साफ दिल हूं और मुंह पर बोल देती हूं

By: May 6th, 2018 12:16 am

शिखर पर

सुरभि राणा

बचपन पहाडि़यों, नालों और खेत खलिहानों में खेलते- कूदते बीता है। गाय-भैंस, सांप और जंगली जानवर सब देखे हैं इसलिए कभी डर नहीं लगता। बचपन में बहुत शरारती थी और कबड्डी जैसी खेलों का शौक था। यह कहना है एमटीवी के रियलिटी शो ‘रोडीज एक्स्ट्रीम’ में सिलेक्ट हुई सुजानपुर के रंगड गांव की 28 वर्षीय सुरभि राणा का। वह कहती हैं कि आज मैं इस मुकाम पर हूं इसका सबसे बड़ा कारण मेरा साफ दिल होना और मुंह पर बोलने का अंदाज है।  शुरू से ही उनकी पर्सनेलिटी और शौक ऐसे रहे हैं, जो कहीं न कहीं आज उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में सहायक हुए। यहां तक पहुंचने के सफर के बारे में सुरभि बताती हैं कि रोडीज एक्स्ट्रीम में सिलेक्ट होने के लिए पुणे, कोलकाता, दिल्ली और चंडीगढ़ से लाखों लोग आए थे। चंडीगढ़ की ही बात करें तो 10 से 12 हजार लोग यहां से पहुंचे थे। पहले राउंड में घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। बहुत सारे लोग तो लंबी-लंबी लाइनों को देखकर ही वापस लौट जाते हैं। उसके बाद अलग-अलग राउंड करवाए जाते हैं, जो गैंग लीडर होते हैं वे आपकी मेंटल एक्टिविटी देखने के लिए ऐसी बातें करते हैं जिससे आप हतोत्साहित हों। सुरभि शुरू से ही बिंदास जीने वाली लड़की रही हैं इसलिए किसी भी राउंड में उनका आत्मविश्वास और मनोबल नहीं टूटा। अपने सिलेक्ट होने की खूबी के बारे में सुरभि कहती हैं कि ‘साफ दिल हूं और मुंह पर बोल देती हूं’ । सिलेक्टर को मेरा यही अंदाज पंसद आया और उन्हें इस एडवेंचर भरे प्रोग्राम में जाने का मौका मिला। बता दें कि सुरभि राणा पेशे से एक डेंटिस्ट हैं और मोहाली में फार्मास्यूटिकल कंपनी में बतौर साइंटिस्ट काम कर रही हैं।

मेरे पास एवेंजर बाइक है

सुरभि कहती हैं कि वह एक बाइकर भी हैं। मेरे दो भाई हैं उनसे मैंने बाइक चलाना सीख लिया था। वह कहती हैं कि मैंने सबसे पहला व्हीकल एवेंजर बाइक खरीदा। अपनी बाइक में मनाली, रोहतांग के अलावा कई जगहों का सफर कर आई हैं। वह कहती हैं कि जब मैं कालेज में सेकेंड ईयर में थीं तो बाइक चलाना शुरू कर दिया था।

जब किया लड़कों को लहूलुहान …

सुरभि राणा के एडवेंचर और बहादुरी के कई किस्से हैं। सुरभि जूडो-कराटे की चैंपियन भी रही हैं। कालेज की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार मैं और मेरी दो फ्रेंड जा रहे थे। तभी कुछ लड़के छेड़खानी की नियत से उन्हें तंग करने लगे।  उनकी फ्रेंड थोड़ी डर गई थीं, लेकिन मैंने उन्हें एक तरफ करते हुए पहले उन लड़कों पर पत्थरों की बौछार कर अलग-अलग किया फिर लात- घूंसों से उन्हें लहूलुहान कर दिया था।

नेहा धूपिया की गैंग टीम में मिली जगह

एमटीवी के रोडीज एक्स्ट्रीम में जो टीमें बनाई गई हैं उन्हें गैंग का नाम दिया गया है। सुरभि राणा बालीवुड अभिनेत्री नेहा धूपिया की टीम में शामिल हैं। इसके अलावा रैपर सिंह रफ्तार प्रिंस नरूला और निखिल चिनप्पा की टीमें भी इस शो में हैं। शो को रणविजय होस्ट कर रहे हैं। यह शो एमटीवी पर शनिवार और रविवार रात को 7 बजे प्रसारित किया जाएगा।

— नीलकांत भारद्वाज, हमीरपुर

मुलाकात

नारी को चांद-सितारे नहीं,सम्मान और प्यार चाहिए…

क्या हर खौफ  बेवजह है। आपके लिए साहस व खौफ  के बीच कितना अंतर है?

मेरा मानना है कि डर बेवजह होता है। खौफ हमारे अंदर की इनसिक्योरिटी है। जैसे कई बार कुछ लोग आग-पानी से डरते हैं या फिर कोई किसी को परेशान कर रहा है तो आप चुपचाप निकल जाते हैं। आपका साहस आपके खौफ  को खत्म कर सकता है।

किसी औरत की बहादुरी का पहला प्रमाण क्या हो सकता है। आपने अपनी पहली वीरता कब और कैसे दर्ज की?

मेरा मानना है कि हर चीज की शुरुआत घर से होती है। अकसर घरों में देखा गया है कि लड़कियां खुलकर अपने दिल की बात अपने माता-पिता से भी कई बार नहीं कर पातीं। जबतक आप अपने माता-पिता या भाईयों के सामने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते तब तक बाहर भी कोई बात नहीं कर सकते।

खुद पर कितना यकीन है और विश्वास कैसे अर्जित कर पाईं?

यकीन है इसलिए हर चैलेंज लेने को तैयार रहती हूं। जहां तक विश्वास की बात है तो मुझे लगता है कि आप अपने फेलियर से बहुत कुछ सीखते हो। मैं बचपन में गांव में पढ़ी। फिर जब बाहर आकर पढ़ने का मौका मिला, तो दिक्कतें पेश आईं क्योंकि गांव में हम हिंदी मीडियम में पढ़े होते हैं। एकदम से जब आप इंग्लिश मीडियम में मूव करते हो तो वह एक चुनौती से कम नहीं होता।

खुद को इतिहास के आईने में देखती हैं, तो किस नायिका के करीब देखती हैं?

एक बहुत महान बॉक्सर हुए मोहम्मद अली, मैं उनकी बहुत बड़ी फैन हूं। इसके अलावा देश की प्रधानमंत्री रही इंदिरा गांधी को मैं बहुत मानती हूं। उन्होंने उस जमाने में भी एक महिला होते हुए ऐसे स्टेप्स लिए जो किसी औरत के लिए आसान नहीं थे। मेरी मां ने मुझे इतना बोल्ड बनाया कि मेरे अंदर का सारा डर की खत्म कर दिया।

आपके लिए नारी जगत की सबसे बड़ी शक्ति क्या है?

नारी एक मां होती है, पत्नी होती है और बहन होती है। कितने सारे रोल हम प्ले करते हैं। औरत तो खुद शक्ति का स्वरूप है। क्योंकि जितना सेक्रीफाई एक औरत करती है उतना पुरुष नहीं कर सकता। फिर चाहे वह अपना घर छोड़कर ससुराल जाना हो, नौ माह तक बच्चे को कोख में रखना हो या फिर परिवार के लिए समझौते करने का हो। इन सब चीजों के लिए साहस चाहिए और नारी में उतना साहस होता है। बदले में नारी क्या चाहती है सम्मान और प्यार, उन्हें चांद तारे नहीं चाहिए।

हार जीत की संभावनाओं के बीच आगे बढऩे का आपका सिद्धांत?

अगर आप मेहनत से जीत रहे हैं तो घमंड नहीं करना चाहिए और अगर फेल हो रहे हैं तो उदास नहीं होना चाहिए। हार-जीत जीवन के दो पहलू हैं। जब आप हारते हो तो सीखते हो। यदि जीत रहे हो तो आपने अपने फेलियर से सीखा है। मेरे हिसाब से यही आगे बढ़ने का सिद्धांत है।

जो सिर्फ  सुरभि राणा कर पाई या कर सकती है?

मैं कभी गलत देख नहीं सकती और न सह सकती हूं। मेरे लिए गलत चीजों के लिए जीरो टोलरेंस है।

एमटीवी के शो में पहुंचना अचानक हुआ। आपने  इसके काबिल बनने की कोई खास योजना बनाई या खास अभ्यास किया ?

मेरे दोनों भाई डाक्टर हैं। मम्मी-पापा चाहते थे कि मैं भी डाक्टर बनूं। मैंने उनकी बात को माना और डेंटिस्ट बन गईं। उसके बाद मैंने अपने सपने को पूरा करने का सोचा मैं मीडिया में आना चाहती थी। मैं धाकड़ किस्म की लडक़ी हूं। इसलिए मुझे लगा कि रोडीज में जाकर मुझे वह सब करने का मौका मिल सकता है जो मैं करना चाहती हूं।

पुरुषों को पछाड़ने में कितना आनंद आता है। पहली बार कब लगा कि सुरभि तुझे समाज की परछाइयों और मान्यताओं से  भी आगे निकलना है?

देखिए मैं कोई पुरुष विरोधी नहीं हूं। मुझे यहां तक पहुंचाने में मेरे पापा के साथ मेरे दोनों भाइयों का बहुत रोल रहा है। मैं भी पुरुषों की रिस्पेक्ट करती हूं। जब मैं 12वीं कक्षा में थी तो मेरे घरवालों ने मुझे एक्टिवा लेकर दी। मुझे घर में भाइयों से ज्यादा स्पोर्ट मिला है। जब एक्टिवा लेकर जाती थी तो आसपास की महिलाएं मेरी मां से कहती थीं कि लडक़ी है उसे ऐसे न भेजा करें बगैरा-बगैरा…लेकिन मेरी मां कहती थीं कि हमने इसे ऐसी परवरिश दी है कि हमे अपने बेटी पर पूरा यकीन है। मैं ऐसे लोगों की सोच को बदलना चाहती हूं।

आप बाइक दौड़ाती हैं। जूडो-कराटे में पारंगत हैं। क्या कोई औरतों जैसा काम भी करती हैं। खाना बनाना आता है या बस पुरुषों को ही पछाड़ना आपका ध्येय है?

मैं घर का हर काम करती हूं। फिर चाहे वह खाना बनाना हो, साफ.-सफाई करनी हो या फिर कपड़े़ धोने का हो। हमने बचपन में घास भी काटी है। आज भी मैं सुबह उठकर परांठे बनाती हूं। वैसे भी कहते हैं न कि औरत में लक्ष्मी का रूप भी होना चाहिए, सरस्वती का भी और दुर्गा का भी। तभी वह पूर्ण नारी बन सकती है। मॉडर्न होने का यह मतलब नहीं कि आपकी जो जिम्मेदारी, जो संस्कार है उसे आप भूल जाएं।

आपकी मंजिल क्या है। काम सपने देखकर करती हैं या लक्ष्य खुद- ब- खुद बड़े होकर आपके सामने चुनौती रख देते हैं?

मैं अपने गोल खुद सेट करती हूं और कुछ चीजें खुद- ब- खुद सामने चैलेंज बनकर खड़ी हो जाती हैं। हम सुबह जब काम पर जाते हैं तो रोज एक चैलेंज होता है। जब मैं रोडीज में गई थी तो मुझे पूरा यकीन था कि मैं सिलेक्ट हो जाऊंगी। क्योंकि मैं हमेशा चैलेंज के लिए तैयार रहती हूं। मुझे एक पब्लिक फीगर बनना है। मैं समाज की सोच को बदलना चाहती हूं, खासकर जो लड़कियों के प्रति लोगों की आज है।

हिमाचली युवा आपसे क्या सीखें या जीवन में आगे बढ़ने के लिए  वह कौन सा रास्ता चुनें?

मैं युवा वर्ग को कहना चाहूंगी कि अपने माता-पिता की और अपनी फेमिली की रिस्पेक्ट करें। उनसे दिल की बातें शेयर करें। अपने सपने परिवार से न छुपाएं। परिवार का सपोर्ट ही आपका मददगार होगा।

कभी गुस्सा आता है या फौलादी सुरभि के भी कभी आंसू निकल आते हैं। जब आत्मविभोर हो जाती हैं या मनोरंजन के लिए कुछ पल ढूंढ लेती हैं। आखिर आपका दूसरा पक्ष है क्या?

गुस्सा बहुत आता है जब सामने कुछ गलत होते हुए दिखता है। जहां तक आंसुओं की बात है तो मुझ में भी वे सब इमोशंस हैं जो औरों में होते हैं। किसी को दुखी देखकर मैं भी दुखी और भावुक होती हूं। जिंदगी ने जो रंग दिए हैं उन्हें मैं भी जीना चाहती हूं। मुझे वॉक पर जाना बहुत पसंद हैं। रोज शाम को वॉक पर जाना जब ठंडी हवा चल रही हो। हैडफोन से म्यूजिक कानों में पहुंच रहा हो। मुझे गीत लिखना, कविताएं लिखना और कहानियां लिखना अच्छा लगता है। म्यूजिक सुनती हूं। नेचर के साथ कम्युनिकेट होना मुझे अच्छा लगता है।

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