डिजिटल राशन कार्ड के इंतजार में उपभोक्ता

By: Jul 1st, 2018 12:05 am

नाहन —हिमाचल प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई डिजिटल राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया अभी भी कछुआ गति से चल रही है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन भी हो चुका है तथा नई सरकार को राज्य में सत्ता पर काबिज हुए करीब छह माह की अवधि बीत चुकी है। डिजीटल राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया अभी भी सही रूप से ढर्रे पर नहीं आई है, जिन उपभोक्ताओं के डिजीटल कार्ड आए हैं उनमें भी खामियां हैं। परिवार के कई सदस्यों के नाम नए डिजिटल राशन कार्ड में नहीं हैं। विभाग द्वारा जिला स्तर पर ऐसे कुछ राशन कार्डों में हाथ से लिखकर संशोधन तो किया गया है, परंतु डिजिटल राशन कार्ड को डिजीटेलाइज्ड करने वाली मशीन हाथ से लिखा हुआ शब्द वेरिफाई नहीं करता है। यही नहीं जिन उपभोक्ताओं के अधूरे डिजीटल राशन कार्ड बने थे उन्होंने सही राशन कार्ड बनाने के लिए दोबारा से औपचारिकताएं तो पूरी कर दी हैं, परंतु अभी भी नए डिजिटल राशन कार्ड वापस नहीं आए हैं। मजबूरन जहां उचित मूल्य की दुकानों के संचालक पुरानी व्यवस्था से आपसी भाईचारे में काम चला रहे हैं, वहीं उपभोक्ता भी बार-बार कार्यालयों के चक्कर काटकर थक चुके हैं। गौर हो कि जिला सिरमौर में विभाग के अधीन वर्तमान में 1,22,906 राशन कार्ड होल्डर हैं। विभाग के आंकड़ों की मानें तो जिला सिरमौर में 1,09,910 उपभोक्ताओं के डिजिटल राशन कार्ड बन चुके हैं। यानि विभाग की मानें तो केवल 13 हजार के आसपास ऐसे उपभोक्ता अभी जिला सिरमौर में बचे हैं जिनके डिजीटल राशन कार्ड नहीं बने हैं। बार-बार उपभोक्ता जिला व खंड स्तर के अलावा अपने ग्रामीण स्तर पर उचित मूल्य की दुकानों के चक्कर काटते थक चुके हैं, परंतु विभाग के कर्मी एक ही जवाब देते हैं कि प्रदेश स्तर पर अभी संशोधन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। जब पूरे प्रदेश में संशोधन की प्रक्रिया पूरी होगी तो उसके बाद ही तमाम उपभोक्ताओं को संशोधित नए डिजीटल राशन कार्ड वितरित किए जाएंगे। यही नहीं उचित मूल्य की दुकानों में दी गई मशीनें भी अकसर तकनीकी खामी के कारण बंद रहती है तथा इस दौरान भी पुरानी व्यवस्था से ही काम चलाना पड़ रहा है। पूर्व कांग्रेस सरकार भी डिजीटल राशन कार्ड बनाने को लेकर विवादों में रही थी। यहां तक कि चुनाव के दौरान प्रदेश की पूर्व कांगे्रस सरकार द्वारा राशन कार्ड पर कांग्रेस का नारा लिखा गया था, जिसको भाजपा ने खूब मुद्दा बनाया था। ऐसे में स्पष्ट है कि प्रदेश में डिजीटल राशन कार्ड बनाने की योजना पर कोई ग्रहण लगा हुआ है, जिस कारण करीब डेढ़ से दो वर्ष की अवधि के बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है।


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