भारत में बनेंगे लड़ाकू विमान

By: Jul 30th, 2018 12:04 am

इंडिया को डिफेंस प्रोडक्शन हब बनाने को पालिसी तैयार

नई दिल्ली— अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को अभी ज्यादातर सैन्य साजोसामान दूसरे देशों से आयात करना पड़ता है। अब सरकार अगले दस वर्षों में भारत को दुनिया के पांच बड़े सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों में शामिल करना चाहती है। इसी क्रम में डिफेंस प्रोडक्शन इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए भारत सरकार अगले महीने एक महत्त्वपूर्ण पॉलिसी की घोषणा कर सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी है कि पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसके बाद मंजूरी के लिए इसे केंद्रीय कैबिनेट को भेजा जाएगा। सूत्रों ने बताया कि डिफेंस प्रोडक्शन पॉलिसी (डीपीपी-2018) का फोकस सेना के लिए लड़ाकू विमानों, अटैक हेलिकाप्टरों और हथियारों का देश में ही उत्पादन करने और इसके लिए आवश्यक तकनीक विकसित करने के लिए उचित संसाधनों के निवेश पर होगा। उन्होंने बताया कि डीपीपी-2018 को अगले महीने जारी किया जा सकता है। पॉलिसी के मसौदे के अनुसार सरकार 2025 तक सैन्य साजोसामान और सेवाओं के टर्नओवर को 1,70,000 करोड़ रुपए तक पहुंचाना चाहती है। मार्च में स्वीडन के एक थिंक-टैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पिछले पांच वर्षों में भारत मिलिट्री हार्डवेयर का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक 2004-08 की तुलना में पिछले पांच वर्षों में बड़े हथियारों के आयात में 111 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

12 मिलिट्री प्लैटफॉर्म्स चुने

मार्च में जारी किए गए नीति के मसौदे में 2025 तक सैन्य उपकरणों और सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपये के निर्यात को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया था। सरकार ने आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत में प्रोडक्शन के लिए 12 मिलिटरी प्लैटफॉर्म्स और वेपन सिस्टम्स निर्धारित किए हैं।

नीति का उद्देश्य

डीपीपी का मकसद सभी बड़े प्लैटफर्म्स को देश में ही विकसित करने पर होगा, जो पिछले छह दशकों से आयात किए जा रहे हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों में भारत ने कई सैन्य उपकरणों और हथियारों के लिए विदेशी और घरेलू कंपनियों के साथ 2.40 लाख करोड़ रुपए के 187 कांट्रैक्ट किए हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर प्रोजेक्ट्स में देरी हुई है। पालिसी का उद्देश्य स्पष्ट है पब्लिक और प्राइवेट सेक्टरों की सक्रिय भागीदारी के साथ भारत को डिफेंस प्लैटफॉर्म्स के टॉप 5 मैन्युफैक्चरर्स में शामिल कराना। डीपीपी में खरीद प्रक्रिया को भी काफी सरल किया जाएगा और तमाम मंजूरी लेने की अनिवार्यता को खत्म किया जाएगा, जिससे देर हो जाती है।


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