ठाकर मट्टी पंचायत में गहराया पानी का संकट

By: Jun 13th, 2018 12:05 am

 सलूणी —उपमंडल की ठाकरी मट्टी पंचायत के दो गांवों में पेयजल की नियमित आपूर्ति न होने से ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है। ग्रामीणों को चिलचिलाती गर्मी में कई किलोमीटर दूर प्राकृतिक चश्मे से पानी लाकर अपनी ओर मवेशियों की प्यास बुझाने के अलावा घरेलू कामकाज निपटाने पड़ रहे हैं। ग्रामीणों की पेयजल आपूर्ति को सुचारू करने की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। ग्रामीण कुलदीप, अमित, सुरजीत, विक्त्रम, योगराज, विजयपाल, श्याम सिंह व सुनील आदि ने बताया कि ठाकरी मट्टी पंचायत के ककडोता व पंजोता गांव में माह में दो बार ही पेयजल की आपूर्ति हो पा रही है। उन्होंने बताया कि सड़क सुविधा से महरूम इन गांवों में हैंडपंप की स्थापना भी नहीं हो पा रही है। उन्हांेने बताया कि पानी की कमी के चलते लोग शौचालय का प्रयोग भी नही कर पा रहे हैं। मजबूरन लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड रहा है, जिससे इलाके में स्वच्छ भारत मिशन अभियान भी हांफ कर रह गया है। उन्हांेने आईपीएच विभाग से जल्द समस्या का हल करके राहत पहंुचाने की गुहार लगाई है। उधर, आईपीएच सलूणी मंडल के एक्सईए ठान हेमंत पुरी का कहना है कि जल्द फील्ड स्टाफ को मौके पर जाकर वास्तविक स्थिति का पता लगाया जाएगा।  अगर पेयजल की समस्या हुई तो उसका हल करवा दिया जाएगा।

सोशल मीडिया की खबर का भरोसा नहीं

इंटरनेट के इस युग में हालांकि सबकुछ ऑनलाइन  है, लेकिन इस युग में भी युवाओं का अखबार पढ़ने का क्रेज कम नहीं हुआ है। कुछ युवा इंटरनेट के इस युग में अखबार खत्म होने की भी बात कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर युवा का अखबार पर बड़ा असर नहीं बता रहे हैं। आपराधिक घटनाओं की खबरों से युवा पीढ़ी ज्यादातर आहत हो रही है। कुछ इस तरह की बातें युवाओं ने ‘दिव्य हिमाचल’ से शेयर कीं…

अखबार पर पूरा भरोसा

अमित सोनी का मानना है कि जो बात अखबार में है वे सोशल मीडिया में नहीं। सोशल मीडिया में तो कई बार ऐसी आपत्तिजनक तस्वीरें वहां समाचार होते हैं, जिनका कोई सिर पैर नहीं होता। इसके विपरीत प्रिंट मीडिया विश्वसनीय व स्तरीय खबरों को ही अहमियत देता है।

इंटरनेट पर अफवाहें

कुषाण महाजन का कहना है कि भले ही इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान हो मगर अकसर देखा गया है कि इसमें मनगढ़ंत अफवाहें अधिक दिखाई देती हैं, जबकि अखबार ऐसा माध्यम है इसमें जो समाचार छपता है वह तथ्यों पर आधारित होता है।

 अखबार पढ़ना ही पसंद

दिग्विजय का कहना है कि अगर समाचार पत्र में किसी भी कारण कोई पहलू गलत हो सके तो उसे तुरंत पकड़ा जा सकता है। मगर सोशल मीडिया में फेक समाचार सिर्फ सनसनी फैलाने की नियत से ही डाले जाते हैं। यही कारण है कि आज भी समाचार पत्रों के पाठक बरकरार हैं।

न्यूज पेपर के छपी न्यूज सही

उपेंद्र शर्मा का मानना है कि अखबारों में छपी खबरों का असर अधिक होता है। तथा समाचार पत्र की भी जवाबदेही है, जबकि सोशल मीडिया में जिसके मन में जो आया पोस्ट कर दिया। आज भी लोगों का विश्वास अखबारों पर ही है। कम्प्यूटर पर लगातार कार्य करने के बाद मैं अखबार पढ़कर ही अपना समय व्यतीत करते हैं।

सोशल मीडिया पर समाचार फेक

राज का कहना है कि अगर सोशल मीडिया पर विश्वास करने लगे, तो दिन में 100 में से 90 समाचार तो झूठे पागल साबित होंगे। अखबार में खबरों के अलावा ओर कई अहम जानकारियां हासिल होती हैं, जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में काफी अहम साबित होती हैं।

समाचार पत्र का अपनी ही महत्त्व

अमृतपाल सिंह के अनुसार भले ही आज का दौर इंटरनेट का हो। मगर सोशल मीडिया में समाचारों के अलावा ऐसी आपत्तिजनक सामग्री डाली जाती है, जो परिवार के साथ देखी नहीं जा सकती।  यह युवाओं को बिगाड़ने का कारण बनती जा रही है, जबकि प्रिंट मीडिया स्वच्छ छवि के साथ-साथ असरदार समाचार एक सकारात्मक संदेश देते हैं।

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