बनने से पहले पटरी से उतरी रेल लाइन!

By: Jul 12th, 2018 12:01 am

भानुपल्ली-बिलासपुर और पिंजौर-चंडीगढ़ का खर्चा उठाने को प्रदेश ने पीछे खींचे हाथ

शिमला— हिमाचल प्रदेश के दो महत्त्वपूर्ण रेलवे ट्रैक के निर्माण पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। भानुपल्ली-बिलासपुर और पिंजौर-चंडीगढ़ रेल लाइन में वित्तीय भागीदारी पर हिमाचल सरकार ने फिलहाल हाथ खींच लिए हैं। प्रदेश सरकार ने केंद्रीय रेलवे मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है कि इन दोनों रेल लाइनों के निर्माण और भू-अधिग्रहण प्रक्रिया के लिए केंद्र सरकार ही अपने स्तर पर खर्चा उठाए। इसके पीछे मुख्य कारण फोरलेन परियोजना का निर्माण कार्य आधार बनाया गया है। भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के साथ बिलासपुर-कीरतपुर फोरलेन का निर्माण अंतिम चरण में है। विशेषज्ञों की राय है कि इस फोरलेन के निर्माण के बाद रेल लाइन का महत्त्व कम हो जाएगा। भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के भू-अधिग्रहण के लिए 800 करोड़ के बजट की जरूरत है। इसमें 50 फीसदी भागीदारी के साथ हिमाचल सरकार को करीब 400 करोड़ चुकाना होगा। अभी तक राज्य ने इस रेल लाइन के लिए 118 करोड़ के लगभग शेयर दिया है। लिहाजा प्रस्तावित रेलवे लाइन के साथ फोरलेन परियोजना का निर्माण कार्य अंतिम चरण में पहुंचने से राज्य सरकार शेष राशि के निवेश पर मंथन कर रही है। इसी तर्ज पर पिंजौर-चंडीगढ़ रेल लाइन की अनुमानित लागत 1600 करोड़ रुपए है। इसमें भू-अधिग्रहण तथा लागत सहित हिमाचल सरकार को 800 करोड़ की राशि अपने हिस्से से देनी है। इस आधार पर ही रेलवे लाइन का निर्माण कार्य संभव है। राज्य सरकार ने अभी तक इस रेलवे पट्टी के लिए 25 करोड़ का शेयर दिया है। जाहिर है कि इसी रेल लाइन के साथ पिंजौर-बद्दी फोरलेन परियोजना स्वीकृत हो चुकी है। इस कारण 800 करोड़ रेल लाइन के निर्माण पर निवेश करने के लिए राज्य सरकार असमंजस की स्थिति में आ गई है। राज्य सरकार का रेलवे मंत्रालय को भेजा गया प्रस्ताव सिरे चढ़ा, तो इन दोनों रेल लाइनों का निर्माण संभव है। उल्लेखनीय है कि फोरलेन परियोजना के निर्माण कार्य के लिए पूरी तरह फंडिंग केंद्र सरकार की रहती है। बिलासपुर-कीरतपुर और पिंजौर-बद्दी के बीच फोरलेन परियोजना का निर्माण 100 फीसदी केंद्र की आर्थिक सहायता से होगा। इस कारण हिमाचल सरकार फिलहाल उक्त दोनों रेलवे पट्टियों के निर्माण के लिए अपने हिस्से की राशि जमा करवाने पर पुनर्विचार कर रही है। इस कारण इन दोनों रेल लाइनों का सपना फिलहाल साकार बेहद कम प्रतीत हो रहा है।


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