21 को निजी बसों की हड़ताल

By: Jun 11th, 2018 12:15 am

मांगें पूरी न होने पर धरना-प्रदर्शन करेंगे आपरेटर, 27 से अनशन

घुमारवीं – प्रदेश सरकार ने यदि निजी बस आपरेटरों की मांगें नहीं मानीं, तो प्रदेश भर में 21 जून को निजी बसों के पहिए थम जाएंगे। यह निर्णय निजी बस आपरेटर यूनियन की राज्य स्तरीय बैठक में यूनियन के पदाधिकारियों और आपरेटरों ने सामूहिक रूप से लिया है। बैठक में प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर व महासचिव रमेश कमल विशेष रूप से उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता बिलासपुर जिला के प्रधान राजेश पटियाल ने की। पदाधिकारियों ने कहा कि 21 जून को प्रदेश भर में सांकेतिक धरना-प्रदर्शन शांतिपूर्वक किया जाएगा। यदि इससे पहले प्रदेश सरकार निजी बस आपरेटरों की मांग को मान जाती है, तो धरना-प्रदर्शन नहीं किया जाएगा, लेकिन यदि मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो यूनियन 27 से क्रमिक अनशन पर बैठ जाएगी। बैठक में प्रदेश भर के निजी बस मालिकों को आ रही समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। राजेश पराशर ने कहा कि डीजल के मूल्यों में बहुत वृद्धि हुई है, जिससे आपरेटरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। डीजल के दामों के साथ बस अड्डों की फीस, स्पेयर पार्ट्स, इंश्योरेंस, ग्रीन टैक्स की फीस भी इतनी ज्यादा बढ़ गई है, जिससे बसों के खर्चे तक पूरे नहीं हो पा रहे। इसी समस्या से जूझते हुए कुछ आपरेटरों ने बसें खड़ी करना शुरू कर दी हैं। दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे डीजल के दामों व अन्य पुर्जों के दामों से आपरेटरों की देनदारियां बढ़ती जा रही हैं, जिससे आपरेटर दिन-प्रतिदिन देनदारियों में फं सते जा रहे हैं। 50 हजार की इंश्योरेंस अब 70 हजार में पहुंची गई है। इस मौके पर कांगड़ा से प्रधान, पवन सोनी (प्रेम बस सर्विस), मंडी से वीरेंद्र गुलेरिया, शिमला से जय गोपाल राजटा, सिरमौर से माम राज, हमीरपुर से विजय ठाकुर, बलजिंद्र कश्यप, रणजीत, रणवीर सेन, अमरजीत सेन, काका, अमरनाथ, लक्की, दीपक, महेंद्र, राजेंद्र, चमन लाल, सुरेंद्र पटियाल व सुरेश पटियाल मौजूद रहे।

आत्मदाह करने को तैयार

बिलासपुर प्रधान राजेश पटियाल ने कहा कि यदि सरकार लोगों को सस्ती परिवहन सुविधा देना चाहती है, तो जो डीजल का दाम 50 रुपए से ऊपर का है, उसे सबसिडी के रूप में व अन्य कलपुर्जों पर जो बढ़ोतरी हुई है, उसे टैक्स के रूप में छूट दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो निजी बस आपरेटर आत्मदाह करने पर मजबूर हो जाएंगे। सभी आपरेटरों ने मुख्यमंत्री व परिवहन मंत्री से मांग की है कि आपरेटर्ज के हितों को ध्यान में रखते हुए लोकल किराए में दस रुपए व प्रति किलोमीटर किराए में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी की जाए। अन्यथा वह रूट परमिट सरकार को जमा करवाकर अनशन करने को मजबूर हो जाएंगे।

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