जय मां भंगायणी स्वयं सहायता समूह अव्वल
नौहराधार — मसाला उत्पाद व लजीज पहाड़ी व्यंजनों को तैयार करने के लिए जय मां भंगायणी स्वयं सहायता समूह ने प्रदेश भर में पहला स्थान अर्जित किया है। इस उत्कृष्ट कार्य के लिए नाबार्ड की ओर से इस समूह को पुरस्कृत किया गया है। 12 जुलाई को आयोजित 37वें नाबार्ड स्थापना दिवस पर जय मां भंगायणी स्वयं सहायता समूह को यह सम्मान विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल ने प्रदान किया। प्रदेश भर में पहला स्थान अर्जित करने के बाद पुरस्कृत किए जाने से समूह की महिलाएं गदगद हैं। बता दें कि इस समूह का गठन 2012 में हुआ था। समूह की हर महिला हर महीने 100-100 रुपए एकत्रित करती है। 2013 में एक वर्ष में एकत्रित हुए चंदे से महिलाओं ने हरिपुरधार मेले में एक स्टॉल लगाने की योजना तैयार की। इस कार्य को अंजाम देने के लिए सबसे बड़ी समस्या पैसे की थी। इसलिए महिलाओं ने यूको बैंक की हरिपुरधार शाखा से दो लाख का लोन लिया। महिलाएं मेले में कुछ नया करना चाहती थीं, इसलिए फैसला लिया गया कि वे मेले में मिट्टी से बने बरतनों व उस सामान को बेचेंगी, जो लुप्त होने की कगार पर है। बुलंद हौसले से इन महिलाओं ने बरतन खरीदकर मेले में स्टॉल लगाया। महिलाओं का प्रयास रंग लाया। सभी बरतन हाथोंहाथ बिक गए। इससे महिलाओं ने लगभग 30 हजार का मुनाफा कमाया। उसके बाद 2015 व 2016 में नाहन में आयोजित होने वाले रेडक्रॉस मेले में पहाड़ी व्यंजनों के स्टॉल लगाया। यहां भी महिलाओं को भारी मुनाफा हुआ। रेणुका मेले में महिलाओं ने पहाड़ी दालें, मसाले व पहाड़ों से लुप्त हो रहे अनाजों के स्टॉल लगाए और खूब कमाई की। वहीं, लुप्त हो रहे पापरंपरिक अनाजों के बारे में लोगों को जागरूक भी किया। अब 12 जुलाई को इस समूह की महिलाओं ने शिमला के होटल मरीना आर्केट में हल्दी, धनिया, कुट्टू का आटा, राजमाह, कुल्थी व चावल के मूड़े की सुंदर प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शनी में महिलाओं के सारे प्रोडक्ट बिक गए। इससे महिलाओं को 20 हजार से अधिक का मुनाफा हुआ। अब यह समूह अन्य महिला संगठनों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन गया है। समूह की अध्यक्ष मथुरा भिमटा, महासचिव अनीता राणा, संतोष, बबली, रेखा, श्यामा व संध्या ने बताया कि सभी महिलाओं ने कुछ नया करने की ठानी थी। उन्होंने चुनौतियों का सामना किया और आखिर में सफलता प्राप्त की।
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