एक शर्त, हजारों भविष्य दांव पर

By: Jul 16th, 2018 12:01 am

नौणी विश्वविद्यालय के निर्देश से खफा युवा कोर्ट जाने को तैयार

सुंदरनगर — हिमाचल प्रदेश  कृषि में एमएससी के प्रवेश के लिए नौणी विश्वविद्यालय ने आईसीएआर एक्रीडिटेशन की शर्त के चलते प्रदेश के हजारों प्रशिक्षुओं का भविष्य दांव पर लगा दिया है। ऐसे में युवाओं का कहना है कि विभाग की इस मनमानी के विरोध में न्यायालय की शरण ली जाएगी।  गौर हो कि प्रवेश प्रक्रिया से मात्र दो दिन पहले अचानक थोपी गई इस शर्त को लेकर शिक्षकों और अभिभावकों में रोष है। बता दें कि 12 जुलाई को रजिस्ट्रार नौणी विश्वविद्यालय के पत्र संख्या 13090 के तहत एमएससी कृषि के लिए आईसीएआर से मान्यता प्राप्त कालेज से बीएससी कृषि पास होना अनिवार्य किया है, जिससे बाहरी राज्यों से प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षु इसके लिए पात्र नहीं रहेंगे। हजारों छात्र अन्य राज्यों से यूजीसी से मान्यता प्राप्त कालेज से बीएससी कर चुके हैं। प्रदेश सरकार ने इससे पहले भी कृषि प्रसार अधिकारी के पद के लिए आईसीएआर एक्रीडिटेशन की शर्त लगा कर देशभर के यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता दिखाया था। लोगों का आरोप है कि प्रदेश में मात्र दो ही विश्वविद्यालयों कृषि संकाय में एमएससी उपलब्ध है। कृषि बीएससी पास अभ्यर्थियों को एमएससी की शिक्षा हेतु प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। नौणी और में पालमपुर स्थित कृषि विवि में प्रवेश के लिए प्रक्रिया सोमवार 16 जुलाई को शुरू हो रही है। चार दिन पहले 12 जुलाई को जारी एक पत्र के तहत प्रदेश के कृषि विभाग एमएससी के प्रवेश की पात्रता शर्त में आईसीएआर संबद्धता प्राप्त विद्यालयों से बीएससी की शर्त थोपी गई है। सुंदरनगर में अखिलेश, भूपेंद्र वालिया, मंगत राम और ज्ञान चंद ने कहा कि ऐसे नियमों से बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से हस्तक्षेप कर कार्रवाई करने की मांग की है।


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