1930 में सूबेदार प्यारा सिंह ने  भारतीय सेना में किया प्रवेश

By: May 23rd, 2018 12:05 am

सेना में अपनी सक्रिय सेवा के दौरान इन्होंने विश्व भर में भ्रमण किया। जब ब्रिटेन दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हो गया, तो सूडान में कैरिम की पहाडि़यों में जर्मनी के विरुद्ध लड़ते हुए उनके शरीर के विभिन्न भागों में सात गोलियां लगी, परंतु वह बच गए। उनकी लंबी आयु की कुंजी कड़ा अनुशासन, सादा जीवन और शाकाहारी भोजन था…

सूबेदार प्यारा सिंह

सूबेदार प्यारा सिंह का निधन 106 वर्ष की आयु में ऊना जिला के टकोली गांव में 18 जून, 2011 को हुआ। उनकी पत्नी हंसा देवी ने दो वर्ष पहले 101 वर्ष की आयु में धर्मशाला में अंतिम सांस ली थी। अपनी पत्नी के देहांत के बाद प्यारा सिंह की सेहत अच्छी नहीं रह रही थी। दंपति जो विश्व में सबसे बड़ी आयु के जीवित दंपति के होने का दावा कर रहे थे, को 25 जुलाई, 2007 को उनके सबसे बड़े बेटे द्वारा ‘गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड’ में नाम दर्ज करवाने का प्रयत्न किया, परंतु यह स्वीकार नहीं किया गया। 2007 ई. में मकलोडगंज में उनके जन्म दिन पर आयोजित तिब्बती परंपरा के अनुसार एक विशेष समारोह में महामहिम दलाईलामा से लंबी आयु के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। दंपति धर्मशाला के निकट बड़ोल में रह रहा था। दंपति की शादी 23 मई, 1924ई. को हुई थी। इस दंपति ने 81 सदस्यों वाले इस परिवार की पांच पीढि़यां देखी थीं। प्यारा सिंह ने 1930 ई. में ब्रिटिश भारतीय सेना में प्रवेश लिया था। सेना में अपनी सक्रिय सेवा के दौरान इन्होंने विश्व भर में भ्रमण किया। जब ब्रिटेन दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हो गया, तो सूडान में कैरिम की पहाडि़यों में जर्मनी के विरुद्ध लड़ते हुए उनके शरीर के विभिन्न भागों में सात गोलियां लगी, परंतु वह बच गए। उनकी लंबी आयु की कुंजी कड़ा अनुशासन, सादा जीवन और शाकाहारी भोजन था। प्यारा सिंह 1942 ई. में मेडिकल आधार पर आठ रुपए पेंशन भोगी बने और बाद में 12 हजार रुपए प्रतिमास की पेंशन तक पहुंचे। वह भारतीय प्रतिरक्षा द्वारा जीवित शतायु सैनिकों को मिलने वाली 100 प्रतिशत बढ़ी हुई पेंशन प्राप्त कर रहे थे।

राजकृष्ण गौड़

बीआर पंडित के पुत्र राजकृष्ण गौड़ का जन्म कुल्लू जिला के रंघड़ी में 20 अक्तूबर, 1931ई. को हुआ। उन्होंने बीएससी तक शिक्षा प्राप्त की। वह पेशे से कृषक व बागबान थे। जिला कुल्लू कांग्रेस कमेटी के महासचिव वर्ष 1963 में तथा 1972-77 में जिला कुल्लू युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। कांग्रेस कमेटी के 1977 में अध्यक्ष, 1965-72 तक भारत सेवक समाज जिला कुल्लू के चेयरमैन, 1985 ई. में प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित, 1993 व 2003 में पुनः निर्वाचित हुए। 1985-90 में पर्यटन तथा आबकारी और कराधान राज्यमंत्री व छह मार्च 2003-2004 तक कृषि मंत्री रहे। 2009 तक शिमला नगर निगम के सदस्य और चार साल तक भारत सेवक समाज के अवैतनिक सदस्य रहे। 1967 ई. में प्रदेश विधानसभा के लिए मनोनीत हुए।

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