हिमाचल को कर्ज से निकालना मुश्किल

By: Jun 27th, 2018 12:06 am

सच यह है कि मेरे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने से कइयों को तकलीफ हो रही है। इस कड़वी सच्चाई को विपक्ष के मित्र पचा नहीं पा रहे कि उनसे कम उम्र का व्यक्ति हिमाचल का सीएम कैसे बन गया। इस कुंठित मानसिकता के कारण विरोधियों को मेरी सेल्फी और नाटियां परेशान कर रही हैं। हालांकि सच यह है कि मुझे हिमाचल की संस्कृति और सादगी से बेहद लगाव है। इसी कारण अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हुए कुछ पल अपनी संस्कृति के लिए समर्पित कर देता हूं….। हिमाचल सरकार के छह माह का कार्यकाल पूरा होने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां और चुनौतियों को लेकर ‘दिव्य हिमाचल’ के राज्य ब्यूरो प्रमुख मस्तराम डलैल से विशेष बातचीत की। उनका साथ दिया सिटी रिपोर्टर टेकचंद वर्मा और फोटो जर्नलिस्ट विक्रांत बधन ने। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

हिमाचल को कर्ज के भंवर से निकालना मुश्किल

छह महीने के दौरान कितना आधार तैयार हुआ है? अब इसके आगे आपकी सरकार का मकसद और मंजिल क्या है?

सीएम : छह माह का कार्यकाल विकास के लिए समर्पित रहा। राजनीति अलग जगह है। अब हिमाचल को कोई क्षेत्रवाद की परिपाटी में नहीं बांट सकता। टोपियों के नाम पर सियासीकरण नहीं होगा। टोपियों का प्रचलन हिमाचल की संस्कृति है। इसलिए इसको संस्कृति के रूप में देखना चाहिए। छह माह के दौरान किसी भी मुख्यमंत्री ने 47 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा नहीं किया। छह माह के दौरान मंत्री, अधिकारी व जनता से उनका सतर्क संपर्क रहा है। पार्टी के नेतृत्व व आशीर्वाद से पहली बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। ऐसे में जनता का आशीर्वाद भी अहम है। इसलिए वे बड़े प्रदेश के विभिन्न जिलों का प्रवास कर चुके हैं। मेरी सरकार का मकसद बदलाव है। पीछे जो एक स्थापित व्यवस्था थी। सरकार बदलने के बाद एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगाने, मामले दर्ज करवाने की प्रक्रिया तेज हो जाती थी। सरकार बदले की भावना से कार्य नहीं करेगी। सरकार कीमती समय बर्बाद नहीं करेगी और मेरा कार्यकाल जनता के लिए समर्पित है। इस अंतर को प्रदेश की जनता ने महसूस किया है। मेरा एकमात्र लक्ष्य हिमाचल प्रदेश का अभूतपूर्व विकास है। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना प्राथमिकता में शामिल है। सरकार की मंजिल पहाड़ी प्रदेश को अलग पहचान दिलाना है। राज्य में विकास के लिए विभिन्न विभागों के माध्यम से कार्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर मैंने हिमाचल का पक्ष रखा है। परिणामस्वरूप सरकार के छह माह पूरे होने से पहले 4365 करोड़ मिल चुका है जो विपक्ष के लोग गाहे-बगाही करते रहते हैं कि दिल्ली जाना और कुछ नहीं मिलना इसके पश्चात उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं रहा है।

आरंभिक लक्ष्य के बाद अगला पड़ाव? कोई ऐसा प्रयत्न जिसे आज तक नहीं किया गया हो?

सीएम : सरकार लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। सरकार का लक्ष्य लोकसभा चुनाव हिमाचल के योगदान को शत प्रतिशत करना है। देश की जनता प्रधानमंत्री को कई वर्षों तक पद पर देखना चाहती है जिसमें हिमाचल की जनता व सरकार भी अपना सहयोग समर्थन देगी।

स्व. परमार हिमाचल निर्माता, वीरभद्र सिंह विकास पुरुष, शांता कुमार पानी वाले और प्रेम कुमार धूमल सड़क वाले सीएम साबित हुए, तो अब जयराम किस तरह जनता में अपना एहसास जमाएंगे?

जयराम : मेरी पहचान किसी विशेष काम से हो, ऐसा न मेरा प्रयास और न दिल में हसरत है। पूरी ईमानदारी और सच्ची निष्ठा से हिमाचल को प्रगति के पथ पर ले जाना चाहता हूं। पर्यटन के क्षेत्र में कई ऐसे साहसिक फैसले सरकार ने जनहित में लिए हैं। मैंने मुख्यमंत्री के चौपर को पर्यटन व्यवसाय को विकसित करने के लिए समर्पित किया है। सप्ताह में तीन दिन सीएम का चौपर शिमला-चंडीगढ़ के बीच पर्यटन को पंख लगा रहा है। सरकार सफलतापूर्वक कार्य कर रही है। विकासात्मक कार्यों से सरकार को सफलता भी मिल रही है। कनेक्टिविटी के लिए 69 नेशनल हाई-वे में से 53 की आउटसोर्सिंग पूरी कर दी गई है। हिमाचल बड़े एयरपोर्ट के प्रोजेक्ट को भी आगे बढ़ा रहा है। पर्यटन हिमाचल व भाजपा का सपना है, मगर इसके विकास के लिए जमीनी स्तर पर पहले कुछ नहीं हुआ। सरकार ने कुछ प्रोजेक्ट सोचे हैं, जिन पर कार्य शुरू हो गए हैं। सरकार ने हेलिटैक्सी की शुरूआत की है, जिसके लिए उन्होंने अपना हेलिकाप्टर दिया है जो सफलतापूर्वक चल रहा है।

बतौर मुख्यमंत्री आपकी अपनी आशाएं और रुकावटें?

जयराम : प्रदेश को विकास के शिखर पर पहुंचाना है, इसके लिए मेरे मन में बहुत सारे सपने और योजनाओं के खाके बुने गए हैं। इसके लिए मिलकर एकजुटता से कार्य करने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि कई रुकावटें भी चुनौतियों से कम नहीं हैं। शहरी क्षेत्रों में टै्रफिक जाम, पेयजल, पार्किंग में सुधार की आवश्यकता है। इसके अलावा कहीं स्कूल भवन नहीं हैं तो कहीं अध्यापक। अस्पताल हैं, पर डाक्टर नहीं। इन खामियों से पीड़ा होती है, जिनको दूर करने के लिए प्रयास चल रहे हैं।

क्या हिमाचल कभी अपना कर्ज बोझ उतार पाएगा? क्या केंद्र से हिमाचल की भरपाई हो पाएगी। कोई पैकेज या प्रगति का कोई नया हिसाब मिल जाएगा। सरकार का खर्चा कैसे घटाएंगे?

जयराम :  हिमाचल  पर कर्ज का भार लगातार बढ़ रहा है। आज की तारीख में प्रदेश पर 46 हजार करोड़ का कर्जा है। इसको खत्म करना मुश्किल है, लेकिन कर्जा और अधिक न बढ़े इसके लिए प्रयास किए जाएंगे। हिमाचल ने केंद्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखा है। केंद्र सरकार इसकी भरपाई करेगी। यह कहना उचित नहीं होगा। दुःख का विषय है कि यह विरासत हमें पिछली  सरकार से प्राप्त हुई है। विकासात्मक कार्यों में गति बढ़ाने के लिए  सरकार केंद्र सरकार से हरसंभव सहयोग लेने का प्रयास करेगी। इसके लिए विभागों से संपर्क पर है। केंद्र सरकार ने कई योजनाओं को जहां मंजूरी प्रदान कर दी है वहीं कई विचाराधीन है। ऐतिहासिक निर्णय यह है कि केंद्र सरकार अधिकांश योजना में 90-10 का रेशो प्राप्त करने में सफलता मिली है जो राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है।

विपक्ष को आपकी नाटियों और सेल्फी से तकलीफ हो रही है। क्या आप मानते हैं कि हिमाचल में राजनीतिक चरित्र व स्तर गिर रहा है। जिम्मेदार कौन?

जयराम : मुझे किसी के बारे में कहने की आदत नहीं है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हिमाचल देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां कि संस्कृति अलग है और विश्व विख्यात है। पहाड़ी संस्कृति के प्रति मेरा दिल से लगाव है। मेरा संस्कृति व हिमाचली होने के प्रति लगाव कुछ मित्रों को अखर रहा है। कुछ लोग इस पर आपत्तियां और टिप्पणियां करने में ओछी राजनीति कर रहे हैं। सच यह है कि मेरे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने से कइयों को तकलीफ हो रही है। इस कड़वी सच्चाई को विपक्ष के मित्र पचा नहीं पा रहे हैं कि उनसे कम उम्र का व्यक्ति हिमाचल का सीएम कैसे बन गया। विपक्ष को इसकी पीड़ा है। उन्हें इस बात को समझना चाहिए।

प्रदेश के अस्पतालों में डाक्टर, स्कूलों में शिक्षक और कालेजों में प्राध्यापक नहीं। ऐसे में शिक्षा-चिकित्सा में गुणवत्ता कैसे आएगी?

जयराम : पिछली सरकार ने बिना वित्तीय प्रावधान के कई संस्थानों के फट्टे टांग दिए। इस कारण अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं। स्कूल-कालेजों में शिक्षक और प्राध्यापकों की कमी खल रही है। पिछली सरकार के इस कारनामे पर हमें बेहद शर्मिंदगी है। बावजूद इसके सरकार रिक्त पदों को भरने के लिए वचनबद्ध है। इस कड़ी में शिक्षकों के हजारों पद इसी साल भरे जाएंगे। राज्य में अब मेडिकल कालेज की संख्या पांच हो गई है। लिहाजा जल्द ही चिकित्सकों की कमी दूर कर ली जाएगी।

एडीबी फंडिंग से पर्यटन क्षेत्र कितना तरोताजा होगा। प्रमुख योजनाएं हैं क्या और किस तरह तस्वीर बदलेगी?

जयराम : इस फंडिंग के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों ने बेहतरीन प्रयास किया है। शहरी विकास मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से हिमाचल को 1892 करोड़ स्वीकृत हुआ है। इससे शहरों में पर्यटन के विकास का आधारभूत ढांचा खड़ा होगा। ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन से जोड़ा जाएगा। इससे अनछुए पर्यटन स्थलों को सैलानियों से जोड़ने का प्रयास है। इससे हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को बल मिलेगा और रोजगार के फाटक खुलेंगे। इसकी विस्तार से योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसमें हर क्षेत्र और पहलू को ध्यान में रखा जाएगा।

कई बोर्ड-निगमों को अभी तक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा बोर्ड आफ डायरेक्टर्स नहीं मिले हैं। इस लेटलतीफी का क्या अर्थ निकालें?

जयराम : प्रदेश में एक तरफ प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं कि प्रदेश कर्ज के बोझ तले दबा है। दूसरी तरफ बोर्ड, निगमों में चेयरमैन व अध्यक्ष की नियुक्ति की बात कही जा रही हैं। खर्चों में कटौती की सोच के कारण सरकार फिलहाल किसी तरह का वित्तीय बोझ बढ़ाने के मूड में नहीं है। बावजूद इसके समय की मांग पर नियुक्तियों पर अवश्य फैसला लिया जाएगा। सरकार गंभीर है और मामला हमारे विचाराधीन है।

वर्तमान सरकार से कुछ नई नीतियों की अपेक्षा है। पर्यटन, औद्योगिक, खेल के अलावा क्या स्थानांतरण नीति की दिशा में कुछ सुनने को मिलेगा?

जयराम : अभी चंद महीने पहले सरकार को बने हुए  हैं। दो-तीन महीने सरकार स्थापित होने में लगा देती है। बावजूद इसके हमने पर्यटन और औद्योगिक के क्षेत्र में कई नीतिगत फैसले लिए हैं। इसी दिशा में सरकार स्थानांतरण नीति को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के लिए प्रयासरत है। जल्द ही इस बारे अच्छी खबर मिलेगी।

आपके लिए विकास के मायने, प्रगति के सूचक और खुशहाल प्रदेश का मानचित्र क्या है?

जयराम : प्रदेश की विश्व पर्यटन मानचित्र पर अलग पहचान है। विकासात्मक कार्यों के साथ-साथ प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देना मेरी प्राथमिकता रहेगी जिसकी संभावना में सरकार जुटी है।

दिन-रात काम करना ही मेरा मनोरंजन

जयराम ठाकुर का कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार छह महीने से काम में व्यस्त हूं। इस दौरान मैंने कोई भी छुट्टी नहीं की है। इस कारण मैं न अपने लिए  समय निकाल पाया हूं और न परिवार के लिए। बावजूद इसके बीच में थोड़ा सा समय निकालकर अपने मित्रों और परिजनों से बातचीत कर लेता हूं। जनसेवा और दिन-रात काम करना ही मेरे लिए मनोरंजन का साधन बन गया है।

6 महीने में 47 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा जयराम ठाकुर ने किया

अभी बहुत कुछ करना है

मुख्यमंत्री कहते हैं कि अभी तक बहुत कुछ करने को बाकी है। सरकार को बने हुए थोड़ा सा समय हुआ है। इस अल्प अवधि में हमने पर्यटन को लेकर कुछ निर्णय लिए हैं, जिनमें बड़ा मुकाम हासिल करने के लिए कुछ वक्त का इंतजार करना पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश अन्य राज्य की तुलना में दूसरे प्रदेशों के मुकाबले कई मानकों में आगे है। शहरी क्षेत्रों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को नए आयाम तक पहुंचाना है। ग्रामीणों की पीठ का बोझ उतारना मेरा सपना है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति को स्वावलंबन बनाना है। इसके लिए निर्णय लिए जा रहे हैं। अपने पांव पर खड़े होने के लिए आय के जरिए बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है।


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