दिमागी बुखार से निपटने की तैयारी
सोलन में मच्छरों को पकड़ने में जुटी दिल्ली-हिमाचल की टीम
सोलन— जापानी दिमागी बुखार के कारणों की जड़ तक पहुंचने के लिए दिल्ली के विशेषज्ञ व प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की टीमें अब मच्छर पकड़ने में जुट गई है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की लंबी फौज दिमागी बुखार से प्रभावित इलाकों में दिन-रात मच्छरों के नमूने लेने में लगी है। मच्छरों को जिंदा भी पकड़ा जा रहा है व उन्हें मारकर सैंपल भी एकत्रित किए जा रहे हैं। मच्छरों से फैलने वाली दिमागी बुखार की घातक बीमारी की रोकथाम व संक्रमण रोग की तह तक जाने हेतु दिल्ली से आई स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय टीम मच्छरों के नमूने लेने में ही लगी है। सोलन जिले के सिहारड़ी, नौणी ग्रेटी, शासल, सनवारा क्षेत्रों से दिमागी बुखार के चार मामले अभी तक पाजिटिव पाए गए हैं। सर्वप्रथम विश्व में इस तरह का मामला जापान देश में आया था तथा इसलिए इस बुखार को जैपनीज इन सेफैलीटिस (जेई.) का नाम दिया गया है। इन क्षेत्रों में कई बच्चों को अचानक अत्याधिक ज्वर, शरीर में बुरी तरह जकड़न, सिहरन, सूजन की शिकायतें आने पर स्वास्थ्य विभाग में दिल्ली तक अलर्ट जारी हो गया। स्थानीय उपचार से ठीक न होने के कारण बीमार बच्चों को शिमला के आईजीएमसी से इलाज करवाना पड़ा। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग से नेशनल कम्नयुकेबल डिसिज़, वाटर बोर्न डिसिज व अन्य कई संक्रमण रोगों के निदान के लिए नियुक्त विशेषज्ञों की टीमें धर्मपुर में कई दिनों से डेरा जमाए हुए हैं। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग भी दिमागी बुखार को लेकर अलर्ट पर है। दर्जनों विशेषज्ञ अब उक्त क्षेत्रों में मच्छर पकड़ने में जुटे हुए हैं। इन मच्छरों के नमूनों को भी पूणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान में भेजा जा रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि पुणे प्रयोगशाला से किस विशेष वायरस से यह ज्वर फैलता है, उसकी पुष्टि हो जाएगी। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. एन के गुप्ता से जेई दिमागी बुखार से बचाव करने के उपाय के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मच्छर के काटने से स्वयं को बचाएं, सुबह-शाम पूरी बाजू की शर्ट पहनें तथा बर्तनों में भी रखें और पानी को प्रातः फेंक दें।
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