सात वीरों ने पिया था शहादत का जाम
घुमारवीं —आओ झुक कर सलाम करे उनको, जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है। खुशनसीब होता है वह खून, जो देश के काम आता है। 19 साल पूर्व पाक के नापाक इरादों को कुचलते हुए हिंद सेना के रणबांकुरों ने 26 जुलाई को कारगिल वार में दुश्मनों को अपनी सरहदों से खदेड़ कर बहादुरी की इबारत अपनी नाम लिखी थी। 14 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक लड़े इस विजय आपरेशन में बिलासपुर जिला के सात रणबांकुरों ने शहादत का जाम पिया था। जबकि एक जवान कारगिल में ही विजय आपरेशन के बाद छेड़े आपरेशन रक्षक में शहीद हुआ था। जिससे 1999 में कारगिल में छिड़े इस अघोषित युद्ध में बिलासपुर जिला के आठ जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। जिन्हें नमन करने के लिए 26 जुलाई को कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धांजलि दी जाती है। बिलासपुर जिला के जवानों ने कारगिल आपरेशन में वीरता दिखाते हुए सेना के सर्वोच्च मेडल हासिल किए। जब भी वीरता की बात होती है, तो बिलासपुर जिला के हर नागरिक का सीना चौड़ा हो जाती है। कारगिल विजय आपरेशन में देश के विभिन्न कोने के जवानों ने अपने सीने पर दुश्मनों की गोलियां झेलकर शहादत का जाम पिया था। लेकिन इस ऑपरेशन में हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला के जवानों ने भी अपनी बहादुरी के कारनामें दिखाकर दुनियां को अंगुली तले दांत दबाने को मजबूर कर दिया था। कारगिल की पहाडि़यों में वीर जवानों की बहादुरी स्वर्ण अक्षरों में सदैव अंकित हो गई। शहीदों को श्रद्धांजलि देने व उनके जज्बे को सलाम करने के लिए हर वर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर प्रदेश के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। आज से करीब 19 वर्ष पूर्व पाकिस्तान सैनिकों ने कारगिल की पहाडि़यों पर अपना कब्जा जमा लिया था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को मुंह तोड़ जवाब दिया और 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने कारगिल की टाइगिर हिल में तिरंगा फहराकर पहाडि़यों को अपने कब्जे में लिया था। कारगिल आपरेशन में हिमाचल प्रदेश के 52 जवान शहीद हुए थे। जिनमें सात बिलासपुर जिला से संबंध रखते थे।
आपरेशन रक्षक में शहीद हुए थे सुभाष
बिलासपुर जिला के करयालग गांव के कमांडो सुभाष चंद कारगिल में आपरेशन रक्षक में शहीद हुए थे। कारगिल में विजय आपरेशन के बाद चले आपरेशन रक्षक में कमांडो सुभाष चंद ने शहादत का जाम पिया था।
एक परमवीर, एक वीर चक्र-दो सेना मेडल
कारगिल में वीरता की नई इबारत लिखने वाले बिलासपुर जिला के जवानों को सेना के सर्वोच्च मेडलों से सम्मानित किया है। जिनमें अदम्य साहस का परिचय देने वाले बकैण गांव के संजय कुमार (जीवित) को सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया है। जबकि हवलदार उधम सिंह को वीर चक्र, अश्वनी तथा सुभाष चंद को सेना मेडल से सम्मानित किया है। जिनमें संजय कुमार को यह सम्मान जीवित रहते हुए मिला। जबकि वीर चक्र व सेना मेडल विजेताओं को मरणोपरांत यह सम्मान मिला।
ये रणबांकुरे हुए थे शहीद
शहीद का नाम गांव
उधम सिंह चैहड़ी
मंगल सिंह कोठी (कोसरियां)
राजकुमार मसधान (मोरसिंघी)
विजयपाल पट्टा (शासन)
अश्वनी झंडूता (जेठवीं)
मस्त राम डूहक
प्यार सिंह खतेड़
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