चांद से हीलियम लाएगा इसरो

By: Jun 28th, 2018 12:05 am

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए चांद के दक्षिणी सिरे पर हीलियम-3 के खनन संबंधी संभावना तलाशने जा रहा है। दुनियाभर के निजी और कई सार्वजनिक अंतरिक्ष संगठन भी चांद पर खनन के लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हैं, जो एक उपयुक्त रिएक्टर बनने तक हीलियम-3 और चांद पर मौजूद पानी के भंडारण के लिए खनन संबधी संभावना तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि भारत इस प्रक्रिया का हिस्सा ही न हो बल्कि इसका नेतृत्व भी करे, हम पूरी तरह से इस मिशन के लिए तैयार हैं। इसरो अक्तूबर में एक रोवर और जांच (प्रोब) मिशन लांच करेगा जो चांद की अछूती सतह पर मिट्टी और पानी के नमूनों को एकत्र करेगा, फिर इसे विस्तृत विश्लेषण और अनुसंधान के लिए वापस लाया जाएगा। भारत का यह मिशन अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा के इसी तरह के चलाए जा रहे अभियान से काफी किफायती है जिसमें लगभग 800 करोड़ की लागत आएगी। चंद्रमा की ऐसी कोई ढाल नहीं है, इसीलिए माना जाता है कि इसकी सतह सदियों से हीलियम-3 सोख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि चांद पर हीलियम-3 इतनी प्रचुर मात्रा में है कि इससे 250 सालों तक वैश्विक ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।

क्या है हीलियम-3

चांद पर हीलियम-3 होने की पुष्टि विख्यात भूविज्ञानी हैरिसन श्मिट ने 1972 में अपोलो 17 मिशन से चांद से लौटने के बाद की थी। हीलियम-3 नाभकीय संलयन के लिए एक मूल्यवान और स्वच्छतर ईंधन है जिसे धरती पर प्राप्त नहीं किया जा सका है। हालांकि यदि हीलियम-3 का पर्याप्त मात्रा में खनन और किफायती दरों पर परिवहन किया जा सके, तो यह फ्यूजन एक आकर्षक विकल्प भी हो सकता है।


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