ यह हो सकता है, तो उनके साथ भी हो सकता है और अगर मैं छोड़ सकती हूं, तो आप भी छोड़ सकते हैं। जब हम रोल मॉडल्स की बात करते हैं, तो रोल मॉडल्स सिर्फ  वही नहीं हैं, जो दुनिया को अपना अच्छा चेहरा दिखाते हैं। हमारे अंदर जो तन्हाई है, जो अनिश्चितताएं हैं, उसे दुनिया के साथ बांटना असल ताकत है। इसके बारे में बात करना मैं अपना फर्ज मानती हूं।

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