अपने हिस्से का आसमान पाने की चाहत…

By: Jul 8th, 2018 12:05 am

पुस्तक समीक्षा

* पुस्तक का नाम : अपने हिस्से का आसमान (कहानी संग्रह)

* लेखक का नाम : संदीप शर्मा

* मूल्य : 300 रुपए

* प्रकाशक : प्रकाशन संस्थान, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली

संदीप शर्मा की लेखनी जब कहानी घड़ने लगती है तो फिर यथार्थ को बयां करने से गुरेज नहीं करती। उनकी अभी नई प्रकाशित पुस्तक ‘अपने हिस्से का आसमान’ में सत्तरह कहानियां सम्मिलित की गई हैं। इनकी एक-एक कहानी अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है जो उनके अनुभवों और कल्पना की गहराई को अपने में समेटे हुए है। इन कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें आंचलिक शब्दों का प्रयोग बेधड़क किया गया है जो आधुनिक समय में उनको सजीव रखने में मदद करता है। इनकी कहानियां रोचकता एवं हास्य युक्त हैं जो पाठकों को गुदगुदाने और ज्ञान प्रदान करने में सक्षम हैं। पुस्तक की पहली कहानी ‘ढोल की तान’ एक मनोवैज्ञानिक कहानी है, जिसमें लेखक ने सत्तू नामक बच्चे के चंचल और बाल मस्तिष्क में उपजने वाले भावों को रोचक ढंग से चित्रित किया है। ‘ताऊ का कमर दर्द’ कहानी आधुनिक समाज का यथार्थ चित्रण करती है। आज जिस तरह से बुजुर्ग व्यक्तियों की घर में उपेक्षा की जाती है, उसे लेखक ने कहानी में घड़ने की कोशिश की है। ‘बढ़ांगा’ कहानी 1947 में भारत विभाजन के पश्चात फैली धार्मिक असहिष्णुता का मार्मिक चित्रण करती है। लेखक के द्वारा चुना गया शीर्षक बढ़ांगा इतना सटीक और बोधगम्य है कि पाठक इस शीर्षक को पढ़ते ही कहानी की मूल प्रेरणा तक पहुंच जाता है। ‘बहुरूपिया’ रूप सिंह की कहानी है जो स्वयं बहुरूपिया है। वे बुद्धिजीवी जो कला की पहचान करने में अक्षम हैं, ऐसे खुद को श्रेष्ठ कहलाने वाले लोगों के ऊपर यह कहानी व्यंग्य करने में सक्षम है। ‘कन्न’ एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो कानों को साफ  करता है। उसका नाम भले ही शेर सिंह हो, पर जब उसे कोई कन्न बुलाता है तो लोगों की वह सोच परिभाषित होती है, जिसमें एक योग्य व्यक्ति को उसकी योग्यता नहीं, अपितु उसके सर्टिफिकेट्स के आधार पर योग्य माना जाता है। ‘मंगतू की बकरियां’ कहानी ग्रामीण परिवेश से निकली हुई कहानी है। मंगतू एक ऐसा पात्र है जो बकरियों को पालकर जीवन का निर्वाह करता है। हर बकरी के बच्चों का नामकरण रोचकता को बढ़ाता है। ‘नंदी बैल’ कहानी सामाजिक बुराइयों, अंधविश्वासों तथा इनसान के स्वार्थ पर कटाक्ष करती है। लेखक ने कहानी को जिस लहजे के साथ घड़ा है, उसे पढ़कर लगता है मानो नंदी बैल स्वयं वार्तालाप कर रहा हो। ‘रावण का पुतला’ एक कल्पनाशील व्यक्ति की कहानी है जो हर समय नए-नए सपने देखता है और खुद को भी वैसा ही समझने लगता है। हिमाचल में अन्य राज्यों के लोगों द्वारा काम किए जाने पर यहां के लोगों में उपजता  आलस्य तथा फैलती बेरोजगारी को इस कहानी में बताया गया है। ‘शनिवारे’ एक संस्मरणात्मक कहानी है, जिसमें लेखक अपनी जिंदगी के एक अंश को हमारे सामने रखता है। मां द्वारा जिस तरह से शनिवारे के ऊपर अटूट विश्वास किया जाता है, वैसा गांवों में आज भी प्रचलित है।

‘अपने हिस्से का आसमान’ में टपकू बच्चे की कहानी है जो उम्र भर अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ता है। उसके साथ सभी बुरा व्यवहार करते हैं। बड़े होने पर ही उसे पता चलता है कि वह उस गलती की सजा भोग रहा है जो उसके द्वारा की ही नहीं गई है। वह हर समय खुश रहता है और अपना एक अलग ही आसमान बनाता है जिसकी बुलंदियों को वह हासिल करके छोड़ता है। ‘कठपुतलियां’ कहानी अपने में अनेक गूढ़ अर्थों को छुपाए हुए है। इसे एक नजर से देखने पर यह मानव और कठपुतलियों की कहानी लगती है। लेकिन गंभीरता से देखने पर यह ईश्वर द्वारा मानव रूपी कठपुतलियों को नचाने और उनके समस्त क्रिया-कलापों की लगाम अपने हाथ में रखने के बारे में बताती हुई एक रहस्यवादी कहानी का रूप धारण कर लेती है। ‘नानी’ कहानी में कहानीकार ने एक ऐसी महिला के जीवन के ऊपर प्रकाश डाला है जो जीवन के अंतिम समय तक भी अपने स्वाभिमान को मरने नहीं देती। कहानी में आज के समय में मतलबी और संवेदनहीन बन चुके बच्चों के बारे में खुलकर लिखा गया है। ‘उपनाम’ कहानी ग्रामीण संस्कृति और लोगों के आपसी व्यवहार को बिना लाग-लपेट के हमारे सामने लाती है। टऊ की भावनाओं और लोगों द्वारा चिढ़ाने को उसकी बाल बुद्धि के ऊपर गहरा असर पड़ता है। ‘भगतू और बंदर’ कहानी में भगतू मुख्य पात्र है जो गांव में सबसे अधिक बलवान है। काम भी काफी करता है, पर शराब की लत उसके कामों में विघ्न डालने में मुख्य भूमिका निभाती है। पत्थर चौथ कहानी में लेखक गांवों में प्रचलित पत्थर चौथ को देखने से कलंक लगने जैसी गलत मानसिकता को सबके सामने रखता है। लेखक का प्रकृति प्रेम ‘गाइड’ कहानी में देखने को मिलता है। इसमें प्रकृति व पर्यटन के आपसी सामंजस्य को बखूबी पाठकों के सामने प्रस्तुत किया गया है। अंतिम कहानी ‘जुड़वां’ में कहानीकार ने लोगों को अत्याधुनिक तकनीक द्वारा बांझपन जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के बारे में जानकारी प्रदान की है। इस कहानी में प्रोफेसर साहब अनेक प्रकार के यज्ञ संतान सुख प्राप्त करने के लिए करते हैं, लेकिन उन्हें संतान प्रात्ति उचित इलाज द्वारा ही मिलती है। संदीप शर्मा की ये ऐसी कहानियां हैं जो पाठकों को अपनी ओर आकर्षित होने को मजबूर करती हैं। संदीप हमीरपुर क्षेत्र के युवा लेखक हैं जो निरंतर लेखन कर

रहे हैं।                समीक्षक : कुमार पंकज


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