लाहुल के पहाड़ नाप रहे ट्रैकर

By: Jul 15th, 2018 12:05 am

केलांग – लाहुल-स्पीति के पहाड़ों को नापने निकले देशी-विदेशी ट्रैकरों की संख्या बढ़ने से ट्रैकिंग एजेंसियों के संचालकों के चेहरे खिल उठे हैं। अकसर यह देखा जाता था कि जून माह में जहां देश के मैदानी क्षेत्रों में स्कूल-कालेज में छुट्टियां होने से लाहुल-स्पीति में ट्रैकरों की संख्या अधिक होती है, लेकिन इस बार जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में भी लाहुल-स्पीति में देश-विदेश के सैलानी ट्रैकरों का खासा जमावड़ा लगा हुआ है। लाहुल-स्पीति के पहाड़ों पर चल रही ट्रैकिंग का दौर अभी भी जारी है और इस कारोबार से जुड़ी हुई ट्रैकिंग एजेंसियां भी खासी खुश हैं। यही नहीं अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली सहित कई ट्रैवल एजेंसियां पहाड़ों की सैर करवा रही हैं। प्रदेश भर के अधिकतर ट्रैक रूट खुल गए हैं, जबकि जुलाई के दूसरे सप्ताह में लंबे ट्रैक रूटों चंद्रताल से बारालाचा, दारचा से पदम, मयाड़ के कांगला ग्लेशियर से कारगिल-जंसकर, मनाली के हामटा से छतडू,  मनाली के जगतसुख से गोरुपास, पीन पास-किन्नौर, मनाली से बड़ा भंगाल, पिन वैली से स्पीति व मनाली से हनुमान टिब्बा सहित समस्त रूटों पर ट्रैकिंग शुरू हो गई है। ऐसे में मनाली व लाहुल-स्पीति में ट्रैकिंग की एजेंसियां चला रहे कारोबारियों का कहना है कि घाटी में जून व जुलाई माह ऐसा होता है, जब सैलानी पहाड़ों पर चढ़ाई यानी ट्रैकिंग करने के लिए निकलते हैं। उनका कहना है कि अब तो घाटी के बड़े टै्रकिंग टै्रक भी बहाल हो चुके हैं और इन ट्र्रैकों पर सैलानियों के काफिले लगातार रवाना हो रहे हैं। ऐसे में लाहुल-स्पीति पुलिस प्रशासन भी अलर्ट पर है। एसपी लाहुल-स्पीति राजेश धर्माणी का कहना है कि टै्रकिंग एजेंसियों के संचालकों को सभी ट्रैकरों का पंजीकरण करवाने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि सैलानियों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है। ट्रैकिंग  के कारोबार से जुड़े दोरजे का कहना है कि यहां के पहाड़ों पर जहां ट्रैकिंग के दौरान कई दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणी देखने को मिलते हैं, वहीं यहां का स्वच्छ वातावरण भी सैलानियों को खासा पसंद आता है।


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