बोझ क्यों है सैनिक स्कूल की छात्रवृत्ति

By: Jul 31st, 2018 12:05 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले 3 शैक्षणिक सत्रों 2015-16, 2016-17 और 2017-18 के लिए प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों जो कि सैनिक स्कूल में पढ़ रहे हैं, को स्कॉलरशिप ही नहीं दी गई है। यह बेहद दुखद एवं निंदनीय है कि इस सैनिक स्कूल में पढ़ने वाले सैकड़ों मेधावी छात्रों को पिछले 3 शैक्षणिक सत्रों से छात्रवृत्ति से वंचित रखा गया है…

हिमाचल प्रदेश में कारगिल दिवस के बाद 27 जुलाई 2018 को यदि प्रदेश की सभी प्रमुख अखबारों की खबरों की पड़ताल करें, तो वे भारतीय सशस्त्र सेनाओं के वीर सेनानियों के कार्यक्रमों की सुर्खियों से भरी पड़ी मिलेंगी। इस अवसर पर वक्ताओं द्वारा सेना के वीर जवानों से अनुशासन, समर्पण, प्रतिबद्धता, त्याग और बलिदान जैसे गुणों की सीख लेने का आह्वान भी किया जाता है। साल-दर-साल यही परिपाटी चली आ रही है। ऐसे मौकों पर वीरगति को प्राप्त सैनिकों, वीर नारियों और सेवारत सैनिकों की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं, लेकिन उस समय पीड़ा बढ़ जाती है, जब प्रदेश सरकार की सेवा में लगे भूतपूर्व सैनिकों पर डिमोशन की तलवार लटकाकर उन्हें परेशान कर उनको अपमानित किया जाता है। क्या भारतीय सरहदों की निगरानी, रखवाली में इन्होंने अपनी जवानी के दिन नहीं लगाए थे?

सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों के साथ किया जा रहा ऐसा सौतेला बर्ताव समझ से परे है। इसी सिलसिले में हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के सुजानपुर टीहरा में स्थापित प्रदेश के एकमात्र सैनिक स्कूल की बात करें, तो शायद प्रबुद्ध पाठकों को पढ़कर हैरानी होगी कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा पिछले 3 शैक्षणिक सत्रों 2015-16, 2016-17 और 2017-18 के लिए प्रदेश के होनहार विद्यार्थियों जो कि सैनिक स्कूल में पढ़ रहे हैं, को स्कॉलरशिप ही नहीं दी गई है। आज केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाने के दृष्टिगत कई तरह की छात्रवृत्तियां विद्यार्थियों को प्रदान की जा रही हैं, लेकिन यह बेहद दुखद एवं निंदनीय है कि इस सैनिक स्कूल में पढ़ने वाले सैकड़ों मेधावी छात्रों को पिछले 3 शैक्षणिक सत्रों से छात्रवृत्ति से वंचित रखा गया है। इस प्रकार से हिमाचल प्रदेश के गरीब परिवारों के छात्रों को भारी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा से आरटीआई द्वारा प्राप्त सूचना से पता चलता है कि संबंधित स्कूल प्रशासन द्वारा वर्ष 2015 से ही प्रतिवर्ष सभी फार्म एचपीईपास पोर्टल पर ऑनलाइन भरे जा रहे हैं और छात्रवृत्ति से संबंधित सभी जरूरी दस्तावेजों को उच्चतर शिक्षा विभाग के पास जमा भी करवाया जा रहा है, लेकिन इतना होने के बावजूद सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति ऑडिट आपत्तियों के नाम पर रोक दी गई है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त सूचना में सैनिक स्कूल प्रशासन ने उच्चतर शिक्षा विभाग से किए गए पत्राचार का ब्यौरा देते हुए लिखा है कि सितंबर 2007 की प्रदेश सरकार की ‘डिवीजन ऑफ स्कॉलरशिप’ नीति के अंतर्गत यहां पढ़ने वाले सभी हिमाचली बोनाफाइड विद्यार्थियों के लिए 2007-08 सत्र से इनकम ब्रैकेट के अंतर्गत लाभार्थी घोषित किया गया है। लेकिन अब ऑडिट आपत्ति के नाम पर पिछले 3 वर्षों से सभी छात्रों की स्कॉलरशिप को रोककर बेवजह विद्यार्थियों के अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है।

इस बाबत सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा प्रशासन ने सभी विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप ग्रांट जारी करने की पैरवी करते हुए राज्य सरकार को कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन इस मामले में उच्चतर शिक्षा विभाग उदासीन बना हुआ है। यहां यह बात भी दीगर है कि इस वर्ष जुलाई 2018 से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे के लिए इसी स्कूल के 15 छात्रों का चयन हुआ है। प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए इन छात्रों को अपनी तरफ से व्यक्तिगत पत्र लिखकर बधाई दी है और इसे प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया है। भारत के 24 सैनिक स्कूलों में सुजानपुर टीहरा का नाम देशभर में सबसे ज्यादा प्रशिक्षु आफिसर देने में अव्वल रहा है। एक अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा के छात्रों को छठी कक्षा से ही अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) का सदस्य बनाकर सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है और शिविर लगाने के बाद एनसीसी सर्टिफिकेट भी प्रदान किया जाता है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण सत्य है कि इसी स्कूल के 34वें बैच के विद्यार्थियों को पूर्ववर्ती सरकार से एनसीसी ग्रांट न मिलने के कारण उनका न तो कैंप लगा और न ही ‘ए’ सर्टिफिकेट परीक्षा का आयोजन किया जा सका। ऐसे समय में जब बिहार, हरियाणा राज्यों द्वारा अपने-अपने राज्यों में दो-दो सैनिक स्कूल खोले गए हैं और हरियाणा सरकार ने अपने राज्य के विद्यार्थियों के लिए पचास हजार वार्षिक छात्रवृत्ति का प्रावधान भी किया है, ताकि उनके सैनिक स्कूलों से पढ़े छात्र एनडीए, आईएमए और ओटीए जैसी प्रतिष्ठित अकादमियों में ज्यादा से ज्यादा सिलेक्ट होकर प्रदेश का नाम रोशन कर सकें। वहीं हिमाचल प्रदेश के इकलौते सैनिक स्कूल द्वारा बेहतरीन परिणाम देने के बावजूद यहां पढ़ने वाले बच्चों की स्कॉलरशिप ग्रांट और एक मौके पर एनसीसी ग्रांट भी न दी जाए, तो कहीं न कहीं यह प्रदेश के उच्चाधिकारियों की दिवालिया हो चुकी सोच को ही रेखांकित करता है। क्या मुख्यमंत्री इस बड़ी विसंगति को दूर कर पिछली रुकी हुई स्कालरशिप जारी करवाने हेतु खुद आगे आएंगे?

सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा से पढ़े मेजर सुधीर वालिया को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। इसी विद्यालय के कैप्टन संजीव जंवाल को वीर चक्र, मेजर वीरेंद्र ढडवालिया को शौर्य चक्र से नवाजा जा चुका है। आज जरूरत इस बात की है कि इस गौरवशाली एवं प्रतिष्ठित सैनिक स्कूल में अध्ययनरत मेधावी हिमाचली छात्रों के उज्ज्वल भविष्य एवं प्रदेश की आन-बान-शान को बढ़ाने वाले संस्थान को दरपेश आने वाली सभी आर्थिक समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर प्रदेश सरकार निवारण करे, ताकि यहां से ज्यादा से ज्यादा बच्चे पढ़-लिखकर भारतीय सेना का अभिन्न हिस्सा बनें और हिमाचल प्रदेश का वीर भूमि होने का रुतबा बरकरार रखने में अपना अतुलनीय योगदान दें।


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