अमीबियासिस संक्रमण का खतरा

By: Jul 7th, 2018 12:05 am

मानसून में कई तरह के संक्रामक रोग तेजी से फैलते हैं। अमीबियासिस बारिश में फैलने वाली आम बीमारी है। अमीबियासिस एक जलजनित रोग है यानी ये रोग पानी के द्वारा फैलता है। इसके साथ ही ये रोग संक्रामक होता है यानी कुछ विशेष परिस्थितियों में ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंच जाता है…

बारिश बीमारियों का मौसम है। मानसून में कई तरह के संक्रामक रोग तेजी से फैलते हैं। दरअसल बरसात होने के बाद वातावरण में नमी हो जाती है और नमी में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं। इस मौसम में त्वचा की बीमारियों के अलावा वायरल बुखार, डेंगू, डायरिया और मलेरिया, अमीबियासिस का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर लोग अमीबियासिस के बारे में कम जानते हैं और जानकारी का अभाव बीमारी से होने वाले खतरों को बढ़ाता है। अमीबियासिस एक जलजनित रोग है यानी यह रोग पानी के द्वारा फैलता है। इसके साथ ही यह रोग संक्रामक होता है यानी कुछ विशेष परिस्थितियों में यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंच जाता है। आइए जानते हैं इस रोग के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में।

कैसे होता है अमीबियासिस

अमीबियासिस मुख्य रूप से पानी से फैलने वाला रोग है। इस मौसम में बाहर के खुले पानी में कई तरह के हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस मौजूद होते हैं। ऐसे में बाजार में खुले में बिकने वाला खाना (विशेष रूप से होटल, ठेले आदि के खानों) को अशुद्ध पानी से बनाया जाता है। इसके अलावा बारिश के मौसम में खुले में रखा हुआ खाना जल्दी संक्रमित होकर खराब हो जाता है, जबकि बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थ आमतौर पर काफी देर पहले बने होते हैं। इसके अलावा खाना बनाने और परोसने वाले लोगों द्वारा नाखून, सिर एवं शरीर के अन्य खुले भाग का ध्यान नहीं रखे जाने के कारण अमीबियासिस का जीवाणु एक से दूसरे तक पहुंचता है।

कौन से अंग होते हैं प्रभावित

अमीबा एक कोशकीय जीवाणु है, जो अमीबियासिस का प्रमुख कारण है। अमीबियासिस शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है। आमतौर पर इससे सबसे पहले बड़ी आंत प्रभावित होती है।  इसके अलावा यह रोग लिवर, फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क, वृक्क, अंडकोष, अंडाशय, त्वचा आदि को भी प्रभावित कर सकता है।

अमीबियासिस के लक्षण

पतले दस्त, भोजन के बाद पेट में दर्द, रुक-रुक कर दस्त शुरू हो जाना, कब्ज की समस्या हो

अपच हो जाना और उल्टी होना,

पेट में गैस बनना यानी वायु-विकार होना। त्वचा संबंधी रोग होना जैसे रैशेज, दाद व खुजली आदि।

अमीबियासिस के बचाव के लिए क्या करें

क्योंकि अमीबियासिस एक संक्रामक रोग है, इसलिए इससे बचाव के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

अमीबियासिस के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

अच्छे से फिल्टर किया हुआ पानी पिएं या उबालकर ही पानी पिएं।

खाना बनाने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें और किचन में साफ.-सफाई का ध्यान रखें।

बरसात में भीगने से बचें और सड़क पर खुले में इकट्ठे पानी में देर तक पांव भिगोने से बचें।

अगर आप सप्लाई का पानी पीते हैं, तो पीने के पानी में क्लोरीन डालें।

अमीबियासिस का घरेलू उपचार

 ब्लैक टी

बिना शक्कर की ब्लैक टी में कई एंटी टॉक्सिंज और एंटी पेरसिटिक तत्त्व होते हैं। यह पेट संबंधी समस्याओं का इलाज करते हैं, अगर रोज इसका सेवन किया जाए, तो अमीबियासिस के उपचार में मदद मिलती है।

मार्गोसा की पत्तियां

आपको हल्दी और सूखी मार्गोसा की पत्तियां लेना है और इसमें सरसों का तेल मिलाना है। इसे अपने शरीर पर मल लें और एक घंटे तक रहने दें। इसके बाद हल्के गर्म पानी से नहा लें। इसके एंटीबायोटिक गुण आपको इस बीमारी से बचाएंगे।

अखरोट

अखरोट की पत्तियों में एंटी टॉक्सिंज तत्त्व होते हैं। इसकी पत्तियों को धोने के बाद इनका रस निचोड़ लें। इसे संक्रमित जगह पर लगाएं। ऐसा करना लाभदायक होगा। सोने के पहले इसे दिन में एक बार जरूर अपनाएं।

बेल

बेल में कई एंटी बैक्टीरियल तत्त्व होते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक एसिड होता है यह शरीर के कीटाणुओं को खत्म करने में उपयोगी है। अमीबियासिस के उपचार के लिए यह एकदम सही घरेलू नुस्खा है। अमीबियासिस के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

तरल पदार्थों जैसे जूस, नारियल पानी, काली चाय व छाछ आदि का सेवन करें।  जामुन, पपीता, लहसुन, अदरक, काली मिर्च और दालचीनी को आहार में शामिल करें। त्वचा का संक्रमण होने पर चिकित्सक से संपर्क करें। अमीबियासिस के रोगी के कपड़े और बिस्तर आदि को अलग रखें।


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